AIMIM Third Front Bihar Elections: बिहार (Bihar) में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन दोनों से दूरी बना ली है और तीसरे मोर्चे (Third Front) की तैयारी शुरू कर दी है। AIMIM के विधायक अख्तरुल ईमान (Akhatarul Iman) ने साफ तौर पर कहा है कि पार्टी अब अपने दम पर मैदान में उतरेगी।
तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की अगुवाई वाले महागठबंधन (Mahagathbandhan) से गठबंधन की कोशिशें तब विफल हो गईं जब AIMIM को लगातार महागठबंधन की बैठकों में आमंत्रण नहीं मिला। पटना (Patna) में महागठबंधन के घोषणापत्र समिति की बैठक में AIMIM को न बुलाए जाने के बाद पार्टी ने अलग राह चुनने का फैसला किया। अख्तरुल ईमान ने कहा कि उनकी पार्टी ने महागठबंधन से प्रस्ताव की प्रतीक्षा की थी, लेकिन भाव नहीं मिला। अब पार्टी NDA और महागठबंधन दोनों से अलग होकर तीसरा मोर्चा बनाएगी।
गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) में AIMIM ने उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की RLSP, मायावती (Mayawati) की BSP, देवेंद्र प्रसाद यादव की SJDD, ओमप्रकाश राजभर की SBSP और संजय चौहान की जनवादी पार्टी (Janwadi Party) के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (Grand Democratic Secular Front) बनाया था। इस गठबंधन में AIMIM ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीती थीं। हालांकि बाद में RJD ने AIMIM के 4 विधायकों को अपने पाले में मिला लिया था।
अब स्थिति यह है कि अख्तरुल ईमान AIMIM के अकेले विधायक हैं और वे पार्टी की नई रणनीति के साथ तीसरे मोर्चे के नेतृत्व की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी बिहार में सेक्युलर वोटों के बंटवारे को रोकने की इच्छुक थी, लेकिन जब उन्हें महागठबंधन से महत्व नहीं मिला, तो उन्होंने स्वतंत्र मार्ग पर चलने का फैसला किया।
इस घटनाक्रम से NDA खेमे में राहत की लहर है। अगर AIMIM महागठबंधन से अलग हो जाती है तो मुस्लिम वोटों का विभाजन होगा, जिससे NDA को कुछ सीटों पर सीधा फायदा मिल सकता है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन के लिए यह संकेत है कि संभावित सहयोगी दल भी अब उनसे दूरी बना रहे हैं।






