आनंद मोहन की रिहाई पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि IAS अफसर जी कृष्णैया की मॉब द्वारा हत्या कर दी गई थी और आज बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है उससे उनकी दोबारा हत्या की जा रही है। CM नीतीश कुमार और RJD नेता तेजस्वी यादव यह भूल रहे हैं कि उस समय किसकी सरकार थी। क्या लालू यादव उस समय जी कृष्णैया की पत्नी से मिले थे? आखिर क्या वजह है कि एक आदमी को छोड़ने के लिए आप कानून में संशोधन कर रहे हैं?
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असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 5 दिसंबर 1994 को एक दलित आईएएस की हत्या की गई, जब वह महज 37 साल का था। आखिर अब कौन सा आईएएस अधिकारी बिहार में जान जोखिम में डालेगा। कृष्णैया ने मजदूरी कर पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा कि वह कृष्णैया के परिवार के साथ हैं और ये भी उम्मीद करते हैं कि एक बार फिर इस मामले को लेकर सोचा जाएगा।
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वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार के पूर्व सांसद आनंद मोहन से संबंधित संशोधन के खिलाफ जनहित याचिका पर एडवोकेट और जनहित याचिकाकर्ता अलका वर्मा ने कहा कि इसका प्रयोजन क्या है? ऐसा कोई भी संशोधन जनहित में होना चाहिए, ये जनहित में नहीं है। यह मनमानी कार्रवाई है। यह संशोधन मनमाना है और यह अनुचित है।