नई दिल्ली: देश में वर्ष 2004 से 2014 के दौरान परिणामी रेल दुर्घटनाओं की औसत संख्या प्रति वर्ष 171 थी जो वर्ष 2014 से 2023 के दौरान औसतन 71 प्रतिवर्ष दर्ज की गई। सरकार ने लोकसभा को यह जानकारी दी। लोकसभा में अरविंद सावंत के प्रश्न के लिखित उत्तर में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को यह जानकारी दी। रेल मंत्री द्वारा निचले सदन में पेश किये गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014-15 में 135 रेल दुर्घटना, वर्ष 2015-16 में 107, वर्ष 2016-17 में 104, वर्ष 2017-18 में 73, वर्ष 2018-19 में 59, 2019-20 में 55, वर्ष 2020-21 में 22, वर्ष 2021-22 में 35 और वर्ष 2022-23 में 48 रेल दुर्घटनाएं घटीं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले नौ वर्ष में परिणामी रेल दुर्घटनाओं की कुल संख्या 638 दर्ज की गई। सरकार द्वारा निचले सदन में पेश किये गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले नौ वर्ष के दौरान परिणामी रेल दुर्घटनाओं में 781 व्यक्तियों की मौत हुई जबकि इस अवधि में 1545 लोग घायल हुए। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार ने रेलपथ, सिग्नल प्रणाली, इंजन आदि में सुधार लाने के लिए कई उपाए किए। वर्ष 2017-18 में 5 वर्ष की अवधि के लिए एक लाख करोड़ रूपये की राशि के साथ महत्वपूर्ण संरक्षा कार्य करने तथा उनके नवीनीकरण एचं उन्नयन के लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष का सृजन किया गया था।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष के कार्यों पर 1.08 लाख करोड़ रूपये खर्च किये गए। रेल मंत्री ने बताया कि मानवीय विफलताओं के कारण दुर्घटनाओं को समाप्त करने के लिए 31 मई 2023 तक 6,427 स्टेशनों पर सिग्नल एवं प्वाइंट के केंद्रीकृत परिचालन वाली इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली की व्यवस्था की गई है। वैष्णव ने बताया कि समपार फाटकों पर संरक्षा बढ़ाने के लिए 31 मई तक 11,093 समपार फाटकों की इंटरलॉकिंग की व्यवस्था की गई है। (एजेंसी)