VB-G Ram G Bill – केंद्र सरकार ने संसद में एक नया विधेयक पेश किया है जो मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेने जा रहा है। इस नई योजना का नाम ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन-ग्रामीण’ यानी VB-G Ram G रखा गया है। इस बिल को लेकर संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह जोरदार बहस छिड़ी हुई है।
यह नया विधेयक ग्रामीण परिवारों को अब 100 की जगह 125 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है। लेकिन इसमें एक बड़ा बदलाव यह है कि अब खर्च का बोझ केंद्र और राज्यों के बीच 60-40 के अनुपात में बांट दिया गया है।
क्या है VB-G Ram G योजना की फुल फॉर्म?
बहुत से लोगों को यह नाम थोड़ा अजीब लग सकता है। इसकी फुल फॉर्म है – विकसित भारत (VB) गारंटी (G) फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (RAM) – ग्रामीण (G)।
यहां ‘राम’ शब्द ‘रोजगार एंड आजीविका मिशन’ का संक्षिप्त रूप है।
इस नाम को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया गया। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि राम के नाम पर आपत्ति क्यों है।
योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार ‘विकसित भारत 2047’ की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप एक ग्रामीण विकास ढांचा खड़ा करना चाहती है।
ऐसे ग्रामीण परिवार जिनके व्यस्क सदस्य अकुशल श्रम कर सकते हैं, उन्हें एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों की मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी।
यह पहले 100 दिन था जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है।
चार मुख्य प्राथमिकताएं तय की गईं
इस योजना में ग्रामीण स्तर पर चार प्राथमिकताओं पर विशेष जोर दिया जाएगा:
1. जल सुरक्षा: गांवों में जल संरक्षण संरचनाएं, सिंचाई सहायता, भूजल पुनर्जीवन, जल निकायों का विकास, वाटरशेड एरिया का विकास और वनीकरण पर काम होगा।
2. मुख्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्रामीण सड़कें, सार्वजनिक भवन, स्कूलों का इंफ्रा, स्वच्छता प्रणालियां और नवीनीकरण ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) से जुड़े कार्य।
3. आजीविका से जुड़े इंफ्रा: कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, भंडारण, बाजार और कौशल विकास से जुड़ी संरचनाएं।
4. मौसमी घटनाओं के लिए विशेष कार्य: आश्रय स्थल, तटबंधन निर्माण, बाढ़ प्रबंधन, पुनर्वास कार्य और वन अग्नि नियंत्रण जैसे काम।
मनरेगा और VB-G Ram G में क्या है फर्क?
| पहलू | मनरेगा | VB-G Ram G |
|---|---|---|
| रोजगार दिन | 100 दिन | 125 दिन |
| खर्च की जिम्मेदारी | पूरी तरह केंद्र | केंद्र 60%, राज्य 40% |
| काम रोकने का प्रावधान | नहीं था | 60 दिन तक रोक सकते हैं |
| वेतन भुगतान | समय सीमा तय | हर हफ्ते अनिवार्य, अधिकतम 15 दिन |
| योजना निर्धारण | राष्ट्रीय नीति | स्थानीय स्तर पर प्राथमिकताएं |
60-40 का फॉर्मूला क्यों है विवादित?
यह इस विधेयक का सबसे विवादित पहलू है। अब तक मनरेगा पूरी तरह केंद्र प्रायोजित योजना थी।
नए विधेयक में खर्च को 60-40 में बांट दिया गया है। केंद्र 60% देगा और राज्य 40% वहन करेंगे।
केंद्र शासित प्रदेशों पर 10% का बोझ आएगा।
कई राज्य सरकारें इस नए फॉर्मूले का विरोध कर रही हैं क्योंकि इससे उन पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
60 दिन काम रोकने का नियम क्यों?
नए विधेयक में राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे एक वित्तीय वर्ष में 60 दिनों तक इस योजना के तहत काम रोक सकते हैं।
इसके पीछे तर्क यह है कि जब फसल की बुवाई या कटाई होती है, तब मनरेगा कार्यों में लगे मजदूरों की कमी से किसानों को परेशानी होती है।
अब राज्य सरकारें पीक सीजन में काम रोक सकती हैं ताकि मजदूर खेतों में काम कर सकें।
किसानों और मजदूरों को क्या फायदा?
मजदूरों के लिए:
- 100 की जगह 125 दिन का रोजगार मिलेगा
- 60 दिन जब काम रुकेगा, तब खेतों में काम करके अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं
- हर हफ्ते या अधिकतम 15 दिन में वेतन मिलेगा
किसानों के लिए:
- बुवाई और कटाई के समय मजदूर उपलब्ध रहेंगे
- अतिरिक्त वेतन देकर मजदूर नहीं लाने पड़ेंगे
मजदूरी दरों में बदलाव होगा या नहीं?
विधेयक में मजदूरी दरों में बदलाव का कोई प्रावधान नहीं है।
इसमें सिर्फ कहा गया है कि मजदूरी दरें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित होंगी। जब तक नई दरें जारी नहीं होतीं, तब तक मनरेगा की मौजूदा दरें लागू रहेंगी।
अगर 15 दिनों में रोजगार नहीं मिलता तो बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान है जो राज्य सरकारें देंगी।
पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठाए गए?
नई योजना में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित गवर्नेंस इकोसिस्टम अनिवार्य किया गया है।
प्रमुख उपाय:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग
- जीपीएस से कार्यों की निगरानी
- मोबाइल से काम की मॉनिटरिंग
- हर हफ्ते काम और खर्च का सार्वजनिक खुलासा
- साल में दो बार सोशल ऑडिट
- योजनाओं को पीएम गतिशक्ति से जोड़ना
ग्राम पंचायतें हर हफ्ते कामों की स्थिति, भुगतान, शिकायतें और मास्टर रोल प्रस्तुत करेंगी।
मनरेगा में क्या थीं खामियां?
पुरानी योजना में कई गड़बड़ियां सामने आई थीं:
- पश्चिम बंगाल के 19 जिलों में जांच में पाया गया कि कई कार्य सिर्फ कागजों पर थे। नियमों का उल्लंघन और धन का दुरुपयोग हुआ था। इसी कारण फंडिंग रोकी गई थी।
- वित्तीय वर्ष 2025-26 में 23 राज्यों में निगरानी में सामने आया कि कई कार्य या तो मौजूद नहीं थे या खर्च के अनुपात में नहीं थे।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभिन्न राज्यों में कुल 193.67 करोड़ रुपये का दुरुपयोग पाया गया।
- महामारी के बाद केवल 7.61% घरों ने ही 100 दिनों का कार्य पूरा किया।
विपक्ष का विरोध क्यों?
विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध नाम बदलने को लेकर है। उनका कहना है कि महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया गया।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार को नाम बदलने की सनक हो गई है और यह सनक छोड़नी चाहिए।
इसके अलावा 60-40 के खर्च फॉर्मूले पर भी कई राज्य सरकारें नाराज हैं।
संपादकीय विश्लेषण
यह विधेयक एक तरफ ग्रामीण रोजगार को 100 से 125 दिन करने का वादा करता है, वहीं दूसरी तरफ राज्यों पर 40% खर्च का बोझ डालता है। यह देखना होगा कि आर्थिक रूप से कमजोर राज्य इस अतिरिक्त बोझ को कैसे उठाएंगे।
60 दिन काम रोकने का प्रावधान किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इससे मजदूरों को उन दिनों में रोजगार की गारंटी नहीं मिलेगी।
AI, GPS और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसे कदम पारदर्शिता ला सकते हैं, लेकिन इनका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर कितना प्रभावी होगा, यह समय बताएगा।
मुख्य बातें (Key Points)
- VB-G Ram G योजना मनरेगा की जगह लेगी, जिसमें 100 की जगह 125 दिन रोजगार की गारंटी होगी
- खर्च का बंटवारा बदला – केंद्र 60% और राज्य 40% वहन करेंगे
- राज्य सरकारें बुवाई-कटाई सीजन में 60 दिन तक काम रोक सकती हैं
- AI, GPS और डिजिटल मॉनिटरिंग से पारदर्शिता लाने का प्रयास
- विपक्ष का विरोध मुख्यतः महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर






