Prashant Kishor Bihar Election 2025 : बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार केंद्र में हैं प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) — वह नाम जो कभी बड़े-बड़े नेताओं की चुनावी रणनीति बनाता था, अब खुद मैदान में उतर चुका है। जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) के बैनर तले, किशोर ने इस बार न सिर्फ अपनी पार्टी को विधानभा चुनाव में उतारा है, बल्कि जनता के मुद्दों को सीधा केंद्र में रखकर पुराने समीकरणों को चुनौती दी है।
प्रशांत किशोर ने बेरोज़गारी, शिक्षा, पलायन और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर सीधी बात करते हुए जनता को भरोसा दिलाया है कि उनका मकसद सत्ता नहीं, व्यवस्था में सुधार है। उनका सबसे चर्चित वादा शराबबंदी हटाने और युवाओं के लिए रोजगार सृजन को लेकर है, जिसने बिहार के आम मतदाता को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
जमीनी माहौल: लोगों की राय बंटी हुई
सारण जिले के सोनहो में दोपहर की धूप के बीच जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी राहुल कुमार सिंह का प्रचार जोर-शोर से चल रहा था। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के शासन में भी बिहार का पलायन नहीं रुका। “शिक्षा का स्तर सुधरने के बाद भी रोजगार की कमी ने लाखों युवाओं को दिल्ली, मुंबई और हरियाणा तक धकेल दिया है,” उन्होंने कहा।
वहीं, कुछ मतदाताओं की राय अलग है। संजय शुक्ला नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि “बिहार में अब सड़कें बेहतर हैं, सुरक्षा बढ़ी है, और जीविका योजना से महिलाओं को फायदा हुआ है। प्रशांत किशोर के वादे सुनने में अच्छे हैं, लेकिन उन्हें पूरा करना मुश्किल लगता है।”
लोगों की चर्चा का केंद्र: शराबबंदी हटाने का मुद्दा
दरभंगा और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में लोग सबसे ज़्यादा शराबबंदी हटाने के वादे पर चर्चा कर रहे हैं। एक फल विक्रेता ने कहा, “प्रतिबंध ने अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा दिया है, इसलिए इसे खत्म करना ज़रूरी है।”
वहीं, डॉ. अमित कुमार दास जैसे JSP उम्मीदवारों का कहना है कि “बिहार का मूड बदल चुका है — अब लोग जाति की नहीं, काम की राजनीति चाहते हैं।”
पटना विश्वविद्यालय के एक छात्र ने कहा, “प्रशांत किशोर निश्चित रूप से NDA और महागठबंधन दोनों के वोटों में सेंध लगाएंगे, लेकिन सरकार बना पाना उनके लिए मुश्किल होगा।”
बिहार में जातीय राजनीति का इतिहास पुराना है। यहां हर दल की अपनी जातिगत पकड़ है — चाहे वह यादव, कुर्मी या सवर्ण वोट बैंक हो। ऐसे में प्रशांत किशोर एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में सामने आए हैं, जिनकी पार्टी का कोई पारंपरिक जातीय आधार नहीं है। हालांकि, JSP ने पूर्व IAS, IPS, वकील, और शिक्षाविदों जैसे उम्मीदवार उतारकर “साफ-सुथरी राजनीति” का संदेश देने की कोशिश की है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि प्रशांत किशोर के पास अभी संगठनात्मक मजबूती की कमी है, लेकिन उनका लगातार जनता से संवाद और गांव-गांव में बढ़ती पहचान उन्हें “किंगमेकर” की भूमिका में जरूर ला सकता है।
Key Points (मुख्य बातें):
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प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार की 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
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चुनावी वादों में शराबबंदी हटाना, रोजगार और शिक्षा प्रमुख मुद्दे हैं।
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जनता की राय बंटी हुई है — कुछ JSP को विकल्प मानते हैं, तो कुछ इसे भ्रम।
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जातीय राजनीति से परे जाकर प्रशांत किशोर “नई राजनीति” का दावा कर रहे हैं।






