Seasonal Influenza Prevention : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आगामी सीजनल फ्लू के खतरे को देखते हुए देशभर में ‘हाइ अलर्ट’ जैसी तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि इन्फ्लुएंजा के सीजन से पहले अस्पतालों को पूरी क्षमता के साथ तैयार रहना होगा, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
जेपी नड्डा की दो टूक: ‘तैयारी में न हो कोई कमी’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एक महत्वपूर्ण ‘चिंतन शिविर’ को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाला समय मौसमी इन्फ्लुएंजा (Seasonal Influenza) के लिहाज से संवेदनशील है। उन्होंने निर्देश दिए कि इस बीमारी से निपटने के लिए पहले से ही प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र (Response Mechanism) तैयार कर लिया जाए।
नड्डा ने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य ढांचे की क्षमता को बढ़ाना और सभी जरूरी व्यवस्थाओं को मजबूत करना अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में मौसम करवट ले रहा है और फ्लू के मामले बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
इन लोगों पर मंडरा रहा है सबसे बड़ा खतरा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि इन्फ्लुएंजा भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर जनस्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है। इसका सबसे ज्यादा और खतरनाक असर कुछ विशेष समूहों पर पड़ता है। अगर आपके घर में बच्चे, बुजुर्ग या गर्भवती महिलाएं हैं, तो आपको अभी से सतर्क हो जाने की जरूरत है।
इसके अलावा, जो लोग पहले से किसी दीर्घकालीन बीमारी (Chronic Illness) से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह सीजनल फ्लू जानलेवा साबित हो सकता है। वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों में यह फ्लू सिर्फ सर्दी-जुकाम तक सीमित नहीं रहता, बल्कि निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकता है।
सिर्फ जुकाम नहीं, यह गंभीर बीमारी है
अक्सर लोग सीजनल फ्लू को सामान्य सर्दी-जुकाम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, यह एक तेजी से फैलने वाला श्वसन संक्रमण है। इसके लक्षण बेहद स्पष्ट हैं, जिन्हें पहचानना जरूरी है:
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तेज बुखार
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खांसी
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गले में खराश
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बदन दर्द और थकान
यह बीमारी ‘ड्रॉपलेट्स’ (खांसने-छींकने से निकली बूंदों) और संपर्क से बहुत तेजी से फैलती है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह गंभीर बीमारी या मौत का जोखिम भी बढ़ा सकती है।
सरकार की ‘रियल टाइम’ निगरानी शुरू
सरकार ने इस खतरे से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। मंत्रालय ने बताया कि एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) के जरिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थिति पर ‘रियल टाइम’ नजर रखी जा रही है। इसका मतलब है कि कहीं भी मामले बढ़ते ही तुरंत एक्शन लिया जाएगा।
जेपी नड्डा ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन्फ्लुएंजा की तैयारी के लिए अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए, ताकि रिस्पॉन्स टाइम कम से कम हो।
जानें पूरा मामला (Context)
भारत में सीजनल फ्लू मुख्य रूप से दो बार चरम पर होता है—एक सर्दियों में और दूसरा मानसून के दौरान। यह इन्फ्लुएंजा वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन (रूप) के कारण होता है, जो हर साल बदलते रहते हैं। यही कारण है कि इससे बचने के लिए वार्षिक टीकाकरण (Annual Vaccination) को बेहद जरूरी माना गया है। यह वायरस सीधे नाक, गले और फेफड़ों पर हमला करता है, जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई और सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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सख्त निर्देश: जेपी नड्डा ने मौसमी इन्फ्लुएंजा से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने का आदेश दिया।
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हाई रिस्क ग्रुप: बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बीमार लोग सबसे ज्यादा खतरे में हैं।
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निगरानी: IDSP के जरिए देशभर में इन्फ्लुएंजा के मामलों की ‘रियल टाइम’ मॉनिटरिंग की जा रही है।
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टीकाकरण: वायरस के स्ट्रेन बदलने के कारण हर साल वैक्सीन लगवाना सुरक्षा के लिए जरूरी है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न






