China Military Base Strategy Bangladesh : भारत और बांग्लादेश के बीच चल रहे तनाव के बीच एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है। अमेरिका के रक्षा विभाग (Pentagon) की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि चीन अब बांग्लादेश में अपनी सेना उतारने की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान समेत दुनिया के 21 देशों में अपने मिलिट्री बेस (सैन्य ठिकाने) बनाने की योजना पर काम कर रही है। यह खबर भारत की सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चिंता का विषय है।
क्या है चीन का असली मकसद?
पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि चीन का मकसद सिर्फ मिलिट्री बेस बनाना नहीं है, बल्कि अपनी नौसेना (Navy) और वायुसेना (Air Force) को दुनिया के दूरदराज के इलाकों में ऑपरेशन करने में सक्षम बनाना है। चीन उन रणनीतिक रास्तों पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है जहां से दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री व्यापार गुजरता है, जैसे:
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मलक्का स्ट्रेट (Strait of Malacca)
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हॉर्मूज स्ट्रेट (Strait of Hormuz)
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अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के स्ट्रेटेजिक पॉइंट्स
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये बेस सिर्फ सैन्य मदद के लिए नहीं, बल्कि खुफिया जानकारी (Intelligence Gathering) जुटाने और अमेरिका व उसके सहयोगी देशों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।
भारत के लिए क्यों है खतरे की घंटी?
चीन की यह चाल भारत के लिए दोहरी चुनौती पेश करती है। एक तरफ वह पाकिस्तान को लगातार आधुनिक हथियार और फाइटर जेट्स (जैसे J-10C और JF-17) मुहैया करा रहा है, तो दूसरी तरफ अब बांग्लादेश में भी अपनी पैठ बना रहा है।
शेख हसीना की सरकार जाने के बाद बांग्लादेश में आई अस्थिरता का फायदा चीन उठाना चाहता है। अगर बांग्लादेश में चीनी सेना का बेस बनता है, तो भारत पूरब और पश्चिम दोनों तरफ से घिर जाएगा। इसे भारत को ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति के तहत घेरने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
अरुणाचल और एलएसी पर भी चीन की नजर
अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि भले ही चीन लद्दाख और एलएसी (LAC) पर तनाव कम करने की बात कर रहा हो, लेकिन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है। चीन चाहता है कि भारत और अमेरिका के बीच दूरियां बढ़ें और वह पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत पर दबाव बनाए रखे। यह भारत की संप्रभुता के लिए सीधी चुनौती है।
आम आदमी पर असर (Human Impact)
पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी भारत की आंतरिक सुरक्षा और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए चिंता का कारण बन सकती है। अगर तनाव बढ़ता है तो इसका असर व्यापार और सीमाओं पर शांति व्यवस्था पर पड़ सकता है, जिससे आम नागरिक का जीवन प्रभावित होगा।
विश्लेषण: अस्थिरता का फायदा उठाता ड्रैगन
चीन की फितरत रही है कि वह अस्थिर देशों में अपनी जगह बनाता है। बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल और कट्टरपंथ का बढ़ना चीन के लिए एक सुनहरा मौका बन गया है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर चीन का प्रभाव बढ़ना भारत के कूटनीतिक रिश्तों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। भारत की ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अब कितनी कारगर होगी, यह समय बताएगा, लेकिन चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए भारत को अपनी समुद्री और सीमावर्ती सुरक्षा को और भी अभेद्य बनाना होगा।
जानें पूरा मामला
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद से ही चीन वहां सक्रिय है। पहले एक पोर्ट (बंदरगाह) हासिल करने की खबर आई थी और अब मिलिट्री बेस की बात सामने आ रही है। पेंटागन की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि चीन 2049 तक अमेरिका को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी सुपरपावर बनना चाहता है और इसके लिए वह ग्लोबल मिलिट्री नेटवर्क तैयार कर रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Pentagon Report: चीन बांग्लादेश, पाकिस्तान समेत 21 देशों में मिलिट्री बेस बनाने की योजना बना रहा है।
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Strategic Locations: चीन की नजर मलक्का स्ट्रेट और हॉर्मूज स्ट्रेट जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों पर है।
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Intelligence: इन बेसों का इस्तेमाल खुफिया निगरानी और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए किया जाएगा।
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India’s Concern: पाकिस्तान को हथियार देना और बांग्लादेश में बेस बनाना भारत की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।






