Tea Side Effects: भारत में सुबह की शुरुआत चाय की चुस्कियों के साथ होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत आपकी नहीं, बल्कि अंग्रेजों की दी हुई एक बीमारी है? 1750 से पहले भारत में चाय का नामोनिशान नहीं था, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने फायदे के लिए भारतीयों पर थोप दिया। आज यह आदत हमारे शरीर में एसिडिटी और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रही है।
ठंडे देशों की दवा, भारत के लिए जहर
चाय असल में एक Medicine है, लेकिन सिर्फ उन लोगों के लिए जो बहुत ठंडे देशों में रहते हैं। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के देशों में साल के 6 महीने सूरज नहीं निकलता और तापमान -40 डिग्री तक चला जाता है। इतनी भीषण ठंड के कारण वहां के लोगों का Blood Pressure (BP) बहुत लो (Low) रहता है।
उनका ब्लड प्रेशर तुरंत बढ़ाने के लिए चाय एक बेहतरीन Stimulant का काम करती है। इसके अलावा, ठंडे देशों के लोगों का खून Alkaline (क्षारीय) होता है, जबकि चाय Acidic (अम्लीय) होती है। इसलिए वहां चाय पीना स्वास्थ्य के लिए संतुलित माना जाता है। लेकिन भारत की स्थिति इससे बिल्कुल उल्टी है।
भारतीय शरीर पर चाय का जानलेवा असर
भारत एक गर्म देश है। यहां के लोगों का पेट और खून पहले से ही Acidic (अम्लीय) होता है। जब एक भारतीय व्यक्ति चाय पीता है, तो वह अपने शरीर में और ज्यादा एसिड डाल रहा होता है। इससे पेट और खून की Acidity खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है।
नतीजतन, भारत में लोगों को High BP, बेचैनी और हार्ट की समस्याएं होने लगती हैं। डॉक्टर के पास जाने पर वह आपको जिंदगी भर बीपी की गोलियां खाने को दे देते हैं, क्योंकि इससे उनका कमीशन बनता है, लेकिन कोई यह नहीं कहता कि “चाय छोड़ दो”। अगर आप बीपी और हार्ट की बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो चाय छोड़ना ही एकमात्र विकल्प है।
कुदरत का नियम और जानवरों की समझ
कुदरत का नियम है कि इंसान को वही चीजें खानी-पीनी चाहिए जो उसके 20 किलोमीटर के दायरे में पैदा होती हों। चाय और कॉफी हजारों मील दूर पहाड़ों पर होती है, जो मैदानी इलाकों के लोगों के लिए अनुकूल नहीं है।
हैरानी की बात यह है कि जानवरों में इंसानों से ज्यादा समझ होती है। अगर आप किसी कुत्ते, बिल्ली या पक्षी को चाय पिलाने की कोशिश करें, तो वे इसे नहीं पिएंगे, लेकिन दूध तुरंत पी लेंगे। जानवर जानते हैं कि क्या खाना है और क्या नहीं, लेकिन इंसान ‘होशियार’ बनकर भी अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
चाय छोड़ें, दिल को दें अर्जुन की छाल का सहारा
अब सवाल यह है कि चाय की लत कैसे छोड़ें और शरीर को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करें? इसका सबसे बेहतरीन आयुर्वेदिक उपाय है— ‘Arjun Ki Chhal’ (अर्जुन के पेड़ की छाल)। चाय शरीर को Acidic बनाती है, जबकि अर्जुन की छाल शरीर को Alkaline (क्षारीय) बनाती है।
अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से खून की एसिडिटी खत्म होती है, जिससे Cholesterol और Triglycerides कम होते हैं और हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है।
कैसे बनाएं सेहतमंद ‘हर्बल चाय’
अर्जुन की छाल का पाउडर बाजार में बहुत सस्ता (चाय से भी सस्ता) मिलता है। इसे बनाने का तरीका बिल्कुल चाय जैसा है:
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पानी में अर्जुन की छाल का पाउडर डालकर उबालें।
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इसमें स्वाद के लिए गुड़ या शक्कर मिलाएं।
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आप इसमें दूध भी डाल सकते हैं।
इसका रंग और स्वाद काफी हद तक चाय जैसा ही होता है। अगर आप लगातार 15-20 दिन इसे पी लेते हैं, तो आपकी चाय की लत भी छूट जाएगी और चाय से शरीर को जो नुकसान हुआ है, वह भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा आप जीरा, अजवाइन या सौंफ का काढ़ा भी पी सकते हैं।
‘अतिथि देवो भव:’ का अपमान न करें
भारतीय संस्कृति में मेहमान को देवता माना जाता है। जब आपके घर कोई मेहमान आए, तो खुद तय करें कि आप उन्हें ‘अमृत’ पिलाना चाहते हैं या ‘जहर’। चाय पिलाकर आप उन्हें बीमार कर रहे हैं। अगर आप उन्हें सच में सम्मान देना चाहते हैं, तो उन्हें अर्जुन की छाल का काढ़ा या अन्य कोई स्वास्थ्यवर्धक पेय पिलाएं, ताकि वे स्वस्थ रहें।
जानें पूरा मामला
यह रिपोर्ट चाय के ऐतिहासिक और वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है। अंग्रेजों द्वारा भारत में लाई गई चाय की आदत, भारतीय जलवायु और शारीरिक प्रकृति (Body Type) के अनुकूल नहीं है। यह विश्लेषण बताता है कि कैसे भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार खान-पान न बदलने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और आयुर्वेद में इसके क्या सटीक विकल्प मौजूद हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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चाय केवल ठंडे देशों और लो बीपी (Low BP) वाले मरीजों के लिए एक दवा है, सामान्य भारतीयों के लिए नहीं।
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भारतीयों का ब्लड पहले से एसिडिक होता है, चाय इसे और बढ़ाकर हाई बीपी और हार्ट की बीमारियों को जन्म देती है।
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जानवर भी चाय-कॉफी नहीं पीते, लेकिन इंसान इसे आदत बनाकर अपनी सेहत खराब कर रहा है।
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चाय का सबसे बेहतरीन विकल्प ‘अर्जुन की छाल’ है, जो खून को साफ करती है और हार्ट अटैक से बचाती है।






