– सोनीपत, पानीपत, रोहतक में जलाई जा रही पराली का धुंआ दिल्ली में आ रहा है, लेकिन खट्टर सरकार ने इसे कम करने का कोई उपाय नहीं कर रही- प्रियंका कक्कड़
– हरियाणा में जल रही पराली दिल्ली से मात्र 100 किमी दूर है, जबकि पंजाब में जल रही पराली 500 किमी दूर है- प्रियंका कक्कड़
– केंद्र सरकार हरियाणा को फंड देती है, ताकि पराली जलने की घटनाओं में कमी लाई जा सके, लेकिन खट्टर सरकार कुछ नहीं करती- प्रियंका कक्कड़
– पंजाब को केंद्र सरकार से फंड नहीं मिलता है, फिर भी पिछले एक साल में 50-67 फीसद कम पराली जली है- प्रियंका कक्कड़
– खट्टर सरकार ने पराली के लिए कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाया, जबकि सिर्फ एक साल में पंजाब की ‘‘आप’’ सरकार ने 9 बना दिए- प्रियंका कक्कड़
– सीएम केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने 23.6 फीसद ग्रीन कवर बढ़ा दिया है, जबकि हरियाणा में मात्र 3.6 फीसद है- प्रियंका कक्कड़
– हरियाणा से अभी भी प्रतिबंधित ईंधन से चलने वाली बसें दिल्ली में प्रवेश कर रही हैं- प्रियंका कक्कड़
– दिल्ली में इंडस्ट्री पीएनजी पर चलती है और 24 घंटे बिजली आती है, जबकि हरियाणा में पावर कट के चलते लोग जनरेटर इस्तेमाल करते हैं- प्रियंका कक्कड़
– दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय प्रदूषण के मुद्दे पर हरियाणा के पर्यावरण मंत्री से मिलने का समय मांग रहे हैं, लेकिन वो नहीं दे रहे हैं- प्रियंका कक्कड़
नई दिल्ली, 06 नवंबर (The News Air) हरियाणा से पराली का धुंआ दिल्ली में आने को लेकर आम आदमी पार्टी ने खट्टर सरकार को आड़े हाथ लिया। सोमवार को ‘‘आप’’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि हरियाणा में 2014 से खट्टर की सरकार है, लेकिन उसने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए वहां किसान पराली जलाने को मजबूर हैं। सोनीपत, पानीपत व रोहतक में जल रही पराली का धुंआ दिल्ली में आ रहा है। पराली जलने की घटनाएं कम करने के लिए केंद्र सरकार हरियाणा को भी फंड देती है। इसके बाद भी खट्टर सरकार कुछ नहीं करती है। वहीं, पंजाब को केंद्र से कोई फंड नहीं मिलता है। फिर भी पंजाब में पिछले एक साल में 50-67 फीसद कम पराली जली है। उन्होंने कहा कि हरियाणा से अभी भी प्रतिबंधित ईंधन से चलने वाली बसें दिल्ली में प्रवेश कर रही हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय हरियाणा के पर्यावरण मंत्री से मीटिंग का समय मांग रहे हैं, लेकिन वो नहीं दे रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खट्टर सरकार प्रदूषण के मुद्दे पर कितनी गंभीर है।
आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि देश में अरविंद केजरीवाल इकलौते नेता हैं जो प्रदूषण के खिलाफ लगातार लघु और दीर्घकालिक कदम उठाते हैं और उसको लागू करवाते हैं। इसी वजह से इस साल दिल्ली में पिछले 8 सालो में सबसे बेहतर हवा थी। आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में इस बार 31 फीसद प्रदूषण कम हुआ है। केंद्र सरकार को भी संसद पलट पर रखे गए अपने आर्थिक सर्वे 2022-23 में स्वीकारना पड़ा है कि दिल्ली में इस बार पिछले 8 सालों में सबसे बेहतर हवा थी।
उन्होंने कहा कि सीएक्यूएम के आंकड़े दिखाते हैं कि पंजाब में पिछले साल के मुकाबले इस साल 50-67 फीसद पराली कम जली है। पंजाब में वर्तमान में जो पराली जल रही है, वो दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर है और हरियाणा में जल रही पराली 100 किलोमीटर दूर है। दिल्ली के सबसे करीब हरियाणा है। इसलिए इसकी समीक्षा करना जरूरी है कि 2014 से खट्टर सरकार ने प्रदूषण को लेकर हरियाणा में क्या कदम उठाए?
‘‘आप’’ प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि अब जाकर हरियाणा सरकार 100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने पर विचार कर रही है, अभी ली नहीं है। हरियाणा में अभी भी दिल्ली में प्रतिबंधित ईंधन वाली बसें चल रही हैं। वहां सभी बसें बीएस-3 और बीएस-4 की हैं। हरियाणा से बीएस-3 और बीएस-4 बसें दिल्ली में प्रवेश कर रही हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय लगातार पत्र लिखकर हरियाणा सरकार को इन बसों का दिल्ली में प्रवेश रोकने की मांग कर रहे हैं। इसी तरह, खट्टर सरकार ने हरियाणा में चल रही इंडस्ट्री को कोई सहूलियत नहीं दी है कि वो दिल्ली की तरह पीएनजी पर स्वीच कर पाएं। हरियाणा की अधिकतर इंडस्ट्री एनसीआर में हैं और उनका भी प्रदूषण दिल्ली में आ रहा है। हरियाणा सरकार 2023 में भी अपने नागरिकों को 24 घंटे बिजली देने में असमर्थ रही है। हरियाणा में पावर कट बहुत लंबे होते हैं और लोगों को डीजल जेनरेटर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में इंडस्ट्री की क्या हालत होगी, समझा जा सकता है।
‘‘आप’’ प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि 2014 में आई खट्टर सरकार अभी तक पराली का भी कोई समाधान नहीं निकाल पाई है। अगर पंजाब सरकार एक साल में ही पराली जलने में 50-67 फीसद की कमी लाकर दिखाया है तो हरियाणा की खट्टर सरकार 2014 से यह करने में विफल क्यों रही है? हरियाणा सरकार 16 हजार बेलर मशीलों की रिपेयरिंग के लिए 23 नवंबर 2023 को टैंडर खोलेगी। ऐसे में ये मशीनें किसानों को कब मिल पांएगी। हरियाणा सरकार किसानों पर सिर्फ मुकदमें दर्ज करना जानती है।
‘‘आप’’ प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि हरियाणा सरकार को बताना चाहिए कि क्या उसने किस इंडस्ट्री के साथ कोई समझौता किया है जो पेपर व गत्ते बनाने के लिए पराली लेगी। पंजाब की ‘‘आप’’ सरकार ने भटिंडा में 9 जगहों पर पराली डंपिंग ग्राउंड बनाए हैं, जहां किसानों से पराली लेकर वहां डंप की जाती है, ताकि आगे इंडस्ट्री उसका इस्तेमाल कर पाएं। वहीं, हरियाणा में ऐसा कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है।
उन्होंने कहा कि ग्रीन कवर के मामले में दिल्ली में पूरे देश में पहले स्थान पर है। दिल्ली में 23.6 फीसद ग्रीन कवर है और 2025 तक इसे बढ़ाकर 27 फीसद तक करने का लक्ष्य है। केजरीवाल सरकार ने दिल्लीवालों के साथ मिलकर ग्रीन कवर को बढ़ाया है। वहीं, हरियाणा में ढेरों पेड़ काटे गए हैं और वहां केवल 3.6 फीसद ही ग्रीन कवर है।
‘‘आप’’ प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार को शर्म आनी चाहिए कि वो अपने किसानों और नागरिकों के लिए कुछ नहीं कर पाई। हरियाणा से हर साल आ रहे पराली के धुंए को दिल्ली के लोग क्यों झेलें। दिल्ली से सोनीपत, पानीपत, रोहतक बिल्कुल सटे हुए हैं। यहां बहुत जगहों पर पराली जलाई जा रही है। खट्टर सरकार ने अभी तक लघु या दीर्घकालिक कोई भी उपाय नहीं किया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय हरियाणा के पर्यावरण मंत्री से लगातार मिलने का समय मांग रहे हैं, लेकिन वो मीटिंग करने के लिए तैयार नहीं हैं। खट्टर सरकार से इसलिए भी सवाल किए जाने चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार हरियाणा सरकार को मशीनें खरीदने के लिए फंड मिलता है, ताकि पराली जलना कम किया जा सके। केंद्र से यह फंड दिल्ली और पंजाब सरकार को नहीं मिलता है। हरियाणा सरकार केवल सड़कों को रिपेयर करती है और कहती है कि वो प्रदूषण पर काम कर रही है।






