विजीलैंस ब्यूरो द्वारा ए.आई.जी मालविंदर सिंह सिद्धू का साथी बलवीर सिंह गिरफ्तार

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विजीलैंस Vigilance Bureau
विजीलैंस

चंडीगढ़, 24 जनवरी (The News Air) पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने फरार आरोपी बलवीर सिंह निवासी गांव आलमपुर, जिला पटियाला को गिरफ्तार कर लिया है, जिस पर मालविंदर सिंह सिद्धू, एआईजी, मानवाधिकार, पंजाब पंजाब का करिंदा था। वह उक्त पुलिस अधिकारी के आदेश पर विभिन्न विभागों में कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने और उन्हें पैसे के लिए ब्लैकमेल करने के लिए विजीलैंस द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार और आपराधिक मामले में वांछित था।।

इस संबंध में जानकारी देते विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि अदालत से बलवीर सिंह का 5 दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया है ताकि उसके पास रखे हथियार बरामद किए जा सकें और इस मामले में अन्य लोगों को भी भागीदारीका पता लगाया जा सके।

प्रवक्ता ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि ब्यूरो ने विजिलेंस जांच के आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की धारा 7, 7-ए धारा 384, 419, 420, 120-बी, 201 के तहत एफआईआर नंबर 28, दिनांक 30. 10. 2023 को थाना विजिलेंस ब्यूरो, उड़न दस्ता-1, पंजाब, एसएएस नगर में दर्ज किया गया है।

इस मामले में उक्त एआईजी सिद्धू, उनके सहयोगी बलवीर सिंह और अन्य आरोपी शामिल हैं। गौरतलब है कि उक्त मामले में ए.आई.जी. सिद्धू पहले से ही न्यायिक हिरासत में है।

उन्होंने आगे कहा कि जांच के दौरान पता चला कि ए.आई.जी सिद्धू ने खुद को गलत तरीके से आईजीपी, विजिलेंस ब्यूरो, पंजाब बताया। जबकि ये पुलिस अधिकारी 2017 के बाद कभी भी विजिलेंस ब्यूरो, पंजाब में एआईजी या आईजी नहीं रहे हैं।।
उक्त आरोपी बलवीर सिंह और अन्य ने मिलकर सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज करना शुरू कर दिया, ताकि उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके और इन शिकायतों को वापस लेने के बदले में उनसे पैसे वसूले जा सकें।

उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ए.आई.जी. सिद्धू ने सरकारी गाड़ी ‘आर्टिगा’ (पीबी-65-ए डी-1905) का दुरुपयोग किया था और गाड़ी का तेल और अन्य खर्च सरकारी खाते से किया था।उन्होंने उक्त वाहन के उपयोग का कभी भी रिकॉर्ड (लॉग-बुक) नहीं रखा, जो सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग है।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि उक्त आरोपी बलवीर सिंह ए.आई.जी. सिद्धू के कहने पर विभिन्न विभागों में अनुसूचित जाति और स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे के तहत भर्ती किए गए कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गईं ताकि उन पर दबाव डालकर उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके और बदले में रिश्वत ली जा सके, जिसे बाद में उन्होंने, मालविंदर सिंह और अन्य आरोपी आपस में बांट लेते थे।

उन्होंने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है और बाकी आरोपियों को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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