Lt Col Deepak Kumar Sharma Arrested : नई दिल्ली में CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय की नींव हिला दी है। शनिवार को एजेंसी ने Ministry of Defence के रक्षा उत्पादन विभाग में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी 20 दिसंबर को दिल्ली में की गई, जब वे एक निजी कंपनी से रिश्वत ले रहे थे। इस मामले में सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं हुई, बल्कि जब जांच एजेंसी ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की, तो नोटों के बंडल देखकर अधिकारियों की आंखें फटी रह गईं।
CBI की यह कार्रवाई एक सुनियोजित जाल का हिस्सा थी। मामला रक्षा उत्पादों के निर्माण और निर्यात में गड़बड़ी से जुड़ा है। लेफ्टिनेंट कर्नल शर्मा, जो कि डिप्टी प्लानिंग ऑफिसर के पद पर तैनात थे, उन पर आरोप है कि वे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रहे थे। 18 दिसंबर को विनोद कुमार नामक एक बिचौलिए ने कंपनी के कहने पर उन्हें 3 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। जैसे ही यह लेनदेन हुआ, CBI ने अपना शिकंजा कस दिया। विनोद कुमार को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है और अदालत ने दोनों को 23 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
बेडरूम से लेकर लॉकर तक, नोटों का अंबार
गिरफ्तारी के बाद जब CBI की टीमों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया, तो नजारा चौंकाने वाला था। दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास से 3 लाख रुपये बरामद हुए, लेकिन असली खजाना राजस्थान के श्रीगंगानगर में मिला। वहां स्थित उनके आवास की तलाशी लेने पर एजेंसी को 2 करोड़ 23 लाख रुपये नकद मिले। इसके अलावा बाद में 16 लाख रुपये और जब्त किए गए। इतनी बड़ी मात्रा में नकदी का मिलना यह बताता है कि यह खेल लंबे समय से चल रहा था और भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी थीं।
पत्नी भी घेरे में, दुबई तक तार
इस हाई-प्रोफाइल मामले में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब लेफ्टिनेंट कर्नल शर्मा की पत्नी, कर्नल काजल बाली का नाम भी एफआईआर में शामिल किया गया। कर्नल काजल बाली राजस्थान के श्रीगंगानगर में 16 इन्फैंट्री डिवीजन ऑर्डिनेंस यूनिट की कमांडिंग ऑफिसर हैं। जांच में सामने आया है कि इस सिंडिकेट के तार दुबई की एक कंपनी से भी जुड़े हैं। बेंगलुरु स्थित दो व्यक्ति, राजीव यादव और रजीत सिंह, जो आरोपी कंपनी का संचालन संभालते हैं, वे लगातार शर्मा के संपर्क में थे और रक्षा मंत्रालय से अनुचित लाभ लेने के लिए साजिश रच रहे थे।
बेंगलुरु से जम्मू तक छापेमारी
रिश्वतखोरी का यह नेटवर्क केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था। CBI ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक साथ कई जगहों पर छापेमारी की। दिल्ली, श्रीगंगानगर, बेंगलुरु और जम्मू में तलाशी अभियान चलाया गया। जांच में यह साफ हुआ है कि शर्मा विभिन्न निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रच रहे थे और रक्षा उत्पादों के निर्यात में उन्हें अवैध मदद पहुंचा रहे थे।
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण (Analysis):
रक्षा मंत्रालय जैसे संवेदनशील विभाग में इतने ऊंचे पद पर बैठे अधिकारी का भ्रष्टाचार में लिप्त होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे की घंटी है। यह मामला केवल ‘पैसों के लेनदेन’ का नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे लॉबिंग और दलाली का दीमक रक्षा उत्पादन और निर्यात जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को खोखला कर रहा है। घर से 2 करोड़ से ज्यादा कैश मिलना यह साबित करता है कि सिस्टम में निगरानी की भारी कमी है। यदि दुबई स्थित कंपनियों के साथ मिलीभगत के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मामला ‘भ्रष्टाचार’ से आगे बढ़कर ‘सुरक्षा में सेंध’ का रूप ले सकता है, जिसकी गहन जांच आवश्यक है।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा प्रकरण तब प्रकाश में आया जब CBI को सूचना मिली कि रक्षा उत्पादन विभाग के अधिकारी निजी कंपनियों से रिश्वत ले रहे हैं। 20 दिसंबर को जाल बिछाकर लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा और बिचौलिए विनोद कुमार को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद हुई छापेमारी में करोड़ों की नकदी बरामद हुई और पता चला कि यह पूरा गिरोह रक्षा सौदों और निर्यात में हेराफेरी कर रहा था।
‘मुख्य बातें (Key Points)
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CBI ने लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा और विनोद कुमार को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया।
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श्रीगंगानगर स्थित आवास से 2.23 करोड़ रुपये और दिल्ली से 3 लाख रुपये नकद बरामद किए गए।
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शर्मा की पत्नी कर्नल काजल बाली को भी मामले में आरोपी बनाया गया है।
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मामले के तार दुबई और बेंगलुरु की कंपनियों से जुड़े हैं, जो रक्षा निर्यात में फायदा उठा रही थीं।






