Punjab Land Pooling Policy को लेकर पंजाब सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) के सरकारी आवास पर हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में सोमवार को लैंड पूलिंग पॉलिसी (Land Pooling Policy) को मंजूरी दे दी गई। इस नीति के तहत किसानों को अब जबरन जमीन नहीं देनी पड़ेगी, बल्कि वे खुद डिवेलपर (Developer) बन सकेंगे। यह पॉलिसी राज्य के 27 प्रमुख शहरों में पहले चरण में लागू की जा रही है।
बैठक के बाद गृह व शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा (Aman Arora) ने बताया कि यह नीति पूरी तरह स्वैच्छिक होगी। यानी कोई भी किसान तभी इस प्रक्रिया में भाग लेगा, जब वह खुद लिखित सहमति (NOC) देगा। जब तक किसान सहमति नहीं देगा, तब तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। इस पहल का मकसद किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें लैंड माफिया (Land Mafia) से बचाना है।
अब तक किसानों की जमीनें प्राइवेट डेवलपर्स कम कीमत पर खरीदकर कई गुना दामों पर बेचते थे, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता था। लेकिन इस नीति के जरिए किसान सीधे सरकार से समझौता करेगा। सरकार किसानों की जमीन को पूरी तरह आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर (Modern Infrastructure) के साथ विकसित कर वापस देगी।
नीति के अनुसार, किसान की कुल जमीन का एक-तिहाई हिस्सा डेवलप करके लौटाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी किसान के पास 9 एकड़ जमीन है, तो उसे 3 एकड़ विकसित भूमि दी जाएगी। इसमें प्रति एकड़ 1000 गज रेजिडेंशियल (Residential) और 200 गज कॉमर्शियल (Commercial) प्लॉट शामिल होंगे। इनकी बाजार कीमत लगभग 4.2 करोड़ रुपये हो सकती है, जबकि पहले किसान को सिर्फ 30 लाख रुपये प्रति एकड़ के कलेक्टर रेट पर समझौता करना पड़ता था।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि किसी किसान के पास 50 एकड़ से अधिक जमीन है, तो वह उसका 60 प्रतिशत हिस्सा, यानी 30 एकड़ सरकार को दे सकता है और खुद डिवेलपमेंट (Self Development) कर सकता है। इसमें से वह 20 प्रतिशत हाउसिंग (Housing) और 5 प्रतिशत कॉमर्शियल एरिया (Commercial Area) छोड़कर बाकी 65 प्रतिशत जमीन पर प्लॉटिंग कर सकता है। इससे किसानों को एक नई पहचान और नई आय के स्रोत मिल सकते हैं।
इस लचीली और पारदर्शी नीति से न सिर्फ किसानों को फायदा मिलेगा, बल्कि शहरी विकास के क्षेत्र में भी एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। पंजाब सरकार का यह कदम किसानों को अर्थव्यवस्था (Economy) में भागीदार बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।