Ultra Processed Food Health Risks : अगर आप यह सोचते हैं कि जिम में एक घंटा पसीना बहाकर आप बर्गर और चिप्स के नुकसान से बच सकते हैं, तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं। एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि आपकी प्लेट में सजा हुआ फास्ट फूड सिर्फ पेट नहीं भर रहा, बल्कि चुपके से आपके शरीर के हर अंग को बीमार कर रहा है। यह खबर आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि जिसे आप ‘स्वाद’ समझ रहे हैं, वह असल में एक ‘धीमा ज़हर’ तो नहीं?
चिप्स, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज और कोल्ड ड्रिंक… आज कल हर घर में, हर हाथ में ये चीजें आम हो गई हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि फैक्ट्रियों में तैयार होने वाला यह खाना आपके शरीर के साथ क्या कर रहा है?
‘बीमारियों का सीधा कनेक्शन’
लैंसेट (Lancet) की एक नई और बेहद गंभीर रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट साफ तौर पर कहती है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड (Ultra Processed Food) खाने का सीधा संबंध कई खतरनाक बीमारियों से है।
वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह खाना न सिर्फ बच्चों और बड़ों में मोटापे का कारण बन रहा है, बल्कि यह हार्ट (दिल) की बीमारियों, टाइप-2 डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, किडनी की बीमारी और यहां तक कि अवसाद (Depression) को भी तेजी से बढ़ा रहा है। यह बीमारियां एक वायरस की तरह नहीं, बल्कि आपकी खराब खान-पान की आदतों के कारण शरीर के अंदर ही पनप रही हैं।
‘विज्ञापनों का मायाजाल’
हैरानी की बात यह है कि ये कंपनियां आपको यह सच कभी पता नहीं चलने देतीं। वीडियो में एक चौंकाने वाला आंकड़ा दिया गया है: साल 2024 में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड बनाने वाली केवल तीन बड़ी कंपनियों ने अपने विज्ञापनों पर 13.2 बिलियन डॉलर खर्च किए।
भारतीय रुपयों में यह रकम करीब सवा लाख करोड़ रुपये होती है। अंदाजा लगाइए, यह राशि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पूरे ऑपरेटिंग बजट से चार गुना ज्यादा है। इतना पैसा सिर्फ आपको यह समझाने के लिए खर्च किया जाता है कि “इन चीजों को खाने से कुछ नहीं होता, बस कसरत करते रहो।”
‘क्या है अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड?’
अक्सर हम समझ नहीं पाते कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आखिर है क्या? इसे समझने के लिए वीडियो में ‘नोवा क्लासिफिकेशन’ (NOVA Classification) का उदाहरण दिया गया है।
जैसे, खेत से आई मक्के की बाली ‘मिनिमल प्रोसेस्ड’ है। अगर इसे डिब्बे में बंद कर दिया जाए तो यह ‘प्रोसेस्ड’ हो जाती है। लेकिन जब इसी मक्के से मशीन में प्रक्रिया करके ‘चिप्स’ बना दिए जाते हैं, तो वह ‘अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड’ बन जाता है। ठीक वैसे ही, आलू सब्जी बने तो ठीक, लेकिन जब वह फैक्ट्री में जाकर फ्रेंच फ्राइज बनता है और उसमें कई तरह के केमिकल और फ्लेवर मिल जाते हैं, तो वह खतरनाक हो जाता है। इसी तरह गेहूं का आटा ठीक है, लेकिन उससे बनी कुकीज़ और बिस्किट अल्ट्रा प्रोसेस्ड श्रेणी में आते हैं।
‘जागरूकता नहीं, नीति की जरूरत’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अब सिर्फ जागरूकता फैलाने से काम नहीं चलेगा। कंपनियों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे सरकारों और नीतियों को भी प्रभावित करती हैं। ब्राजील का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि वहां फूड इंडस्ट्री ने चुनाव में सांसदों को इतना चंदा दिया कि जब कानून बनाने की बारी आई, तो आधे सांसद उन्हीं कंपनियों के कर्जदार निकले।
अमेरिका में भी कोका-कोला और पेप्सीको जैसी कंपनियों ने लॉबिंग पर अरबों रुपये खर्च किए। यह सब इसलिए किया जाता है ताकि सरकारें इन हानिकारक खानों पर कोई सख्त कानून न बना सकें।
‘कसरत भी नहीं बचा पाएगी’
बहुत से लोग, और यहां तक कि कुछ वैज्ञानिक भी (जो इन कंपनियों से फंड लेते हैं), यह तर्क देते हैं कि लोग आलसी हैं, कसरत नहीं करते, इसलिए बीमार हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप ज़हर खा रहे हैं, तो दौड़ने से वह अमृत नहीं बन जाएगा।
जैसे सिगरेट पीने वाला यह सोचकर नहीं बच सकता कि वह ट्रेडमिल पर दौड़ लेगा, वैसे ही अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खाने वाला कसरत करके इसके दुष्प्रभावों से नहीं बच सकता। आपके शरीर के हर ऑर्गन सिस्टम—दिल, दिमाग, पेट, बाल और चमड़ी—पर इसका बुरा असर पड़ता है।
‘क्या है पृष्ठभूमि’
दुनिया भर में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और सेहत के गिरते स्तर को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। लैंसेट जर्नल ने हाल ही में तीन शोध पत्रों की एक सीरीज प्रकाशित की है, जिसमें दुनिया के 20 देशों के 40 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। भारत के डॉ. अरुण गुप्ता जैसे विशेषज्ञों के शोध को भी इसमें शामिल किया गया है। यह रिपोर्ट साबित करती है कि कैसे कॉर्पोरेट जगत अपने मुनाफे के लिए विज्ञान और राजनीति का इस्तेमाल कर आम जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का संबंध हार्ट, किडनी और डिप्रेशन जैसी बीमारियों से है।
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कंपनियां विज्ञापनों पर WHO के बजट से 4 गुना ज्यादा पैसा खर्च करती हैं।
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अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड (जैसे चिप्स, बिस्किट) घर के सामान्य खाने से बिल्कुल अलग और हानिकारक हैं।
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सिर्फ कसरत करने से इन खानों के बुरे प्रभावों से नहीं बचा जा सकता।






