Bangladesh Yunus Govt Warns Media को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक बेहद कड़ा फरमान जारी किया है, जिससे प्रेस की आजादी पर सवाल खड़े हो गए हैं। बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सजा सुनाए जाने के बाद हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने न केवल बांग्लादेशी मीडिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान खींचा है। यूनुस सरकार ने देश के सभी मीडिया संस्थानों को शेख हसीना के भाषण या बयान प्रसारित करने से साफ मना कर दिया है और ऐसा करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है।
मीडिया को सीधी चुनौती
बांग्लादेश की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी (NCSA) ने एक आदेश जारी कर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट मीडिया को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के किसी भी बयान को प्रसारित न करें। एजेंसी ने इसके पीछे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ और ‘कानून व्यवस्था’ का हवाला दिया है। सरकार का कहना है कि ऐसे बयान देश में अस्थिरता फैला सकते हैं, लेकिन आलोचक इसे विपक्ष की आवाज़ को दबाने की एक कोशिश मान रहे हैं।
भारत के लिए भी अहम है यह फैसला
यह फरमान भारत के लिए भी मायने रखता है क्योंकि शेख हसीना लगातार भारतीय मीडिया के संपर्क में हैं और हाल ही में उनका एक इंटरव्यू भी सामने आया था। इस पर यूनुस सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी और भारतीय उच्च राजनयिक को तलब भी किया था। हालांकि, भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि भारतीय मीडिया पूरी तरह से स्वतंत्र है। अब अपनी फजीहत होने के बाद यूनुस सरकार ने अपने ही देश की मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है।
कड़े दंड का प्रावधान
सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कोई मीडिया संस्थान ‘दोषी’ या ‘भगोड़े’ व्यक्तियों (जैसे शेख हसीना) के बयान प्रसारित करता है, तो इसे साइबर सुरक्षा अध्यादेश का उल्लंघन माना जाएगा। अधिकारियों को अधिकार दिया गया है कि वे ऐसी किसी भी सामग्री को हटा दें या ब्लॉक कर दें जो राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा हो। इतना ही नहीं, नियमों का उल्लंघन करने पर 2 साल तक की सजा और 10 लाख टका तक के जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है।
पत्रकारों ने जताई चिंता
यूनुस सरकार के इस रवैये पर दुनिया भर के पत्रकारों ने चिंता जताई है। 102 पत्रकारों के एक समूह ने शेख हसीना के खिलाफ चल रही न्यायिक प्रक्रिया को ‘पक्षपाती’ और ‘अपारदर्शी’ बताया है। उनका कहना है कि जब न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पाती, तो लोकतंत्र और मानवाधिकार खतरे में पड़ जाते हैं। मीडिया पर लगाई गई यह पाबंदी बताती है कि बांग्लादेश में अब प्रेस की स्वतंत्रता भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
जानें पूरा मामला
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली है। हाल ही में वहां के ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के खिलाफ सख्त फैसले सुनाए हैं, जिसके बाद देश में उनके समर्थक सड़कों पर हैं। शेख हसीना ने देश छोड़ने के बाद भी मीडिया के जरिए अपनी बात रखनी जारी रखी, जिससे मौजूदा सरकार असहज महसूस कर रही है। इसी बौखलाहट में अब मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का यह तानाशाही फैसला लिया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने मीडिया को शेख हसीना के बयान प्रसारित न करने की चेतावनी दी है।
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नियम तोड़ने पर 2 साल की जेल और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान है।
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सरकार ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का मामला बताया, जबकि आलोचक इसे प्रेस की आजादी पर हमला मान रहे हैं।
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दुनिया भर के 100 से ज्यादा पत्रकारों ने बांग्लादेश की न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।






