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चंद्रयान-3 का लैंडर जिस स्थान पर उतरा था, उसे अब ‘शिव शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा

The News Air by The News Air
Saturday, 26th August, 2023
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PM interacts with scientists of ISRO on success of Chandrayaan-3 Mission at the ISRO Telemetry Tracking and Command Network (ISTRAC), in Bengaluru on August 26, 2023.

PM interacts with scientists of ISRO on success of Chandrayaan-3 Mission at the ISRO Telemetry Tracking and Command Network (ISTRAC), in Bengaluru on August 26, 2023.

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चंद्रयान-3 की सफलता पर प्रधानमंत्री ने इसरो की टीम को संबोधित किया


“मैं आपके परिश्रम, समर्पण, साहस, तप और लग्न को नमन करने के लिए आपसे मिलने को उत्सुक था

“भारत अब चंद्रमा पर है! हमने अपने राष्ट्रीय गौरव को चंद्रमा तक पहुंचाया है”

“नया भारत 21वीं सदी में दुनिया की बड़ी समस्याओं का समाधान करेगा”

“टचडाउन का क्षण इस सदी के सबसे प्रेरणादायक क्षणों में से एक है”

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आज पूरी दुनिया भारत की वैज्ञानिक भावना, हमारी तकनीक और हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है और उसे स्वीकार कर रही है

“हमारे ‘मून लैंडर’ ने ‘अंगद’ की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमा लिया है

“चंद्रमा की सतह पर वह स्थान जहां चंद्रयान-2 ने अपने निशान छोड़े हैं, उसे ‘तिरंगा’ के नाम से जाना जाएगा

चंद्रयान-3 की सफलता में हमारी महिला वैज्ञानिकों, देश की नारी शक्ति की बड़ी भूमिका रही है

‘तीसरी पंक्ति’ से ‘पहली पंक्ति’ तक की यात्रा में, हमारे ‘इसरो’ जैसे संस्थानों ने एक बड़ी भूमिका निभाई है

“भारत के दक्षिणी भाग से चंद्रमा के दक्षिण तक, यह एक आसान यात्रा नहीं थी”

“अब से, हर वर्ष, 23 अगस्त का दिन राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा”

“नई पीढ़ी को भारत के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करने और नए सिरे से उनका अध्ययन करने के लिए आगे आना चाहिए”

“21वीं सदी के इस दौर में, जो देश विज्ञान और तकनीक में नेतृत्व करेगा, वही देश आगे बढ़ेगा”

New Delhi (The News Air) : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रीस से आने के बाद बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) का दौरा किया और चंद्रयान-3 की सफलता पर टीम इसरो को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-3 मिशन में शामिल इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात की और उनसे बातचीत की, जहां उन्हें चंद्रयान-3 मिशन के परिणामों और प्रगति के बारे में भी जानकारी दी गई।

वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में उपस्थित होने पर बेहद प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि ऐसा अवसर बेहद दुर्लभ है जब शरीर और मन इस तरह की खुशी से भर जाते हैं। हर किसी के जीवन में अधीरता हावी होने के कुछ विशेष क्षणों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की अपनी यात्रा के दौरान ठीक उसी तरह की भावनाओं का अनुभव किया और कहा कि उनका मन हर समय चंद्रयान-3 मिशन पर केंद्रित था। आईएसटीआरएसी यात्रा की अपनी अचानक योजना के कारण इसरो के वैज्ञानिकों को हुई असुविधा को देखते हुए भावुक प्रधानमंत्री ने कहा कि वह वैज्ञानिकों से मिलने और उनके परिश्रम, समर्पण, साहस, तप और लग्न को नमन करने के लिए बेहद उत्सुक थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कोई साधारण सफलता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि अनंत अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक शक्ति की शुरुआत करती है। प्रधानमंत्री ने गौर्वान्वित होते हुए कहा, “भारत चंद्रमा पर है, हमारा राष्ट्रीय गौरव चंद्रमा पर है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “यह आज का भारत है जो निर्भीक और जुझारु है। यह एक ऐसा भारत है जो नया सोचता है और एक नए तरीके से सोचता है, जो डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फेला देता है। ये भारत 21वीं सदी में दुनिया की बड़ी समस्याओं का समाधान देगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लैंडिंग का वह क्षण राष्ट्र की चेतना में अमर हो गया है। उन्होंने कहा, ‘लैंडिंग का क्षण इस सदी के सबसे प्रेरणादायक क्षणों में से एक है। हर भारतीय ने इसे अपनी जीत के रूप में लिया। प्रधानमंत्री ने इस बड़ी सफलता का श्रेय वैज्ञानिकों को दिया।

प्रधानमंत्री ने मून लैंडर की तस्वीरों के बारे में बताते हुए कहा, “हमारे ‘मून लैंडर’ ने ‘अंगद’ की तरह चंद्रमा पर मजबूती से अपना पैर जमा लिया है, एक तरफ विक्रम का विश्वास है तो दूसरी तरफ प्रज्ञान का पराक्रम है। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार चंद्रमा के कभी नहीं देखे गए हिस्सों की तस्वीरें पहली बार मानव ने अपनी आंखों से देखीं हैं और यह भारत द्वारा किया गया है। श्री मोदी ने कहा, “पूरी दुनिया भारत की वैज्ञानिक भावना, तकनीक और हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता केवल भारत की नहीं है, बल्कि पूरी मानवता की है”। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की और रेखांकित किया कि इस मिशन की खोज से सभी देशों के मून मिशंस के लिए नए रास्ते खुलेंगे। उन्होंने कहा कि यह मिशन न केवल चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करेगा, बल्कि धरती की चुनौतियों के समाधान में भी मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े हर वैज्ञानिक, तकनीशियन, इंजीनियर और सभी सदस्यों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने घोषणा की, ‘चंद्रयान-3 का मून लैंडर जिस स्थान पर उतरा था, उसे अब ‘शिव शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा, ‘शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का यह “शिव शक्ति” प्वाइंट हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है।

विज्ञान की खोज के कल्याणकारी मूल पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इन पवित्र संकल्पों को शक्ति के आशीर्वाद की आवश्यकता है और शक्ति हमारी नारी शक्ति है। चंद्रयान-3 चंद्र मिशन की सफलता में हमारी महिला वैज्ञानिकों ने, देश की नारी शक्ति ने बड़ी भूमिका निभाई है। चंद्रमा का ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट, सदियों तक भारत के इस वैज्ञानिक और दार्शनिक चिंतन का साक्षी बनेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े थे, उस स्थान को अब ‘तिरंगा’ कहा जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये तिरंगा प्वाइंट, भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा और हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती। उन्होंने कहा, अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सफलता मिलकर के ही रहती है।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया है, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम भारत की अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा की शुरुआत पर विचार करते हैं तो यह उपलब्धि और बड़ी हो जाती है। उन्होंने उस समय को याद किया जब भारत को थर्ड वर्ल्ड देश माना जाता था और उसके पास आवश्यक तकनीक और सहयोग नहीं था। आज भारत दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। आज ट्रेड से लेकर टेक्नोलॉजी तक, भारत की गिनती पहली पंक्ति, यानी ‘फ़र्स्ट रो’ में खड़े देशों में हो रही है।  प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘थर्ड रो’ से ‘फर्स्ट रो’ तक की इस यात्रा में हमारे ‘इसरो’ जैसे संस्थानों की बहुत बड़ी भूमिका रही है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर इसरो की कड़ी मेहनत की जानकारी देशवासियों तक पहुंचाई। प्रधानमंत्री ने कहा, भारत के दक्षिणी हिस्से से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक चंद्रयान की ये यात्रा आसान नहीं थी। उन्होंने बताया कि इसरो ने अपनी अनुसंधान सुविधा में एक कृत्रिम चंद्रमा तक बना डाला। प्रधानमंत्री ने इस तरह के अंतरिक्ष मिशनों की सफलताओं को भारत के युवाओं में नवाचार और विज्ञान के प्रति उत्साह भरने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘मंगलयान और चंद्रयान की सफलताओं और गगनयान की तैयारी ने देश की युवा पीढ़ी को एक नया दृष्टिकोण दिया है। आपकी बड़ी उपलब्धि भारतीयों की एक पीढ़ी को जागृत करना और उसमें ऊर्जा का संचार करना है। आज भारत के बच्चों के बीच चंद्रयान का नाम गूंज रहा है। उन्होंने कहा कि हर बच्चा वैज्ञानिकों में अपना भविष्य देख रहा है।

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 23 अगस्त, चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के दिन को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस विज्ञान, तकनीक और नवाचार की स्पिरिट को सेलिब्रेट करेगा और हमें हमेशा – हमेशा के लिए प्रेरित करता रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमताएं उपग्रहों के प्रक्षेपण और अंतरिक्ष की खोज तक ही सीमित नहीं हैं और इसकी ताकत ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ गवर्नेंस में देखी जा सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने शुरुआती वर्षों के दौरान इसरो के साथ केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए आयोजित कार्यशाला को याद किया। उन्होंने स्पेस एप्लीकेशनों को शासन व्यवस्था के साथ जोड़ने के लिए हुई उल्लेखनीय प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान में स्पेस सेक्टर की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों में शिक्षा, संचार और स्वास्थ्य सेवाएं; टेली-मेडिसिन और टेली-एजुकेशन में स्पेस सेक्टर की बड़ी भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ‘नाविक’ सिस्टम की भूमिका के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘अंतरिक्ष तकनीक हमारे प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का आधार भी है। इससे परियोजनाओं की योजना, एग्जीक्यूशन और निगरानी में बहुत मदद मिल रही है। स्पेस एप्लीकेशन का दायरा, जो समय के साथ बढ़ रहा है, हमारे युवाओं के लिए अवसर भी बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने इसरो से केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के सहयोग से ‘गवर्नेंस में स्पेस टेक्नोलॉजी’ पर राष्ट्रीय हैकाथॉन आयोजित करने को कहा। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह राष्ट्रीय हैकाथॉन हमारे गवर्नेंस को और अधिक प्रभावी बनाएगा और देशवासियों को आधुनिक समाधान प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने देश की युवा पीढ़ी को भी एक टास्क भी दिया। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी भारत के प्राचीन ग्रंथों में खगोलीय सूत्रों को वैज्ञानिक रूप से साबित करने के लिए और उनका नए सिरे से अध्ययन करने के लिए आगे आए। यह हमारी विरासत के लिए भी महत्वपूर्ण है और विज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक तरह से आज स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए यह दोहरी जिम्मेदारी है। भारत के पास विज्ञान के ज्ञान का जो खजाना है, वो गुलामी के लंबे कालखंड में दब गया है, छिप गया है। आजादी के इस अमृत काल में हमें इस खजाने को भी खंगालना है, उस पर रिसर्च भी करनी है और दुनिया को इसके बारे में बताना भी है।

प्रधानमंत्री ने एक्सपर्ट के अनुमानों का उल्लेख किया कि भारत का अंतरिक्ष उद्योग अगले कुछ वर्षों में आठ बिलियन डॉलर से बढ़कर 16 बिलियन डॉलर हो जाएगा। जहां सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के लिए लगातार काम कर रही है, वहीं देश के युवा भी प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि पिछले 4 वर्षों के दौरान, अंतरिक्ष से संबंधित स्टार्टअप की संख्या 4 से बढ़कर लगभग 150 हो गई है। प्रधानमंत्री ने देश भर के छात्रों से 1 सितंबर से माईगॉव द्वारा चंद्रयान मिशन पर आयोजित एक विशाल प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेने का भी आग्रह किया।

21वीं सदी के इस दौर में विज्ञान और तकनीक में अग्रणी भूमिका निभाने के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे युवा प्रतिभाओं वाला देश है। प्रधानमंत्री ने ‘डीप अर्थ’ से लेकर ‘डीप सी’ और अगली पीढ़ी के कंप्यूटर से लेकर जेनेटिक इंजीनियरिंग तक के अवसरों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘समुद्र की गहराई से लेकर आसमान की ऊंचाइयों तक, आसमान की ऊंचाई से लेकर अंतरिक्ष की गहराई तक, युवा पीढ़ियों के लिए करने के लिए बहुत कुछ है। उन्होंने कहा, ” भारत में आपके लिए नई संभावनाओं के द्वार लगातार खुल रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भावी पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन एक आवश्यकता है और वे ही आज के महत्वपूर्ण मिशनों को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक उनके आदर्श हैं और उनके शोध तथा वर्षों की कड़ी मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि यदि आप ठान लें तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोगों को वैज्ञानिकों पर भरोसा है और जब लोगों का आशीर्वाद मिलेगा तो देश के प्रति दिखाए गए समर्पण से भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि नवाचार की हमारी यही भावना 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार करेगी।

Interacting with our @isro scientists in Bengaluru. The success of Chandrayaan-3 mission is an extraordinary moment in the history of India's space programme. https://t.co/PHUY3DQuzb

— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2023

 

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