Maha Magh Mela 2026 : प्रयागराज में 2026 में होने वाले महा माघ मेले से पहले संतों ने प्रशासन के सामने कुछ अहम और कड़े प्रस्ताव रखे हैं। उन्होंने प्रयागराज के एक बड़े हिस्से को पवित्र क्षेत्र घोषित करने और वहां मांस-मदिरा की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की जोरदार आवाज उठाई है। यह मांग सीधे तौर पर करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी है।
प्रयागराज की पावन धरती पर 2026 में आयोजित होने वाले महा माघ मेले को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस भव्य आयोजन से पहले, यहां के संत समाज ने क्षेत्र की पवित्रता और श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। संतों ने एक स्वर में प्रशासन से मांग की है कि प्रयागराज को आधिकारिक तौर पर ‘प्रयाग क्षेत्र’ घोषित किया जाना चाहिए।
इस घोषणा के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य एक विशिष्ट दायरे में ऐसी गतिविधियों को रोकना है, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं। संतों ने स्पष्ट किया है कि वे चाहते हैं कि इस पवित्र क्षेत्र में मांस, मदिरा (शराब) और अंडे की दुकानों पर पूरी तरह से निषेध लागू हो।
इन इलाकों में प्रतिबंध की मांग
संतों ने अपनी मांग में उन विशिष्ट इलाकों का भी जिक्र किया है, जहां वे यह प्रतिबंध चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि छतनाग से लेकर नाग बासुकी तक के क्षेत्र में यह नियम लागू होना चाहिए।
इसके अलावा, बहराना क्षेत्र से लेकर मनकामेश्वर मंदिर तक के इलाके में भी मांस, मदिरा और अंडे की कोई दुकान नहीं लगनी चाहिए। संतों का मानना है कि मेला क्षेत्र और उसके आसपास का वातावरण पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए।
गंगा प्रदूषण पर जताई चिंता
इन प्रतिबंधों के अलावा, संतों ने मां गंगा की स्वच्छता को लेकर भी अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने प्रशासन से दो टूक कहा है कि गंगा जी में होने वाले प्रदूषण को हर हाल में रोका जाना चाहिए।
संतों के अनुसार, चाहे वह बारिश का मौसम हो या साल का कोई अन्य समय, गंगा में गंदगी का प्रवाह बंद होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है और प्रशासन को उन भावनाओं की रक्षा करनी चाहिए।
इन मांगों का सीधा असर मेले में आने वाले लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं के अनुभव पर पड़ेगा। एक स्वच्छ और पवित्र वातावरण न केवल उनकी आस्था को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा कदम होगा।
मुख्य बातें (Key Points)
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संतों ने प्रयागराज को आधिकारिक रूप से ‘प्रयाग क्षेत्र’ घोषित करने की मांग की है।
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छतनाग से नाग बासुकी और बहराना से मनकामेश्वर तक मांस, मदिरा और अंडे की बिक्री पर रोक लगे।
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गंगा नदी में वर्षा काल समेत हर मौसम में प्रदूषण को रोकने की सख्त हिदायत दी गई है।
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संतों ने प्रशासन से लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने की अपील की है।






