Adi Kailash Temple Opening : उत्तराखंड (Uttarakhand) की पवित्र चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) के बाद अब आदि कैलाश मंदिर (Adi Kailash Temple) के कपाट श्रद्धालुओं के लिए विधिवत रूप से खोल दिए गए हैं। केदारनाथ (Kedarnath), गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yamunotri) जैसे धामों के कपाट खुलने के बाद अब पार्वती सरोवर (Parvati Sarovar) के निकट स्थित शिव मंदिर में भी भक्तों के दर्शन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह वही स्थल है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2023 में दर्शन किए थे।
आदि कैलाश ओम पर्वत की पवित्र यात्रा के दौरान पार्वती कुंड के निकट विराजमान भगवान शिव का प्राचीन मंदिर आज श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।#Adikailash pic.twitter.com/Ol1pcP3rxq
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) May 2, 2025
शुक्रवार सुबह विधिवत पूजा-अर्चना और बम-बम भोले के जयघोषों के साथ मंदिर के कपाट खोले गए। इस दौरान देशभर से आए श्रद्धालुओं ने शिवलिंग (Shivling) पर जलाभिषेक कर महाआरती में भाग लिया। कपाट खुलते ही समूचा क्षेत्र भक्तों के जयघोषों से गूंज उठा और पार्वती सरोवर में पवित्र स्नान करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी।
धारचूला (Dharachula) क्षेत्र के ग्राम कुटी (Kuti) के ग्रामीणों ने कपाट खोलने की पूरी परंपरा निभाई। लामा पुजारी (Lama Priest) गोकर्ण सिंह कुटियाल, रमेश सिंह कुटियाल, चैत सिंह कुटियाल, गोपाल सिंह कुटियाल, वीरेंद्र सिंह कुटियाल और हरीश सिंह कुटियाल जैसे श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में मंदिर पहुंचे। इन्होंने रं संस्कृति (Rang Culture) के अनुसार भगवान शिव (Shiva) और पार्वती (Parvati) की पूजा दीया-बत्ती, धजा (Dhaja – White Cloth) और सयरजे (Sayarje – Rice Grains) से की।
हालांकि यात्रा की शुरुआत में मौसम (Weather) बाधा बनकर सामने आया है। दो दिनों से लगातार हो रही बारिश (Rain) और ओलावृष्टि (Hailstorm) के कारण कई यात्री यात्रा स्थगित कर रहे हैं। मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह (Vikram Singh) के अनुसार 7 मई तक हल्की बारिश और ओलावृष्टि की संभावना बनी हुई है।
इसके चलते यात्रियों की संख्या अभी सीमित है लेकिन मई के दूसरे सप्ताह से यात्रा के तेज होने की संभावना है। एसडीएम मंजीत सिंह (SDM Manjeet Singh) ने यात्रियों से मौसम पूर्वानुमान देखकर यात्रा प्लान करने की अपील की है। प्रशासन की ओर से अस्थाई अस्पताल, राहत शिविर और अन्य सुविधाओं की व्यापक व्यवस्था की गई है ताकि यात्रा में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
यह यात्रा धार्मिक आस्था, साहस और परंपरा का प्रतीक बन चुकी है और आदि कैलाश (Adi Kailash) के दर्शन करने का अनुभव हर श्रद्धालु के लिए अविस्मरणीय बन जाता है।