SMVD Medical College Controversy : जम्मू-कश्मीर में आस्था, धन और शिक्षा को लेकर एक ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने पूरे जम्मू संभाग को हिला कर रख दिया है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज में MBBS की सीटों के आवंटन को लेकर Public का गुस्सा सातवें आसमान पर है। आरोप है कि माता के चढ़ावे के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है और एक वर्ग विशेष को तरजीह दी जा रही है, जिसके चलते अब आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है।
जम्मू में माहौल उस वक्त गरमा गया, जब यह जानकारी सामने आई कि श्राइन बोर्ड के अधीन चलने वाले मेडिकल कॉलेज में इस साल एमबीबीएस की 50 में से लगभग 45 सीटें मुस्लिम Students को आवंटित कर दी गई हैं। इस खबर के बाहर आते ही स्थानीय जनता, धार्मिक संगठन और सामाजिक समूहों में भारी असंतोष फैल गया।
लोगों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति ने सरकार को सीधी Warning दे दी है। उनका कहना है कि अगर श्रद्धालुओं के चढ़ावे के पैसे का ‘दुरुपयोग’ नहीं रोका गया, तो आंदोलन को और भी उग्र कर दिया जाएगा।
’60 संगठन एक साथ, हक़ की लड़ाई’
इस विरोध प्रदर्शन की व्यापकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें शहर की 60 से ज्यादा धार्मिक, सामाजिक और व्यापारिक संस्थाएं एक झंडे के नीचे आ गई हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और कई महिला संगठनों ने भी इस Protest में अपनी आवाज बुलंद की है। संघर्ष समिति का सीधा आरोप है कि श्राइन बोर्ड ने माता वैष्णो देवी के चढ़ावे का गलत इस्तेमाल किया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 50 में से 45 सीटें एक ही समुदाय को देकर बाकी युवाओं का हक मारा गया है। इसी विरोध में पूरे शहर में Demonstration किया गया, जिसमें जम्मू के लोगों की एकजुटता साफ देखने को मिली।
‘विरोध छात्रों से नहीं, पैसे के इस्तेमाल से है’
संघर्ष समिति ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि उनका विरोध किसी समुदाय विशेष या Students के खिलाफ बिल्कुल नहीं है। मुख्य मुद्दा यह है कि माता वैष्णो देवी के चढ़ावे का पैसा उन उद्देश्यों पर खर्च नहीं हो रहा, जिनके लिए श्राइन बोर्ड की स्थापना की गई थी।
समिति के संयोजक, सेवानिवृत्त कर्नल सुखवीर सिंह मनकोटिया ने जोर देकर कहा कि माता का चढ़ावा स्थानीय हित, श्रद्धालुओं की सुविधा, धार्मिक और आध्यात्मिक परियोजनाओं पर ही खर्च होना चाहिए, न कि किसी ऐसे Education Institute के लिए जो अपनी मूल भावना से भटक गया हो। उनका तर्क है कि अगर सरकार या बोर्ड किसी संस्थान को पैसा देता है, तो उसका चरित्र नहीं बदलना चाहिए।
CM उमर अब्दुल्ला का बयान: ‘मेरिट मजहब नहीं देखता’
इस सुलगते विवाद के बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि नीट (NEET) परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले विद्यार्थियों को उनके धर्म के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर कोई Institute धर्म के आधार पर आरक्षण चाहता है, तो उसे पहले सरकारी अनुदान (Grant) लेना बंद करना होगा।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “जब मेरिट की बुनियाद पर एडमिशन के फैसले हो जाते हैं, तो कुछ लोगों को पसंद नहीं आता। अगर आपको बिना मेरिट के एडमिशन करना है, तो Supreme Court से इजाजत ले लीजिए।” मुख्यमंत्री के इस बयान को संघर्ष समिति ने मामले को ‘धार्मिक रंग’ देने वाला बताया है और इससे लोगों में नाराजगी और बढ़ गई है।
संघर्ष समिति की 5 बड़ी मांगें
विवाद को थामने के लिए संघर्ष समिति ने सरकार और बोर्ड के सामने अपनी स्पष्ट मांगें रखी हैं, जिन्हें लेकर वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं:
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श्राइन बोर्ड के मेडिकल सीटों के आवंटन की निष्पक्ष Investigation की जाए।
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बोर्ड सीटों के आवंटन को लेकर अपने विवादित फैसले को तुरंत वापस ले।
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MBBS सीटों के आवंटन में पारदर्शिता हो और ‘हिंदू कोटा’ तय किया जाए।
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भविष्य में किसी भी अनियमितता को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
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माता वैष्णो देवी के चढ़ावे का इस्तेमाल केवल हिंदुओं के धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में ही हो।
दिल्ली तक पहुंची गूंज, केंद्र कर सकता है दखल
मामला अब केवल जम्मू तक सीमित नहीं रहा है, इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है। विवाद इतना बढ़ गया कि भाजपा नेताओं ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की है। भाजपा ने भी जोर दिया है कि चढ़ावे का पैसा आधुनिक शिक्षा की बजाय धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए खर्च होना चाहिए।
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि National Medical Council (NMC) इस विवाद को सुलझाने के लिए उन छात्रों को, जिन्हें इस कॉलेज में दाखिला मिला है, किसी और मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर सकती है। केंद्र सरकार भी इस मामले में जल्द हस्तक्षेप कर सकती है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद श्री माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में MBBS की 50 सीटों के आवंटन से जुड़ा है। इस साल की प्रक्रिया में 45 सीटें मुस्लिम छात्रों को मिलने के बाद हिंदू संगठनों ने इसे श्राइन बोर्ड के फंड का दुरुपयोग बताया है। उनका मानना है कि बोर्ड का पैसा सनातन धर्म के प्रचार और श्रद्धालुओं के लिए है। वहीं, सरकार का तर्क मेरिट का है। अब यह मुद्दा सिर्फ सीटों का न रहकर धर्म, संस्कृति और चढ़ावे के सही इस्तेमाल की बड़ी बहस बन गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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SMVD मेडिकल कॉलेज की 50 में से 45 सीटें मुस्लिम छात्रों को मिलने पर भारी विवाद।
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60 से अधिक धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने श्राइन बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोला।
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मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मेरिट का हवाला दिया, जिसे प्रदर्शनकारियों ने खारिज किया।
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केंद्र सरकार और NMC द्वारा छात्रों को दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट करने पर विचार संभव।






