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एंडोमेट्रियल, कोलन कैंसर रोगियों के लिए इम्यूनोथेरेपी फायदेमंद : रिसर्च

The News Air by The News Air
मंगलवार, 2 जनवरी 2024
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एंडोमेट्रियल, कोलन कैंसर
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न्यूयॉर्क, 2 जनवरी (The News Air) एक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि एंडोमेट्रियल (गर्भाशय में होने वाली समस्‍या) और कोलन कैंसर रोगियों के लिए इम्यूनोथेरेपी फायदेमंद है। यह थेरेपी अत्यधिक प्रभावी उपचार है।

एंडोमेट्रियल और कोलन कैंसर के रोगियों में अक्सर ‘मिसमैच रिपेयर डेफिसिट’ अक्‍सर हाई होती है। यह स्थिति डीएनए की स्वयं रिपेयर करने की क्षमता को खराब कर देती है और कई प्रकार के कैंसर का कारण बन सकती है।

पिछले शोध से पता चला है कि इस स्थिति वाले कैंसर रोगी आमतौर पर इम्यूनोथेरेपी उपचार के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं, जो कैंसर से लड़ने के लिए व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करता है।

अमेरिका में ब्रिघम और महिला अस्पताल में पल्मोनरी और क्लिनिकल केयर मेडिसिन डिवीजन में पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फेलो एमडी एलियास फरहत ने कहा, ”कोलोरेक्टल कैंसर और एंडोमेट्रियल कैंसर में जहां ‘मिसमैच रिपेयर डेफिसिट’ की कमी सबसे अधिक देखी जाती है, जब तक किसी मरीज की यह स्थिति न हो तब तक इम्यूनोथेरेपी मानक उपचार नहीं है।”

फरहत ने कहा, ”इस स्थिति वाले रोगियों में कैंसर के अंतिम चरण में भी इम्यूनोथेरेपी प्राप्त करने वाले लोग वर्षों तक जीवित रह सकते हैं और कुछ मामलों में संभावित रूप से ठीक हो सकते हैं। नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंस (कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा बताने वाला टेस्ट) के रूप में इसे शामिल करने से प्रीट्रीटमेंट से लेकर उन्नत चरणों तक कैंसर के सभी चरणों में रोगियों को लाभ हो सकता है।”

जर्नल कैंसर सेल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1,655 रोगियों के एक समूह को देखा, जिन्हें या तो कोलोरेक्टल या एंडोमेट्रियल कैंसर था और जिन्होंने इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री और नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंस टेस्‍ट करवाया था।

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शोधकर्ताओं ने देखा कि एंडोमेट्रियल कैंसर के लगभग छह प्रतिशत मरीज और कोलोरेक्टल कैंसर के एक प्रतिशत मरीज इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री द्वारा ‘मिसमैच रिपेयर डेफिसिट’ की कमी वाले रोगियों ने अन्य उपचारों की तुलना में इम्यूनोथेरेपी पर बेहतर प्रतिक्रिया दी और उनके जीवित रहने और उपचार के परिणाम उन रोगियों के समान ही थे।

इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री केवल उन उत्परिवर्तनों का पता लगाती है जो एंटीजन को प्रभावित करते हैं। नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंस टेस्‍ट अधिक संवेदनशील परीक्षण है।

जबकि, वर्तमान कार्य से पता चलता है कि नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंस इन मामलों में अधिक संवेदनशील निदान उपकरण होगा, इस अध्ययन के निष्कर्षों की पुष्टि और सामान्यीकरण के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है।

अध्ययन के आंकड़ों से यह भी पता चला कि एक ही चरण में एक ही प्रकार के कैंसर वाले रोगियों में, जिन्‍हें इम्यूनोथेरेपी नहीं मिली, उनके परिणाम उन लोगों की तुलना में खराब थे, जिन्होंने इम्यूनोथेरेपी प्राप्त की थी।

इसके बाद शोधकर्ता यह देखना चाहेंगे कि क्या ये निष्कर्ष अन्य अनुक्रमण पैनलों और अन्य कैंसर प्रकारों पर लागू होते हैं। वह ‘मिसमैच रिपेयर डेफिसिट’ की कमी की स्थिति में शामिल अन्य आनुवंशिक कमियों की संभावित भूमिका की जांच करने की भी योजना बना रहे हैं।

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