बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। राजधानी पटना के एक निजी होटल में शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और अन्य चुनाव आयुक्तों ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की। इस बैठक में वोटिंग के चरणों से लेकर चुनावी सुरक्षा और बूथ प्रबंधन तक कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
जेडीयू का एक चरण में चुनाव का आग्रह
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने विधानसभा चुनाव को एक चरण में संपन्न कराने की मांग रखी। जेडीयू नेताओं का कहना है कि लंबे समय तक चलने वाला चुनाव प्रशासन और जनता दोनों के लिए भारी पड़ता है, इसलिए इसे जल्द से जल्द खत्म करना बेहतर होगा।
बीजेपी ने दिया बुर्का बैन का प्रस्ताव
बैठक से निकलने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव को एक या अधिकतम दो चरणों में कराने का सुझाव दिया है। उनका तर्क था कि ज्यादा चरणों में मतदान होने से खर्च बढ़ता है और प्रक्रिया लंबी हो जाती है।
इसके साथ ही बीजेपी ने यह भी प्रस्ताव दिया कि बूथों पर बुर्का पहनकर आने वाली महिलाओं पर प्रतिबंध लगाया जाए, ताकि वोटिंग के दौरान फर्जीवाड़े की संभावना को रोका जा सके। पार्टी ने यह भी कहा कि वोटिंग से पहले दलित और पिछड़ा समाज की बस्तियों में पैरामिलिट्री फोर्स का मार्च कराया जाए और दियारा क्षेत्र में घुड़सवार सुरक्षा बल तैनात किए जाएं, क्योंकि वहां बूथ लूटने की आशंका रहती है।
अन्य दलों की राय
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राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के नेता प्रमोद कुमार सिंह ने भी जेडीयू का समर्थन करते हुए एक चरण में चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर यह संभव न हो तो अधिकतम दो चरणों में चुनाव खत्म किया जाए।
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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रतिनिधि शाहवाज अहमद कैफी ने दो चरणों में चुनाव कराने का सुझाव दिया।
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बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता सुरेश राव ने आयोग से मांग की कि उम्मीदवारों पर अपराध मामलों की जानकारी प्रकाशित करने की लागत आयोग खुद वहन करे, क्योंकि गरीब उम्मीदवारों के लिए यह खर्च भारी साबित होता है। उन्होंने दलित बस्तियों के लिए बूथवार डाटा संबंधी समस्याओं को दूर करने और चुनाव के दौरान लुभावने वादों पर रोक लगाने की भी मांग की।
मामले की पृष्ठभूमि
बिहार विधानसभा चुनाव हमेशा से ही बहु-चरणीय मतदान और कड़े सुरक्षा प्रबंधों के लिए चर्चा में रहे हैं। प्रदेश के कई इलाकों में बूथ कैप्चरिंग, फर्जी मतदान और हिंसा का इतिहास रहा है। यही वजह है कि राजनीतिक दल लगातार वोटिंग प्रक्रिया को लेकर अपनी-अपनी राय रखते हैं। इस बार खास बात यह रही कि लगभग सभी दलों ने चुनाव को कम से कम चरणों में कराने की मांग की है, ताकि खर्च घटे और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित हो।
मुख्य बातें (Key Points):
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जेडीयू और आरएलजेपी ने एक चरण में चुनाव कराने की मांग रखी।
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बीजेपी ने दो चरणों में वोटिंग और बूथों पर बुर्का बैन का प्रस्ताव दिया।
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बसपा ने गरीब उम्मीदवारों के लिए अपराध रिकॉर्ड प्रकाशन की लागत आयोग से वहन करने की अपील की।
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सुरक्षा को लेकर पैरामिलिट्री मार्च और दियारा क्षेत्र में घुड़सवार बल तैनात करने का सुझाव दिया गया।






