Yogi Cabinet Expansion 2026: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में मकर संक्रांति (14 जनवरी 2026) के बाद बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। मंगलवार को लखनऊ में सीएम आवास पर हुई बीजेपी कोर कमेटी की मैराथन बैठक के बाद यह तय माना जा रहा है कि खरमास खत्म होते ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, जिसमें 6 नए चेहरों को जगह मिल सकती है। इस कवायद का मुख्य उद्देश्य 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधना है।
सीएम आवास पर हुई हाई-प्रोफाइल बैठक
लखनऊ के 5 कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी की कोर कमेटी की एक अहम बैठक हुई। यह बैठक करीब सवा घंटे तक चली। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी, दोनों डिप्टी सीएम (केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक), संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह और संघ के क्षेत्रीय प्रचारक मौजूद रहे।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सरकार और संगठन के बीच समन्वय और मंत्रिमंडल में रिक्त पदों को भरने पर गहन चर्चा हुई। बैठक खत्म होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी दिल्ली रवाना हो गए हैं, जहां केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी मिलते ही नए मंत्रियों के नामों का ऐलान कर दिया जाएगा।
भूपेंद्र चौधरी की हो सकती है ‘घर वापसी’
इस कैबिनेट विस्तार में सबसे चौंकाने वाला नाम पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि उन्हें दोबारा योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। याद दिला दें कि 2022 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पंचायती राज मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। अब चूंकि प्रदेश अध्यक्ष की कमान पंकज चौधरी के हाथ में है, तो भूपेंद्र चौधरी को सरकार में अहम जिम्मेदारी देकर पश्चिमी यूपी के जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश की जाएगी।
6 मंत्री पद खाली, जातीय समीकरण पर जोर
उत्तर प्रदेश में नियमों के मुताबिक अधिकतम 60 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान में योगी कैबिनेट में 54 मंत्री ही हैं। यानी 6 पद खाली हैं। 2027 के चुनाव में अब डेढ़ साल से भी कम का वक्त बचा है, इसलिए बीजेपी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। नए मंत्रियों के चयन में ओबीसी (OBC), दलित और क्षेत्रीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाएगा ताकि विपक्षी गठबंधन के पीडीए (PDA) फॉर्मूले की काट निकाली जा सके।
विश्लेषण: 2027 के लिए ‘अभेद किला’ बनाने की रणनीति
संपादकीय विश्लेषण: एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो यह कैबिनेट विस्तार केवल रिक्त पद भरने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह बीजेपी की ‘मिशन 2027’ की पहली बड़ी चाल है। पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना और अब भूपेंद्र चौधरी को वापस सरकार में लाना, यह दर्शाता है कि पार्टी ‘अनुभव’ और ‘ऊर्जा’ का संतुलन बनाना चाहती है। नए चेहरों को 1 साल का वक्त मिलेगा ताकि वे अपने काम से जनता के बीच पकड़ बना सकें। यह बदलाव एंटी-इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) को कम करने और कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।
आम आदमी पर क्या होगा असर?
मंत्रिमंडल विस्तार से शासन में नई ऊर्जा आने की उम्मीद है। जब नए मंत्री अपने क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करेंगे, तो स्थानीय विकास कार्यों में तेजी आएगी। खासकर उन इलाकों में जहां अभी प्रतिनिधित्व कम है, वहां की जनता की सुनवाई बेहतर तरीके से हो सकेगी।
जानें पूरा मामला
क्या है पृष्ठभूमि: यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। हाल ही में बीजेपी ने संगठन में बदलाव करते हुए पंकज चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। अब सरकार को भी चुनावी मोड में लाने के लिए कैबिनेट विस्तार की योजना बनाई गई है। खरमास (16 दिसंबर से 14 जनवरी) के कारण शुभ कार्य वर्जित होते हैं, इसलिए मकर संक्रांति के बाद ही शपथ ग्रहण समारोह होगा।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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Yogi Cabinet में 6 नए मंत्री शामिल हो सकते हैं।
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मकर संक्रांति (14 जनवरी 2026) के बाद विस्तार की संभावना।
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पूर्व प्रदेश अध्यक्ष Bhupendra Chaudhary को दोबारा मंत्री बनाया जा सकता है।
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सीएम आवास पर हुई कोर कमेटी की बैठक में Pankaj Chaudhary और दोनों डिप्टी सीएम मौजूद रहे।
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बदलाव का मुख्य लक्ष्य 2027 विधानसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण साधना है।








