Bangladesh Crisis & US Intervention – Bangladesh में फरवरी में होने वाले आम चुनावों से पहले America ने Mohammed Yunus की अंतरिम सरकार पर भारी दबाव बना दिया है। अमेरिकी सांसदों ने साफ कर दिया है कि अगर Sheikh Hasina की पार्टी को चुनाव से बाहर रखा गया, तो यह लोकतंत्र की हत्या होगी।
बांग्लादेश में यूनुस सरकार लोकतंत्र का गला घोट रही है। आए दिन सड़कों पर लोगों की हत्याएं हो रही हैं, लेकिन अब एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। जिस शेख हसीना को तख्तापलट के बाद देश छोड़ना पड़ा था, अब उनकी वापसी की संभावनाएं प्रबल होती दिख रही हैं। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि अमेरिका ने अब सीधे तौर पर बांग्लादेश के मामले में दखल दे दिया है। अमेरिकी सांसदों की एक प्रभावशाली टीम ने यूनुस सरकार को सख्त चेतावनी दी है कि वे अपनी ‘तानाशाही’ बंद करें।
अमेरिकी सांसदों का अल्टीमेटम: ‘आवामी लीग से बैन हटाओ’
फरवरी में बांग्लादेश में चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही मोहम्मद यूनुस के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। अमेरिकी हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के वरिष्ठ सदस्य ग्रेगरी डब्ल्यू. मिक्स (Gregory W. Meeks), बिल होइजेंगा (Bill Huizenga) और सिडनी कमलागर-डो (Sydney Kamlager-Dove) ने यूनुस को एक सख्त पत्र लिखा है।
सांसदों ने साफ शब्दों में कहा है कि शेख हसीना की पार्टी ‘आवामी लीग’ से प्रतिबंध तुरंत हटाया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि अगर देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी को ही चुनाव लड़ने से रोका जाएगा, तो यह चुनाव न तो स्वतंत्र होगा और न ही निष्पक्ष। सांसदों ने चेतावनी दी है कि किसी भी राजनीतिक संगठन पर बैन लगाना लाखों मतदाताओं के अधिकारों का हनन है और यह बुनियादी मानवाधिकारों के खिलाफ है।
‘यह चुनाव नहीं, राजतिलक है’ – शेख हसीना
इस पूरे घटनाक्रम के बीच 22 दिसंबर को शेख हसीना का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने यूनुस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर आवामी लीग के बिना चुनाव कराए गए, तो यह “चुनाव नहीं बल्कि राजतिलक (Coronation)” होगा। हसीना ने कहा कि उनकी पार्टी पर प्रतिबंध लगाकर यूनुस सरकार लाखों लोगों को मतदान से दूर रखना चाहती है, जिससे बनने वाली नई सरकार को कोई नैतिक वैधता नहीं मिलेगी।
यूनुस सरकार पर कसता शिकंजा
एक तरफ जहां यूनुस दावा कर रहे हैं कि 12 फरवरी को देश चुनाव के लिए तैयार है और सब कुछ शांतिपूर्ण होगा, वहीं दूसरी तरफ धरातल पर स्थितियां अलग हैं। अमेरिका के हस्तक्षेप के मायने बहुत गहरे हैं। अमेरिकी सांसदों ने यह भी कहा है कि ‘इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल’ (ICT) को पुराने स्वरूप में शुरू करना चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खत्म कर सकता है। हाल ही में अमेरिकी दूत सर्जियो गौर ने भी यूनुस से फोन पर बात की थी, जिसमें छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चर्चा हुई थी।
विश्लेषण: लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही?
एक वरिष्ठ पत्रकार के नजरिए से देखें तो यह स्थिति बेहद विडंबनापूर्ण है। मोहम्मद यूनुस, जो कभी लोकतंत्र और शांति की वकालत करते थे, आज उन्हीं पर दमनकारी नीतियां अपनाने का आरोप लग रहा है। अमेरिका का यह हस्तक्षेप संकेत देता है कि यूनुस सरकार का ‘हनीमून पीरियड’ अब खत्म हो चुका है। अगर सबसे बड़े विपक्षी दल को चुनाव से बाहर रखा जाता है, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर बांग्लादेश की नई सरकार को मान्यता मिलना मुश्किल हो जाएगा। यह दबाव यूनुस को अपने फैसले पलटने पर मजबूर कर सकता है।
पृष्ठभूमि
बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों और तख्तापलट के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में एक अंतरिम सरकार बनी। इस सरकार ने शेख हसीना की पार्टी ‘आवामी लीग’ और उसकी छात्र इकाई पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसे लेकर अब वैश्विक स्तर पर सवाल उठ रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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अमेरिकी सांसदों ने यूनुस सरकार को पत्र लिखकर आवामी लीग से बैन हटाने को कहा।
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अमेरिका ने चेतावनी दी कि प्रमुख पार्टी के बिना चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकते।
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शेख हसीना ने कहा- ‘मेरी पार्टी के बिना चुनाव सिर्फ एक दिखावा और राजतिलक होगा’।
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12 फरवरी को बांग्लादेश में चुनाव प्रस्तावित हैं, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता जारी है।






