मुख्तार पर अखिलेश का बदला स्टैंड, आठ साल पहले अंसारी परिवार के….

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मुख्तार पर अखिलेश का बदला स्टैंड, आठ साल पहले अंसारी परिवार के चलते चाचा-पिता से भिड़ गए थे

नई दिल्‍ली, 8 अप्रैल (The News Air) बाहुबली मुख्तार अंसारी के निधन के एक सप्ताह के बाद रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गाजीपुर के मोहम्मदाबाद पहुंचकर अंसारी परिवार से मुलाकात कर शोक संवेदना जाहिर की. इस दौरान अखिलेश ने मुख्तार की कस्टोडियल डेथ को लेकर सवाल उठाए और कहा कि दुख की घड़ी में अंसारी परिवार के साथ वो खड़े हैं. हालांकि, आठ साल पहले मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में शिवपाल यादव ने विलय कराया तो अखिलेश ने पिता-चाचा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. इसके चलते अंसारी परिवार की सपा में एंट्री रद्द करनी पड़ी थी. ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्तार पर अखिलेश का स्टैंड क्यों बदल गया है?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी अलग तरह की छवि गढ़ने में जुटे हुए थे. इसके चलते सूबे के बाहुबली और दागी नेताओं से पूरी तरह दूरी बना रहे थे. ऐसे में 21 जून 2016 में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी और उनके बेटे अब्बास अंसारी को शिवपाल यादव ने सपा में शामिल कराया था. साथ ही मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का भी सपा में विलय किया गया. इस दौरान अखिलेश जौनपुर में थे और उन्होंने कहा था कि सपा में किसी के विलय की जरूरत नहीं है. सपा अपने दम पर चुनाव जीते, किसी भी बाहुबली को लेने की जरूरत नहीं है.

अंसारी परिवार और कौमी एकता दल के सपा में विलय कराने की मध्यस्थता करने वाले पार्टी नेता बलराम यादव को अखिलेश यादव ने अपनी कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था. इतना ही नहीं अंसारी परिवार के सपा में शामिल होने से एक दिन पहले मुख्तार को आगरा से लखनऊ जेल में ट्रांसफर किया गया था, जिस पर अखिलेश ने तत्कालीन जेल मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया से भी गुस्सा जाहिर किया था. अखिलेश यादव ने कहा था कि मुख्तार जैसे लोगों की जरूरत सपा को नहीं है. इसके चलते ही शिवपाल और अखिलेश में काफी अनबन हो गई थी.

अखिलेश यादव की नारजगी का असर यह हुआ था कि मुख्तार की पार्टी के सपा में विलय के फैसले को रद्द करना पड़ा था. मुख्तार के परिवार ने भी अखिलेश यादव के खिलाफ सख्त रुख अख्तिार किया था और फिर बसपा में शामिल हो गए थे. पूर्वांचल के क्षेत्र में 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा को सियासी नुकसान भी उठाना पड़ गया था.

अखिलेश का अब कैसे बदला स्टैंड

यूपी की सत्ता हाथ से जाने के बाद अखिलेश यादव का मुख्तार अंसारी के प्रति सियासी स्टैंड बदलने लगा था. 2019 के चुनाव में मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से बसपा से चुनाव लड़ रहे थे. अखिलेश यादव ने अफजाल अंसारी के पक्ष में गाजीपुर जाकर प्रचार किया था. यहीं से मुख्तार परिवार के प्रति उनकी हिचक टूटने लगी. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्तार परिवार से नजदीकी काफी बढ़ गई. मुख्तार के बड़े भाई सिबहतुल्लाह अंसारी सपा में शामिल हो गए.

सिबहतुल्लाह के बेटे मन्नू अंसारी को सपा ने 2022 में मोहम्मदाबाद सीट से टिकट दिया जबकि मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी सपा की सहयोगी सुभासपा के टिकट पर मऊ सीट से चुनावी मैदान में उतरे. अब्बास और मन्नू दोनों ही जीतने में सफल रहे. आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में अब्बास अंसारी ने सपा के पक्ष में जमकर प्रचार भी किया था. अफजाल अंसारी को अखिलेश ने गाजीपुर सीट से प्रत्याशी भी बना दिया. हालांकि, अफजाल ने अभी तक सपा की सदस्यता तक नहीं ली. ऐसे में रविवार को अखिलेश गाजीपुर पहुंचकर सिर्फ मुख्तार को श्रद्धांजलि ही नहीं दी, बल्कि मौत की जांच सीटिंग जज से करवाने की मांग भी कर दी. इस दौरान मुख्तार के बेटे उमर से भी मुलाकात की.

मुख्तार परिवार के साथ अखिलेश

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर कहा कि अब तक जो भी हुआ है, वो सवाल खड़े करता है. इन सवालों का जवाब यूपी सरकार के पास नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार भेदभाव पूर्ण रवैया अपना रही है. कस्टोडियल डेथ के मामले यूपी अन्य प्रदेशों से आगे निकलने की रेस में है. अखिलेश ने कहा कि मुख्तार अंसारी लंबे समय से जेल में थे. उन्होंने खुद को जहर दिए जाने की बात कही थी. यूपी सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने नागरिक को सुरक्षा नहीं दे पाती हो, वह जानता की सरकार नहीं हो सकती है. अखिलेश यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की अगुवाई में अगर जांच होगी, तभी मुख्तार की मौत से जुड़ा सच सामने आ पाएगा.

आठ साल के बाद अखिलेश यादव का स्टैंड मुख्तार अंसारी परिवार के प्रति पूरी तरह से बदल गया है और सपा के एजेंडे में शामिल हो गया हैं. 28 तारीख को बीमारी के चलते मुख्तार की मौत पर अखिलेश की प्रतिक्रिया सधी हुई थी. उन्होंने मौत पर तो सवाल उठाए, लेकिन बिना नाम लिए. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद से मोहम्मदाबाद आकर मुख्तार अंसारी के परिवार से मुलाकात कर दुख जाहिर किया तो उसके बाद ही सारा नाजारा बदला. दूसरे दिन ही अखिलेश ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव सहित अन्य सपा नेताओं को मुख्तार के घर गाजीपुर भेजा ताकि मुख्तार के निधन से उपजी सहानुभूति का फायदा ओवैसी न उठा ले जाएं.

सहानुभूति का फायदा मिलेगा

अखिलेश यादव रविवार को गाजीपुर में मुख्तार के बेटे उमर अंसारी के साथ नजर आए तो उसे सियासी नजरिए से देखा जा रहा है. पूर्वांचल की तीन लोकसभा सीटों पर सीधे मुख्तार परिवार का दखल है. गाजीपुर, बलिया और घोसी लोकसभा सीट पर खास असर है. बलिया लोकसभा क्षेत्र में मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट आती है, जहां से मन्नू अंसारी सपा से विधायक हैं. घोसी लोकसभा क्षेत्र में मऊ विधानसभा सीट आती है, जहां से अब्बास अंसारी विधायक हैं. गाजीपुर लोकसभा सीट से खुद अफजाल अंसारी सांसद हैं. इस तरह सपा के रणनीतिकारों को लग रहा है कि इन तीनों लोकसभा सीटों में सहानुभूति का फायदा मिल सकता है. इससे पूर्वांचल के बाकी इलाकों में मुस्लिम समुदाय से सपा को लाभ मिल सकता है.

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