Noida Supernova Project Case : नोएडा के सेक्टर-94 स्थित सुपरनोवा प्रोजेक्ट में अपने सपनों का आशियाना बुक कराने वाले सैकड़ों परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक बहुत बड़ी राहत की खबर आई है। वर्षों से अपने घर का इंतजार कर रहे 497 फ्लैट खरीदारों के चेहरे पर अब मुस्कान लौट आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने और खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश एमएम कुमार की अध्यक्षता में एक विशेष कमिटी का गठन किया है, जो अब इस पूरे प्रोजेक्ट की कमान संभालेगी।
खरीदारों के लिए लैंडमार्क फैसला
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सुपरनोवा ईस्ट और वेस्ट टावर के होम बायर्स के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। प्रोजेक्ट की एक होम बायर पल्लवी कौशिक ने इस फैसले को ‘लैंडमार्क ऑर्डर’ बताया है। कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक विशेष कमिटी बनाई है, जो सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में काम करेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कमिटी एक ‘टाइम बाउंड मैनर’ यानी तय समय सीमा के भीतर काम करेगी। खरीदारों को पूरी उम्मीद है कि अब अगले 3 से 3.5 साल के भीतर यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से कंप्लीट हो जाएगा और उन्हें उनके घर मिल जाएंगे।
रजिस्ट्री की राह हुई आसान
इस प्रोजेक्ट में करीब 487 ऐसे फ्लैट्स हैं, जिनकी रजिस्ट्री अभी तक नहीं हो पाई है। नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर के बीच बकाये को लेकर चल रही खींचतान में आम खरीदार पिस रहा था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रजिस्ट्री का रास्ता साफ होता दिख रहा है। पल्लवी कौशिक के मुताबिक, नोएडा अथॉरिटी की मदद से रुकी हुई रजिस्ट्रियां जल्द ही शुरू की जाएंगी। कोर्ट के आदेश से यह साफ हो गया है कि बकाये की वसूली के चक्कर में अब होम बायर्स की रजिस्ट्री नहीं रोकी जाएगी।
अथॉरिटी के बकाये और एस्क्रो अकाउंट का गणित
नोएडा अथॉरिटी का इस प्रोजेक्ट पर करीब 3400 करोड़ रुपये का बकाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि एक ‘एस्क्रो अकाउंट’ (Escrow Account) सेटअप किया जाएगा। इस अकाउंट में आने वाले पैसे से सबसे पहले क्रेडिटर्स का भुगतान होगा। भुगतान की प्राथमिकता सूची में नोएडा अथॉरिटी तीसरे नंबर पर है। यानी जैसे-जैसे प्रोजेक्ट बनेगा और पैसा आएगा, अथॉरिटी को उसका बकाया मिलता रहेगा। लेकिन अहम बात यह है कि अथॉरिटी को रजिस्ट्री प्रक्रिया तुरंत शुरू करने को कहा गया है, बकाया राशि इसमें बाधा नहीं बनेगी।
कमिटी ढूंढेगी नया डेवलपर
प्रोजेक्ट के बचे हुए निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए कोर्ट द्वारा गठित कमिटी अहम भूमिका निभाएगी। यह कमिटी डेवलपर्स को नोटिस जारी करेगी और किसी अच्छे डेवलपर की तलाश करेगी जो बाकी बचे काम को पूरा कर सके। जैसे ही कोई सक्षम डेवलपर मिलता है, रुका हुआ निर्माण कार्य फिर से शुरू हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का यह मॉडल यह सुनिश्चित करेगा कि प्रोजेक्ट अब और न लटके।
विश्लेषण: रियल एस्टेट में भरोसे की वापसी
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल सुपरनोवा प्रोजेक्ट के खरीदारों के लिए, बल्कि पूरे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक नजीर है। अक्सर देखा गया है कि बिल्डर और अथॉरिटी के बीच पैसों के विवाद में खरीदार को घर और रजिस्ट्री दोनों से वंचित रहना पड़ता है। लेकिन इस मामले में कोर्ट ने ‘बायर फर्स्ट’ की नीति अपनाते हुए अथॉरिटी के बकाये को बाद में रखने और रजिस्ट्री को प्राथमिकता देने का जो मॉडल पेश किया है, वह सराहनीय है। एस्क्रो अकाउंट और निगरानी समिति का गठन यह सुनिश्चित करता है कि फंड का सही इस्तेमाल हो। यह फैसला अन्य फंसे हुए प्रोजेक्ट्स के लिए भी आशा की किरण बन सकता है।
जानें पूरा मामला
नोएडा के सेक्टर-94 में बन रहे सुपरनोवा प्रोजेक्ट (ईस्ट और वेस्ट टावर) में सैकड़ों खरीदारों ने पैसा लगाया था, लेकिन प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हुआ और रजिस्ट्री भी अटक गई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने खरीदारों के हक में फैसला सुनाते हुए रिटायर्ड जस्टिस एमएम कुमार की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाकर प्रोजेक्ट पूरा करने और रजिस्ट्री शुरू करने का आदेश दिया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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सुप्रीम कोर्ट ने सुपरनोवा प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए जस्टिस एमएम कुमार की अध्यक्षता में कमिटी बनाई।
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प्रोजेक्ट को अगले 3 से 3.5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
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करीब 497 फ्लैट खरीदारों को राहत मिली है और रुकी हुई रजिस्ट्रियां जल्द शुरू होंगी।
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नोएडा अथॉरिटी का 3400 करोड़ का बकाया एस्क्रो अकाउंट के जरिए तीसरे नंबर की प्राथमिकता पर मिलेगा।
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अथॉरिटी के बकाये के कारण अब खरीदारों की रजिस्ट्री नहीं रोकी जाएगी।






