किसी की उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं… सुप्रीम कोर्ट का आदेश

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 नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (The News Air): आधार कार्ड आज हर भारतीय की जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। कहीं भी पहचान बताना हो, तो आधार का ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश सभी के लिए महत्वपूर्ण है। स्पष्ट है कि आधार कार्ड पर लिखी उम्र को सही नहीं माना जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला पलटा।
  1. सड़क दुर्घटना में मारे गए शख्स के मुआवजा का मामला
  2. निचली अदालत ने SLC के आधार पर तय की थी उम्र
  3. पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट ने बदल दिया था फैसला

एजेंसी, नई दिल्ली (Aadhaar card Latest updates)। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण आधार कार्ड पर लिखी जन्म तारीख से नहीं किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो देश की सर्वोच्च अदालत की नजर में किसी की उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं है।

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की उम्र स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) में उल्लिखित जन्म तिथि से निर्धारित की जानी चाहिए। एक मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आय़ा है।

 

सड़क दुर्घटना में मुआवजे का मामला पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट

  • यह मामला पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सड़क दुर्घटना के एक मामले में हाई कोर्ट ने आधार कार्ड पर लिखी जन्म तारीख को सही मानते हुए मुआवजे का आदेश दिया था।
  • हाई कोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया और कहा कि जन्म तारीख का निर्धारण स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) से होना चाहिए।
  • जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि मृतक की उम्र किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में उल्लिखित जन्म तिथि से निर्धारित होनी चाहिए। .

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19.35 लाख से घटकर 9.22 लाख रह गया था मुआवजा

दुर्घटना 2015 में हुई थी, जिसके लिए परिवार ने मुआवजे की मांग करते हुए मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) में आवेदन किया था। एमएसीटी ने स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) को आधार मानते हुए 19.35 लाख रुपए के मुआवजे का आदेश दिया था।

रोहतक स्थित मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के फैसले को बीमा कंपनी की ओर से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) के आधार पर उम्र की गणना को खारिज किया और आधार पर लिखी उम्र के हिसाब से गणना करते हुए मुआवजे की राशि घटाकर 19.35 लाख से 9.22 लाख रुपए कर दी थी।

हाई कोर्ट के इसी फैसले को परिजन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार 19.35 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। आधार कार्ड के हिसाब से मृतक की उम्र 47 वर्ष आ रही थी, जबकि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) के अनुसार उनकी उम्र 45 साल थी।

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