नई दिल्ली, 10 अगस्त (The News Air)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के महोबा से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए दूसरे चरण की शुरुआत की। इस योजना में प्रवासी मज़दूरों को ध्यान में रखते हुए स्थायी पते का प्रमाण देने की छूट दी गई है।
ग़रीब के चूल्हे को हमेशा चलाते रखना है उद्देश्य– उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से पहले लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। हमारी सरकार ने इस प्रवृत्ति में बदलाव लाया है। हमारा उद्देश्य ग़रीब के चूल्हे को हमेशा चलाते रखना है।
इस दौरान पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लाभार्थियों से बातचीत भी की। उज्ज्वला योजना की एक लाभार्थी ने बताया कि गैस कनेक्शन विशेष रूप से मानसून में बहुत लाभदायक रहा है क्योंकि इस मौसम में लकड़ी के गीले हो जाने की वजह से खाना पकाना बहुत मुश्किल था।
पहला चरण बलिया से दूसरा महोबा से-वहीं पीएम मोदी ने कहा कि उज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों, जितनी महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वो अभूतपूर्व है। ये योजना 2016 में यूपी के बलिया से, आज़ादी की लड़ाई के अग्रदूत मंगल पांडे की धरती से शुरू हुई थी। आज उज्ज्वला का दूसरा संस्करण भी यूपी के ही महोबा की वीर भूमि से शुरू हो रहा है।
स्वास्थ्य, सुविधा और सशक्तिकरण में उज्ज्वला का बड़ा योगदान-उन्होंने कहा कि हमारी बेटियां घर और रसोई से बाहर निकलकर राष्ट्र निर्माण में व्यापक योगदान तभी दे पाएंगी, जब पहले घर और रसोई से जुड़ी समस्याएं हल होंगी। इसलिए, बीते 6-7 सालों में ऐसे हर समाधान के लिए मिशन मोड पर काम किया गया है। बहनों के स्वास्थ्य, सुविधा और सशक्तिकरण के इस संकल्प को उज्ज्वला योजना ने बहुत बड़ा बल दिया है।
एड्रेस के प्रमाण की समस्या होगी ख़त्म-पीएम ने कहा कि योजना के पहले चरण में 8 करोड़ ग़रीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी परिवारों की बहनों को मुफ़्त गैस कनेक्शन दिया गया। इसका कितना लाभ हुआ है, ये हमने कोरोना काल में देखा है। लेकिन इस बीच ये भी देखा गया कि बुँदेलखंड सहित पूरे यूपी और दूसरे राज्यों के हमारे अनेक साथी, काम करने के लिए गांव से शहर जाते हैं, दूसरे राज्य जाते हैं। लेकिन वहाँ उनके सामने एड्रेस के प्रमाण की समस्या आती है। ऐसे ही लाखों परिवारों को उज्ज्वला 2.0 योजना सबसे अधिक राहत देगी।
अब मेरे श्रमिक साथियों को एड्रेस के प्रमाण के लिए इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं है। सरकार को आपकी ईमानदारी पर पूरा भरोसा है। आपको अपने पते का सिर्फ़ एक सेल्फ डिक्लरेशन, यानि ख़ुद लिखकर देना है और आपको गैस कनेक्शन मिल जाएगा।
गांव के विकास इंजन को गति देने का माध्यम है बायोफ्यूल-पीएम ने कहा कि बायोफ्यूल एक स्वच्छ ईंधन मात्र नहीं है। बल्कि ये ईंधन में आत्मनिर्भरता के इंजन को, देश के विकास इंजन को, गांव के विकास इंजन को गति देने का भी एक माध्यम है। बायोफ्यूल एक ऐसी ऊर्जा है, जो हम घर और खेत के कचरे से, पौधों से, ख़राब अनाज से प्राप्त कर सकते हैं।
समर्थ और सक्षम भारत का संकल्प-अब देश मूल सुविधाओं की पूर्ति से, बेहतर जीवन के सपने को पूरा करने की तरफ़ बढ़ रहा है। आने वाले 25 साल में इस सामर्थ्य को हमें कई गुणा बढ़ाना है। समर्थ और सक्षम भारत के इस संकल्प को हमें मिलकर सिद्ध करना है। इसमें बहनों की विशेष भूमिका होने वाली है। उन्होंने कहा कि बीते साढ़े 7 दशकों की प्रगति को हम देखते है, तो हमें जरुर लगता है कि कुछ स्थितियां, कुछ हालात ऐसे हैं जिनको कई दशक पहले बदला जा सकता था। घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताएं है जिनकी पूर्ति के लिए दशकों का इंतज़ार देशवासियों को करना पड़ा।
मेजर ध्यान चंद को भी किया याद-इस दौरान पीएम मोदी ने मेजर ध्यान चंद को याद करते हुए पीएम ने कहा कि मैं बुँदेलखंड की एक और महान संतान को याद कर रहा हूं, देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यान चंद खेल रतन पुरस्कार हो गया है।
धुँए के कारण ख़राब स्वास्थ्य से छुटकारा-कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2018 में अनुमान लगाया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष होने वाली 38 लाख असामयिक मृत्यु सीधे तौर पर ठोस ईंधनों के इस्तेमाल से होने वाले घरेलू प्रदूषण से होती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा और कठिन परिश्रम और धुँए के कारण ख़राब स्वास्थ्य से छुटकारे का अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
देश में 29 करोड़ से अधिक एलपीजी उपभोक्ता-उज्ज्वला योजना महिलाओं के जीवन में एक परिवर्तन लेकर आई है। उन्होंने बताया कि 8 करोड़ परिवारों को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित समय से सात महीने पहले ही हासिल कर लिया गया था। देश में 2014 में 14.51 करोड़ सक्रिय घरेलू एलपीजी उपभोक्ता थे। आज यह आंकड़ा बढ़कर 29 करोड़ से अधिक हो गया है।
उत्तर प्रदेश में 2,233 डिस्ट्रीब्यूटर शिप चालू की गई थी। राज्य में डेढ़ करोड़ उज्ज्वला कनेक्शन दिए गए हैं। प्रदेश में 2016 तक केवल 55 प्रतिशत लोगों के पास एलपीजी कनेक्शन थे, जबकि आज सभी के पास यह कनेक्शन पहुंच चुका है।