Balwant Singh Rajoana Death Sentence – पंजाब (Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की फांसी की सजा पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होनी थी। हालांकि, आज भी कोर्ट ने इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया।
राजोआना ने “असाधारण” और “अनुचित देरी” का हवाला देते हुए अपनी मौत की सजा माफ करने की अपील की है। उनका कहना है कि भारत सरकार (Government of India) ने उनकी दया याचिका (Mercy Petition) पर फैसला लेने में बेहद लंबा वक्त लिया है।
राजोआना 29 साल से जेल में, 15 साल से फांसी की सजा का इंतजार
1995 से जेल में बंद राजोआना की दया याचिका पिछले 15 सालों से विचाराधीन है। पिछली सुनवाई में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Senior Advocate Mukul Rohatgi) ने कोर्ट में दलील दी कि यह मामला पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे (Ex-CJI S.A. Bobde) के कार्यकाल से लंबित है।
उन्होंने कहा, “राजोआना पिछले 29 वर्षों से जेल में हैं और 15 साल से मौत की सजा का सामना कर रहे हैं। अब उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।”
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी.आर. गवई (Justice B.R. Gavai) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “या तो सरकार फैसला ले, अन्यथा हम इस मामले की मेरिट पर सुनवाई करेंगे।”
कोर्ट ने आगे कहा, “हर मामला एक जैसा नहीं होता। कैद-ताउम्र की सजा का विकल्प भी खुला है।”
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
- 18 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि राष्ट्रपति (President) के पास लंबित दया याचिका पर दो हफ्तों के भीतर निर्णय लिया जाए।
- कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर तय समय सीमा में दया याचिका पर फैसला नहीं हुआ, तो वह अंतरिम राहत पर विचार करेगा।
- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने तब सरकार की तरफ से कहा कि मामला संवेदनशील है और आदेश को सार्वजनिक न करने की अपील की थी।
राजोआना के वकील ने कोर्ट में रखे ये तर्क
राजोआना की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि सरकार की देरी “चौंकाने वाली” है।
उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया:
✅ “राजोआना पिछले 29 सालों से जेल में हैं। उन्हें 1996 में दोषी ठहराया गया था।”
✅ “अगर सुप्रीम कोर्ट ने अन्य लोगों की सजा उम्रकैद में बदली है, तो राजोआना को भी राहत दी जानी चाहिए।”
✅ “अब उन्हें कम से कम 6 महीने के लिए रिहा किया जाए ताकि वे देख सकें कि बाहर क्या चल रहा है।”
सरकार ने किया दया याचिका का विरोध
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राजोआना को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने का विरोध किया।
राजोआना की याचिका में यह भी कहा गया है कि:
- उन्होंने 28 साल 8 महीने की सजा काट ली है।
- 17 साल उन्होंने “डेथ सेल” (Death Cell) में बिताए, जिसमें 2.5 साल एकांत कारावास में गुजरे।
बेअंत सिंह हत्याकांड और राजोआना की भूमिका
31 अगस्त 1995 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या एक बम धमाके में हुई थी।
बलवंत सिंह राजोआना के बयान के अनुसार:
- पंजाब पुलिस के पूर्व कर्मचारी दिलावर सिंह (Dilawar Singh) और उन्होंने मिलकर बेअंत सिंह को “ह्यूमन बम” से उड़ाने की साजिश रची थी।
- दिलावर सिंह ने आत्मघाती हमला किया था।
- अगर दिलावर फेल हो जाता, तो राजोआना को हमला करना था।
- कोर्ट ने उन्हें 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी।
अब क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है।
आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि:
✅ राजोआना की फांसी की सजा माफ होगी या नहीं?
✅ क्या उनकी सजा को उम्रकैद में बदला जाएगा?
✅ या उन्हें अंतरिम राहत देकर कुछ समय के लिए रिहा किया जाएगा?