नई दिल्ली: देश भर में मानसून के सीजन में आई फ्लू का मामला तेजी से बढ़ता जा रहा है। यह एक तरह का वायरल इंफेक्शन होता है, जो आंखों के सतह को कवर करने वाली कंजंक्टिवा को प्रभावित करता है। ये कई तरह से आंखों को संक्रमित करता है।
आइएजानते है कैसे बचे इस संक्रमण से
डॉक्टरों का कहना है कि आई फ्लू, जिसे आमतौर पर पिंक आई या कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है।कंजंक्टिवा एक पतली परत है, जो आंखो के सामने की सतह और पलकों के अंदर की रेखा को कवर करती है। वहीं, बात करें इसके प्रकारों की, तो आई फ्लू केनिम्न प्रकार हैं।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस एक वायरल इंफेक्शन होता है, जो सबसे तेजी से लोगो में फैल रहा है। यह वही वायरस होते है, जो अक्सर सामान्य सर्दी का कारण बनते है। यह संक्रमि लोगो के संपर्क में आने से फैलता है, और बहुत तेजी से फैलता है। आंखें लाल होना, फ्लूइड डिस्चार्ज, खुजली इसके लक्षण होते हैं। यह आमतौर पर एक या दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है।
कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस
आई फ्लू का यह एक अन्य प्रकार है, जो धुएं, एसिड, स्विमिंग पूल में एसिड या जहरीले पदार्थों जैसे चीजों के संपर्क में आने के कारण होता है। इससे आंखों में गंभीर खुजली, रेडनेस और ब्लर विजन होता है। इसके इलाज का सबसे अच्छा तरीका सबसे पहले आंखों को पानी से अच्छी तरह से धोए और फिर डॉक्टर से संपर्क करें है।
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
यह एक और अन्य तरह का वायरल संक्रमण है, जो आंखो को प्रभावित करता है। यह धूल कण, जानवरों के रूसी, इंफेक्शन, और अन्य केमिकल चीजों के संपर्क के कारण होता है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का इलाज़ अक्सर एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स या ओरल दवाओं से किया जा है।
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस बैक्टेरिया के संपर्क में आने से होता है। इसमें आंखो का लाल होना, खुजली जैसी चीजें होती हैं। यह आमतौर पर संक्रमित लोगो के संपर्क में आने के कारण होता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक आई ड्रॉप होती है।
जाइंट पैपीलरी कंजंक्टिवाइटिस
जाइंट पैपीलरी कंजंक्टिवाइटिस वायरल इंफेक्शन एक आम संक्रमण होता है, जो अक्सर कॉनटेक्ट लेन्स या ऑक्यूलर प्रोस्थेटिक्स के लंबे उपयोग के कारण होता है। इसमें आंखो का लाल होना, सुजन जैसी चीजें होती है। इसका इलाज कॉनटेक्ट लेन्स को उपयोग बंद करना और आई ड्रोप का इस्तेमाल करने से ठीक होता है।






