उदयपुर, 21 अगस्त (The News Air) लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सदनों में चर्चा-संवाद का स्तर लगातार गिरते जाने की बात कहते हुए कहा है कि यह तभी रूक पाएगा, जब जनता अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछेगी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन का सोमवार को शुभारंभ करने के दौरान सदनों में लगातार बढ़ रहे व्यवधान और नारेबाजी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सदनों में चर्चा-संवाद का स्तर गिर रहा है।
उन्होंने कहा कि सदन के अंदर गतिरोध, व्यवधान, नारेबाजी और असंसदीय व्यवहार को तभी रोका जा सकेगा, जब जनता अपने जनप्रतिनिधियों से उनके इस व्यवहार के लिए सवाल पूछेगी।
उन्होंने कानून निर्माण में भागीदारी गिरते जाने की बात कहते हुए आगे यह भी कहा कि इस स्थिति को सुधारने के लिए जनता की भागदारी बढ़ानी होगी और इसमें डिजिटल माध्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने सदनों में डिजिटलाइजेशन और आईटी के उपयोग को बढ़ाना देने की बात कहते हुए कहा कि आज देश की कई विधानसभाएं पेपरलेस हो चुकी है। सभी स्पीकरों से निष्पक्षता के साथ काम करने का आह्वाहन करते हुए यह भी जोड़ा कि आसन पर बैठकर पीठासीन अधिकारियों को निष्पक्षता के साथ निर्विवाद भूमिका निभानी चाहिए ताकि आसन का सम्मान बना रहे।
बिरला ने सहमति-असहमति, पक्ष और विपक्ष को लोकतंत्र की ताकत बताते हुए यह भी कहा कि सकारात्मक मुद्दों पर सबको एकजुट होकर बात करनी चाहिए। सबको मिलकर सामूहिकता के साथ काम करना चाहिए। अगला 25 वर्ष हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर सीपीए मुख्यालय के चेयरपर्सन इयान लिडेल-ग्रेंजर, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी सहित देश के कई अन्य राज्यों के विधानसभा स्पीकर और राजस्थान के कई अन्य विधायक भी मौजूद रहें।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी आईटी, डिजिटल और नई तकनीक के ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की वकालत करते हुए इसे देश में लेकर आने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया।
इस दो दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय “डिजिटल युग में लोकतंत्र और सुशासन को सुदृढ़ करना” रखा गया है। सम्मेलन के दौरान राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी – सभापति और अध्यक्ष तथा उपसभापति और उपाध्यक्ष- डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से सुशासन को प्रोत्साहित करने में जन प्रतिनिधियों को और अधिक प्रभावी एवं कुशल बनाने के तौर-तरीकों और लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से राष्ट्र को सुदृढ़ करने में जन प्रतिनिधियों की भूमिका पर विचार मंथन करेंगे।