Raja Warring High Court Relief : पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग (SC Commission) द्वारा वड़िंग के खिलाफ चल रही पुलिस जांच में हस्तक्षेप करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। अब राजा वड़िंग को आयोग के सामने पेश होने की जरूरत नहीं होगी।
राजा वड़िंग ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर पंजाब एससी आयोग की कार्यवाही को चुनौती दी थी। वड़िंग के वकील निखिल ने बताया कि आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर पुलिस जांच में दखल दिया और अंतरिम आदेश जारी किए, जबकि आयोग के पास सिर्फ सलाह देने (Advisory) की शक्ति है। हाई कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद आयोग को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि वह पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर की जांच में कोई हस्तक्षेप न करे।
आयोग की शक्तियों पर सवाल
याचिका में तर्क दिया गया कि एससी आयोग एक वैधानिक निकाय है जिसकी शक्तियां सिफारिश करने तक सीमित हैं। वह किसी आपराधिक जांच में सीधे तौर पर दखल नहीं दे सकता और न ही जांच अधिकारियों को समन कर सकता है। कोर्ट ने माना कि जब पुलिस पहले से मामले की जांच कर रही है, तो आयोग का बार-बार अधिकारियों और वड़िंग को तलब करना सही नहीं है। इस आदेश के बाद अब आयोग अगले आदेश तक न तो पुलिस प्रशासन को बुला सकेगा और न ही वड़िंग पर दबाव बना सकेगा।
सियासी रंजिश का आरोप
राजा वड़िंग की तरफ से यह भी दलील दी गई कि यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि जब उपचुनावों के चलते आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू थी, तब सारी शक्तियां चुनाव आयोग के पास थीं। ऐसे समय में एससी आयोग द्वारा ताबड़तोड़ नोटिस भेजना और कार्रवाई करना उनके अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने राज्य सरकार का पक्ष भी सुना, जिसने बताया कि जांच जारी है, जिसके बाद कोर्ट ने वड़िंग के पक्ष में स्टे ऑर्डर दिया।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा विवाद गिद्दड़बाहा और बरनाला उपचुनाव के दौरान शुरू हुआ था। राजा वड़िंग ने एक जनसभा में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और दलित नेता स्वर्गीय बूटा सिंह के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। आरोप था कि वड़िंग ने बूटा सिंह के रंग और जाति को लेकर आपत्तिजनक शब्द कहे थे। इसके बाद एससी समाज में भारी रोष फैल गया था और जगह-जगह उनके पुतले फूंके गए थे। इस मामले में एससी आयोग ने स्वत: संज्ञान (Suo Moto) लेते हुए वड़िंग को तलब किया था और पुलिस से रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, वड़िंग ने बाद में माफी भी मांग ली थी, लेकिन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी थी।
मुख्य बातें (Key Points)
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हाई कोर्ट का स्टे: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एससी आयोग को राजा वड़िंग के मामले में दखल देने से रोक दिया है।
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जांच पर असर: पुलिस की एफआईआर जांच जारी रहेगी, लेकिन आयोग अब जांच अधिकारियों या वड़िंग को समन नहीं कर पाएगा।
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अधिकार क्षेत्र: कोर्ट में दलील दी गई कि आयोग का काम सिर्फ सिफारिश करना है, जांच में टांग अड़ाना नहीं।
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राहत: राजा वड़िंग और पुलिस अधिकारियों को अब आयोग के सामने बार-बार पेश नहीं होना पड़ेगा।






