Khalistan Rally : बैसाखी से एक दिन पहले पंजाब (Punjab) के मानसा (Mansa) में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर माहौल गर्म हो गया है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) [Shiromani Akali Dal (Amritsar)] के बैनर तले ‘खालिस्तान जिंदाबाद रैली’ [Khalistan Zindabad Rally] निकाली जा रही है, जिसका नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान (Simranjit Singh Mann) कर रहे हैं। यह रैली तलवंडी साबो (Talwandi Sabo) तक जाएगी। इस आयोजन ने प्रशासन और खुफिया एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने खालिस्तान समर्थक बयानों पर कड़ी चेतावनी दी थी। इसके बावजूद अकाली दल (अमृतसर) के नेता सीरा ढिल्लों (Seera Dhillon) ने ऐलान किया कि वे खालिस्तान का मुद्दा उठाना बंद नहीं करेंगे। ढिल्लों ने कहा कि सिखों के संवैधानिक अधिकारों और आज़ादी की बात करना उनका वैचारिक हक है और केंद्र की धमकियों से वे डरने वाले नहीं हैं।
इस रैली का समय और स्थान अभी स्पष्ट नहीं किया गया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ गई है। बैसाखी के मौके पर तलवंडी साबो में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं, ऐसे में किसी भी तरह की अव्यवस्था या विरोध प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड में है। सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) इस रैली के जरिए अपने समर्थन आधार को पुनः सक्रिय करना चाहता है। पार्टी लंबे समय से किसी संवैधानिक पद पर नहीं है और अब जब अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने अपनी अलग पार्टी घोषित कर दी है, तब सिमरनजीत सिंह मान के लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखना चुनौती बन चुका है। ऐसे में यह रैली सिर्फ राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि वैचारिक अस्तित्व की लड़ाई भी बन गई है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को इस रैली को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। पुलिस और खुफिया एजेंसियां हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन रैली की गंभीरता को देखते हुए हर स्तर पर रणनीति तैयार की जा रही है।
यह रैली पंजाब की राजनीति में एक बार फिर खालिस्तान मुद्दे को चर्चा के केंद्र में ले आई है। जहां एक ओर सरकार इसे देश की अखंडता के लिए खतरा मानती है, वहीं दूसरी ओर सिमरनजीत मान जैसे नेता इसे सिखों के अधिकार की आवाज़ बताते हैं। बैसाखी के पावन पर्व से पहले होने वाली यह रैली निश्चित तौर पर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है।