Iran Taftan Volcano Eruption : ईरान से एक ऐसी डरावनी खबर आ रही है जो सिर्फ ईरान ही नहीं, बल्कि भारत समेत कई देशों के लिए चिंता का विषय बन सकती है। ईरान का एक ज्वालामुखी, जो पिछले 7 लाख सालों से गहरी नींद में था, अब अंगड़ाई ले रहा है। वैज्ञानिकों को मिले ताजा संकेतों के मुताबिक, ‘माउंट तफ्तान’ (Mount Taftan) में फिर से जान आ गई है और इसके फटने की आशंका जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ, तो इसका असर हजारों किलोमीटर दूर भारत तक देखने को मिल सकता है।
7 लाख साल बाद क्यों जागा ‘तफ्तान’?
ईरान के दक्षिण-पूर्वी इलाके में स्थित माउंट तफ्तान एक ‘स्ट्रेटो वोल्केनो’ है। यह पाकिस्तान सीमा के पास सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। सैटेलाइट डेटा (Satellite Data) से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जुलाई 2023 से मई 2024 के बीच तफ्तान के शिखर के पास की जमीन लगभग 9 सेंटीमीटर यानी 3.5 इंच ऊपर उठ गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जमीन के नीचे गैसों का भारी दबाव बन रहा है, जो शिखर को गुब्बारे की तरह फुला रहा है। 7 लाख सालों तक शांत रहने के बाद अचानक हुई यह हलचल किसी बड़े खतरे का संकेत हो सकती है।
भारत पर क्या होगा असर?
अगर तफ्तान ज्वालामुखी में विस्फोट होता है, तो भारत के लिए भी यह बुरी खबर हो सकती है। हाल ही में इथियोपिया में हुए ज्वालामुखी विस्फोट की राख और धुंध का असर दिल्ली तक देखा गया था, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ गया था। चूंकि तफ्तान पाकिस्तान सीमा के करीब है, इसलिए वहां से निकलने वाली राख और जहरीली गैसें (जैसे सल्फर डाइऑक्साइड) हवाओं के साथ भारत के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों तक पहुंच सकती हैं। इससे न केवल प्रदूषण बढ़ेगा, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
सल्फर की बदबू और जमीन का फूलना
स्थानीय लोगों ने 2023 से ही इलाके में सल्फर की तेज बदबू और गैस रिसाव की शिकायतें शुरू कर दी थीं। वैज्ञानिकों ने रडार तकनीक का इस्तेमाल कर पाया कि दबाव का स्रोत शिखर से महज 490 से 630 मीटर की गहराई पर है, जो बहुत उथला है। अनुमान है कि रोजाना करीब 20 टन सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकल रही है। यह गैस वातावरण के लिए बेहद हानिकारक है और अगर विस्फोट हुआ तो यह मात्रा कई गुना बढ़ सकती है, जिससे तापमान में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
निगरानी की कमी से बढ़ा खतरा
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस इलाके में जमीन पर आधारित निगरानी सिस्टम (Ground Based Monitoring System) जैसे जीपीएस या सिस्मोग्राफ की भारी कमी है। वैज्ञानिक फिलहाल केवल सैटेलाइट डेटा पर ही निर्भर हैं। ईरानी अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि वे जल्द से जल्द निगरानी तंत्र विकसित करें, क्योंकि अगर दबाव बढ़ता रहा तो अचानक बड़ा विस्फोट हो सकता है। यह विस्फोट आसपास के गांवों और शहरों के लिए तबाही का कारण बन सकता है।
विश्लेषण: प्रकृति का अलार्म
7 लाख साल से सोए हुए ज्वालामुखी का जागना प्रकृति की एक बड़ी चेतावनी है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि धरती के गर्भ में कितनी ऊर्जा छिपी है जो कभी भी बाहर आ सकती है। भारत को भी इस स्थिति पर नजर रखनी होगी, क्योंकि वायु प्रदूषण पहले से ही देश के लिए एक बड़ी समस्या है। अगर तफ्तान फटता है, तो हमें एक और पर्यावरणीय चुनौती (Environmental Challenge) का सामना करना पड़ सकता है।
जानें पूरा मामला
ईरान का माउंट तफ्तान ज्वालामुखी, जो 7 लाख सालों से निष्क्रिय था, अब सक्रिय होने के संकेत दे रहा है। सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि ज्वालामुखी का शिखर 9 सेमी ऊपर उठ गया है और वहां से सल्फर गैस निकल रही है। वैज्ञानिक इसे एक बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं जिसका असर पड़ोसी देशों पर भी पड़ सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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ईरान का तफ्तान ज्वालामुखी 7 लाख साल बाद सक्रिय हो रहा है।
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जुलाई 2023 से मई 2024 के बीच ज्वालामुखी का शिखर 9 सेंटीमीटर ऊपर उठा।
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रोजाना करीब 20 टन जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड गैस का रिसाव हो रहा है।
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विस्फोट होने पर इसकी राख और गैसों का असर भारत तक पहुंच सकता है।
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वैज्ञानिकों ने निगरानी बढ़ाने और आपातकालीन योजना बनाने की सलाह दी है।






