नई दिल्ली, 19 जुलाई (The News Air)
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज देश के किसान समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तीनों खेती कानूनों को रदद करने की मांग की तथा उनके साथ बहुजन समाज पार्टी तथा अन्यों ने मिलकर पार्टी द्वारा लाए गए स्थगत प्रस्ताव को ठुकराने के लिए एनडीए सरकार की निंदा की।
शिरोमणी अकाली दल अध्यक्ष ने संसद के बाहर अपने राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा सहित पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल तथा बसपा सासंदों के साथ मिलकर इसका विरोध किया और जोर देकर कहा कि किसानों की मांग पर संसद में चर्चा करने और केंद्र सरकार द्वारा इस मांग को माने जाने तक शिअद-बसपा गठबंधन विरोध जारी रखेगा।
सुखबीर सिंह बादल ने सभी राजनीतिक दलों से काले कानूनों पर चर्चा के लिए मजबूर करने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होने कहा कि ‘‘ हमें इस मुददे को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस समय इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नही है। किसान अपनी मांगों को लेकर पिछले आठ महीनों से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। इसमें 500 से अधिक किसान शहीद हुए हैं। हमने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने का प्रस्ताव पेश किया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद में किसानों की शहाहत का सम्मान नही किया जाता है’’।
अकाली दल अध्यक्ष ने एनडीए सरकार ने कहा है कि एक चुनी हुई सरकार को जिम्मेदारी निभाते हुए किसानों के प्रति संवेदनशील तरीके से काम करना चाहिए। उन्होने कहा कि किसानों की बात सुनने के बजाया केंद्र सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने तथा दमन करने की कोशिश की। ‘‘ अब तक किसानों से बातचीत करने तथा उनकी शिकायतों का समाधान करने का कोई प्रयास नही किया जा रहा है। ऐसा रवैया लोकतंत्र के लिए ठीक नही है। उन्होने केंद्र सरकार से मांग की है कि वे किसानों की मंागों को क्यों नही सुन रही है, यही कारण है कि किसानों ने सरकार पर से विश्वास खो दिया है’’।
बादल ने कहा कि किसानों , खेत मजदूरों तथा खेत व्यापारियों की घोर अवहेलना कर काले कानून पारित किए गए हैं। बादल ने कहा कि कानून संविधान निर्माताओं द्वारा संघवाद का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होने कहा कि खेती कानून भारतीय खेती का निगमीकरण करने के लिए बनाए गए हैं, तथा इसके कारण अनाज की सुनिश्चित खरीद नही की जाएगी तथा किसानों को कारपोरेशनज् की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
बादल ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल तीनों खेती कानूनों को निरस्त करने तक तथा किसान समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगा। ‘‘उन्होने कहा कि हम किसानों के अधिकारों का किसी भी कीमत पर हनन नही होनें देंगें ’’।