Yogi Adityanath Political Journey : उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता संभालने वाले एक संन्यासी की यह कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। एक साधारण गणित का छात्र कैसे ‘बुलडोजर बाबा’ और सख्त प्रशासक के रूप में उभरा, यह सफर न केवल दिलचस्प है बल्कि भारतीय राजनीति के बदलते स्वरूप का एक बड़ा उदाहरण भी है।
यह कहानी है अजय सिंह बिष्ट की, जो आज दुनिया भर में योगी आदित्यनाथ के नाम से जाने जाते हैं। 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में जन्मे अजय के पिता वन विभाग में रेंजर थे। युवावस्था में अजय पढ़ाई में तेज थे और उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में ग्रेजुएशन किया। लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था।
‘आस्था की ओर मुड़ी राह’
साल 1994 अजय के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। वे गोरखपुर के गोरखनाथ मठ पहुंचे और महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। यहीं पर अजय का नया जन्म हुआ और वे ‘योगी आदित्यनाथ’ बन गए।
इसके बाद 1998 में उन्होंने राजनीति में अपना पहला कदम रखा। मात्र 26 साल की उम्र में वे गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद जीत का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक नहीं थका है। 1999, 2004, 2009 और 2014—लगातार पांच बार वे सांसद चुने गए।
‘2017: सत्ता का महापरिवर्तन’
योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक जीवन में सबसे बड़ा मोड़ साल 2017 में आया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह वह दौर था जब यूपी की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई। अपने पहले कार्यकाल में ही उन्होंने कानून व्यवस्था पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई। एनकाउंटर पॉलिसी, एंटी रोमियो स्क्वाड और अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई जैसे फैसलों ने उन्हें एक सख्त प्रशासक की छवि दी।
‘इतिहास रचने वाली वापसी’
अक्सर यूपी में सरकारें बदलती रहती थीं, लेकिन 2022 में योगी ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। बीजेपी 273 सीटों के साथ दोबारा सत्ता में लौटी और योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार सीएम बनने वाले उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।
अपने दूसरे कार्यकाल में उनकी प्राथमिकताएं और बड़ी हो गई हैं। सड़कें, एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के जरिए वे यूपी को 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
‘साधु से प्रशासक तक’
योगी आदित्यनाथ की पहचान अब सिर्फ एक राजनेता की नहीं, बल्कि एक विचारधारा के प्रतीक की बन चुकी है। उनकी कार्यशैली एकदम स्पष्ट है—जो सही लगे, उसके लिए खुलकर बोलो। 2002 में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था, जिसने पूर्वांचल में उनकी पकड़ को मजबूत किया।
आज उनकी छवि एक ऐसे नेता की है जो हिंदुत्व, सख्त कानून और तेज विकास के तीन स्तंभों पर खड़ा है। उनका हालिया बयान “बटेंगे नहीं तो कटेंगे नहीं” और “माफिया को मिट्टी में मिला देंगे” उनकी इसी आक्रामक और स्पष्टवादी शैली का परिचायक है।
‘जानें पूरा मामला’
यह खबर योगी आदित्यनाथ के 1998 से लेकर 2022 तक के राजनीतिक सफर पर आधारित है। वीडियो में उनके बचपन, शिक्षा, संन्यास और फिर मुख्यमंत्री बनने तक के घटनाक्रम को विस्तार से बताया गया है। इसमें उनकी प्रशासनिक शैली, माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई और यूपी के विकास के लिए उठाए गए कदमों का विश्लेषण किया गया है, जो उन्हें भारतीय राजनीति का एक अहम चेहरा बनाता है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है और वे गणित में ग्रेजुएट हैं।
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1998 में मात्र 26 साल की उम्र में वे पहली बार सांसद बने थे।
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वे लगातार दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं।
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उनकी राजनीति मुख्य रूप से कानून व्यवस्था और हिंदुत्व पर केंद्रित है।






