China on Bangladesh Election : बांग्लादेश में जारी हिंसा और अराजकता के बीच अब भारत के एक और पड़ोसी देश चीन (China) ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। जहां एक तरफ बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें भारत के खिलाफ जहर उगल रही हैं और अल्पसंख्यकों पर हमले कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ चीन ने बांग्लादेश की स्थिति पर एक महत्वपूर्ण और सधा हुआ बयान जारी किया है। चीन के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है क्योंकि अक्सर चीन की कूटनीति उसके अपने हितों के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इस बार उसने बांग्लादेश में स्थिरता और लोकतंत्र की प्रक्रिया यानी चुनाव पर जोर दिया है।
‘सुरक्षित और स्थिर चुनाव जरूरी’
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कहा कि, “हम बांग्लादेश में सुरक्षित, स्थिर और सुचारू संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) की उम्मीद करते हैं।” चीन का मानना है कि बांग्लादेश में चल रही उथल-पुथल को खत्म करने और शांति बहाल करने का एकमात्र रास्ता चुनाव ही है। यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत भी लगातार बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली और स्थिरता की वकालत करता रहा है। ऐसे में चीन और भारत, दोनों ही पड़ोसी मुल्क एक ही सुर में बात करते नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की अपील
चीन ने अपने बयान में आगे कहा कि उनका मानना है कि बांग्लादेश के अलग-अलग क्षेत्र महत्वपूर्ण राजनीतिक एजेंडों को ठीक से आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय एकता और स्थिरता बनाए रखेंगे। चीन का यह रुख दर्शाता है कि वह अपने पड़ोस में किसी भी तरह की लंबी अस्थिरता नहीं चाहता, क्योंकि इसका असर क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यापार पर भी पड़ सकता है। भले ही चीन में खुद लोकतंत्र न हो, लेकिन बांग्लादेश के संदर्भ में वह चुनाव और चुनी हुई सरकार को ही शांति का आधार मान रहा है।
भारत में भी तनाव और आक्रोश
बांग्लादेश में हो रही हिंसा, खासकर युवा नेता उस्मान हादी की हत्या और हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर भारत में भी गहरा आक्रोश है। नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं। बंगाल से लेकर दिल्ली तक लोग सड़कों पर उतरकर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार ने बहुत ही धैर्य और संयम के साथ स्थिति को संभाला है। विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि बांग्लादेशी मिशन की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी, इसके बावजूद बांग्लादेश के कुछ अधिकारियों द्वारा मिशन बंद करने जैसी धमकियां दी गईं, जो उनकी हताशा को दर्शाता है।
विश्लेषण: कट्टरपंथ और कूटनीति का खेल
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर कट्टरपंथियों का दबाव साफ दिख रहा है। भारत विरोधी एजेंडा और हिंसा को हवा देकर वहां की स्थिति को जानबूझकर बिगाड़ा जा रहा है। ऐसे समय में चीन का यह बयान कि ‘चुनाव ही एकमात्र विकल्प है’, यूनुस सरकार पर एक तरह का अंतरराष्ट्रीय दबाव भी है। चीन यह संकेत दे रहा है कि वह अराजकता का समर्थन नहीं करेगा। अब देखना यह होगा कि क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इन कूटनीतिक संदेशों को समझती है और जल्द चुनाव की ओर बढ़ती है, या फिर कट्टरपंथियों के हाथों की कठपुतली बनी रहती है।
जानें पूरा मामला
बांग्लादेश में उस्मान हादी की हत्या के बाद से हिंसा और भारत विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस तनावपूर्ण माहौल में चीन ने पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह बांग्लादेश में सुरक्षित और स्थिर संसदीय चुनाव चाहता है। चीन के मुताबिक, चुनाव ही शांति और स्थिरता ला सकते हैं। भारत भी लगातार वहां शांति और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग कर रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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चीन ने बांग्लादेश में सुरक्षित और सुचारू संसदीय चुनाव की उम्मीद जताई।
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चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, चुनाव ही शांति और स्थिरता का रास्ता है।
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बांग्लादेश में हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों पर चीन ने भी चिंता दिखाई।
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भारत में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन, सरकार ने सुरक्षा का भरोसा दिया।
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उस्मान हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में तनाव चरम पर है।






