नई दिल्ली,19 फरवरी (The News Air): सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के विरोध प्रदर्शनों की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं, खासकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं के दिल्ली में हाल के मामले का जिक्र करते हुए। अदालत ने आज 2022 में राज्य में किए गए एक विरोध मार्च से संबंधित उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक बड़ी रोचक टिप्पणी भी कर दी। कोर्ट ने पूछा कि क्या किसी आम आदमी के खिलाफ भी आपराधिक मामला खारिज हो जाता?
दो जजों की बेंच में सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट के दो जजों, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस पी के मिश्रा ने कर्नाटक सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है। माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले को ध्यान से देखेगी और विरोध प्रदर्शन के कानूनी पहलुओं का गहराई से अध्ययन करेगा।
क्या आम आदमी के खिलाफ खारिज होता मामला? : जस्टिस प्रशांत कुमार ने एक दिलचस्प सवाल पूछकर मामले को और उलझा दिया उन्होंने पूछा, ‘अगर कोई आम आदमी ऐसा ही विरोध प्रदर्शन करता तो क्या उसके खिलाफ भी क्रिमिनल केस खारिज हो जाता?’ उन्होंने बताया कि कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों का हवाला दे चुका है, जहां नेताओं को शामिल किया गया था, जिससे कानूनी व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
2022 के एक मामले पर सुनवाई : दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के एक मामले की सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। उस वक्त कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं ने तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री के एक ईश्वरप्पा के खिलाफ विरोध में प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी सरकारी काम के ठेके में गड़बड़ी के आरोप में ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। ठेके में गड़बड़ी के आरोप में ही कंट्रैक्टर संतोष पाटिल ने आत्महत्या कर ली थी।
सिद्धारमैया पर लगा 10 हजार का जुर्माना : हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने के फैसले ने उन्हें राहत की सांस दी है, खासकर तब जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनमें से प्रत्येक पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया था। इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट ने उन्हें 6 मार्च को एक विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था, जिसे अब शीर्ष अदालत ने रोक दिया है।