Shashi Tharoor Congress Meeting: संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक पहले सियासी गलियारों में एक बड़ी खबर ने हलचल मचा दी है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पार्टी सांसदों की एक बेहद अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें चुनाव से लेकर कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होनी थी। लेकिन इस महत्वपूर्ण बैठक से तिरुवनंतपुरम के सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर नदारद रहे। यह लगातार तीसरी बार है जब थरूर पार्टी की किसी बड़ी बैठक से गायब दिखे हैं, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर थरूर के मन में क्या चल रहा है?
लगातार तीसरी बार बैठक से गायब
राहुल गांधी की अगुवाई में हुई इस बैठक में शामिल न होने पर शशि थरूर ने सफाई दी है कि उन्होंने इसके बारे में पहले ही जानकारी दे दी थी। हालांकि, राजनीतिक पंडित इस घटना को सामान्य नहीं मान रहे हैं। हाल के दिनों में यह तीसरा मौका है जब थरूर कांग्रेस की बड़ी बैठकों से दूर रहे हैं। इससे पहले वे ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक और सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या थरूर जानबूझकर पार्टी गतिविधियों से दूरी बना रहे हैं?
मॉस्को यात्रा और अलग सुर
जानकारी के मुताबिक, शशि थरूर इस वक्त मॉस्को के दौरे पर हैं, जहां उनका चीन-रूस के एक चैनल के साथ इंटरव्यू तय है। इसे उनकी अनुपस्थिति की एक वजह माना जा सकता है, लेकिन पार्टी के साथ उनके रिश्तों में खटास पुरानी है। संसद में डिबेट हो या पार्टी का स्टैंड, थरूर अक्सर अलग-थलग दिखाई देते हैं। पिछले सत्रों में भी ऑपरेशन ‘सिंदूर’ और एसआईआर (SIR) जैसे मुद्दों पर कांग्रेस ने उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया था, जिससे उनकी नाराजगी की खबरें सामने आई थीं।
बीजेपी से बढ़ती नजदीकियां?
एक तरफ जहां थरूर कांग्रेस की बैठकों से दूर हैं, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी और केंद्र सरकार के साथ उनकी नजदीकियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन भारत आए थे, तो केंद्र सरकार ने कांग्रेस से पूछे बिना थरूर को लंच के लिए इनवाइट किया था। इसके अलावा, जब डेलिगेट्स को दूसरे देशों में भेजा गया, तब भी सरकार ने थरूर का नाम सजेस्ट किया, जबकि कांग्रेस ने उनका नाम आगे नहीं बढ़ाया था। इन घटनाओं पर कांग्रेस ने आपत्ति भी जताई थी।
पार्टी में रहकर भी पार्टी के नहीं?
शशि थरूर की स्थिति फिलहाल ‘पार्टी में रहकर भी पार्टी का न होने’ जैसी हो गई है। बिहार चुनाव और एसआईआर जैसे मुद्दों पर जब पूरा विपक्ष सरकार पर हमलावर था, तब थरूर ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वे बिहार पर नजर नहीं रख रहे हैं। हालांकि, वीर सावरकर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किए जाने पर उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट लिखकर इसे मना कर दिया था, जिससे उनकी स्थिति और भी रहस्यमयी हो गई है। सवाल यही है कि क्या वे कांग्रेस के ही रहेंगे या किसी और राह पर चलने की तैयारी कर रहे हैं?
जानें पूरा मामला
शशि थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच “कोल्ड वॉर” जैसी स्थिति लंबे समय से बनी हुई है। संसद के अंदर बहस के लिए उन्हें पर्याप्त मौके न मिलना और पार्टी की रणनीतिक बैठकों से उनकी लगातार अनुपस्थिति ने इन कयासों को बल दिया है। हालांकि थरूर तकनीकी कारणों का हवाला देते हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे उनकी बढ़ती नाराजगी और भविष्य के किसी बड़े कदम के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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शशि थरूर राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई सांसदों की बैठक में शामिल नहीं हुए।
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यह लगातार तीसरी बार है जब थरूर ने कांग्रेस की बड़ी बैठक मिस की है।
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थरूर फिलहाल मॉस्को में हैं और उन्होंने पूर्व सूचना देने की बात कही है।
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पुतिन के लंच और सरकारी डेलिगेशन में थरूर के शामिल होने से बीजेपी से नजदीकी की चर्चा है।






