PM Modi Priyanka Gandhi Chai Party : संसद का शीतकालीन सत्र भले ही हंगामेदार रहा हो, लेकिन इसके खत्म होते ही राजनीति के गलियारों से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने सबको चौंका दिया है। संसद के भीतर जहां पूरे सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और नारेबाजी देखने को मिली, वहीं सत्र समाप्त होते ही ये सभी दिग्गज नेता एक बंद कमरे में चाय की चुस्की लेते नजर आए। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के कक्ष से आई इस तस्वीर ने सियासी तापमान को एक नई दिशा दे दी है।
तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस की नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी एक ही टेबल पर बैठे दिखाई दे रहे हैं। यह नजारा इसलिए भी खास है क्योंकि वायनाड से पहली बार सांसद बनीं प्रियंका गांधी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ठीक बगल में और प्रधानमंत्री मोदी के करीब बैठा देखा गया।
चाय पर चर्चा: अनौपचारिक लेकिन अहम
लोकसभा स्पीकर के चैंबर में हुई इस बैठक में सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि पूरा विपक्ष मौजूद था। तस्वीर में एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, राजीव राय, डीएमके के ए. राजा और सीपीआई के डी. राजा जैसे दिग्गज नेता नजर आए। वहीं सत्ता पक्ष से चिराग पासवान, किरेन रिजिजू, अर्जुन राम मेघवाल, ललन सिंह और राममोहन नायडू जैसे केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे। सवाल उठता है कि संसद में हंगामे के बाद अचानक यह सौहार्द क्यों?
हंसी-मजाक और सियासी कटाक्ष
सूत्रों के मुताबिक, यह बातचीत पूरी तरह अनौपचारिक थी, लेकिन इसमें संसद के कामकाज और विधाई प्रक्रिया पर खुलकर चर्चा हुई। सांसदों ने प्रधानमंत्री से कहा कि देर रात तक विधेयक पारित करना आदर्श स्थिति नहीं है, जिस पर पीएम ने भविष्य में सत्र की अवधि बढ़ाने पर विचार करने का संकेत दिया। हल्के-फुल्के अंदाज में विपक्ष के विरोध प्रदर्शन का जिक्र हुआ तो पीएम मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं विपक्ष की आवाजों पर ज्यादा जोर नहीं डालता था।” यानी सियासी कटाक्ष भी था, लेकिन मुस्कान के साथ।
विश्लेषण: लोकतंत्र की खूबसूरती
इस तस्वीर का विश्लेषण करें, तो यह भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाती है। जहां असहमति और वैचारिक मतभेद अपनी जगह हैं, वहीं संवाद और शिष्टाचार अपनी जगह। पिछले मानसून सत्र के बाद विपक्ष ने ऐसी बैठक का बहिष्कार किया था, जिस पर पीएम मोदी ने निशाना साधा था। लेकिन इस बार राहुल गांधी की गैरमौजूदगी में प्रियंका गांधी का शामिल होना एक बड़ा सियासी संकेत है। यह बताता है कि कांग्रेस भी अब संसदीय परंपराओं में अपनी भूमिका को लेकर गंभीर है।
परंपरा और प्रोटोकॉल
हर संसद सत्र के समापन के बाद लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सभी दलों के फ्लोर लीडर्स को चाय पर आमंत्रित करने की एक पुरानी परंपरा रही है। इसका मकसद राजनीतिक कड़वाहट को कम करना और संसदीय गरिमा बनाए रखना होता है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे संसदीय शिष्टाचार का अहम हिस्सा माना जाता है।
जानें पूरा मामला
शीतकालीन सत्र की समाप्ति के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पारंपरिक ‘टी मीटिंग’ (Tea Meeting) बुलाई थी। इस बैठक में पीएम मोदी, राजनाथ सिंह और प्रियंका गांधी समेत कई विपक्षी नेता शामिल हुए। वायनाड सांसद प्रियंका गांधी की पीएम मोदी के साथ यह पहली सार्वजनिक अनौपचारिक बैठक थी, जिसने सियासी गलियारों में चर्चा छेड़ दी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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शीतकालीन सत्र के बाद स्पीकर ओम बिरला ने बुलाई चाय पर बैठक।
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पीएम मोदी, राजनाथ सिंह और प्रियंका गांधी एक ही टेबल पर नजर आए।
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बैठक में संसद की कार्यवाही और सत्र की अवधि पर अनौपचारिक चर्चा हुई।
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प्रियंका गांधी का बैठक में शामिल होना एक बड़ा सियासी संदेश माना जा रहा है।






