NATO Countries Threaten Russia: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से ठीक कुछ घंटे पहले भू-राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया है। तीन प्रमुख नाटो देशों—ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी—के राजदूतों ने एक संयुक्त लेख के जरिए रूस को सीधी धमकी दी है और यूक्रेन युद्ध में मास्को की भूमिका की कड़ी निंदा की है। इस कदम को पुतिन की भारत यात्रा से पहले एक सुनियोजित कूटनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है।
भारत ने इस मामले में खुलकर रूस का साथ दिया है और भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन आलोचनाओं का जवाब भी दिया है। पुतिन की यह यात्रा भारत और रूस के बीच S-400, S-500 और सुखोई-57 जैसे बड़े रक्षा समझौतों के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है।
नाटो देशों के राजदूतों का संयुक्त लेख
दिसंबर की शुरुआत में ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंजी कैमरेन, फ्रांसीसी राजदूत थिएरी माथो और जर्मन राजदूत फिलिप ने एक संयुक्त लेख लिखा। इसमें उन्होंने रूस पर यूक्रेन में हवाई हमले तेज करने, हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने और साइबर हमलों व दुष्प्रचार के जरिए वैश्विक स्थिरता को कमजोर करने का आरोप लगाया। राजदूतों ने लिखा कि शांति प्रयासों के दौरान रूस द्वारा किए गए ये हमले उसकी निर्दयता का प्रतीक हैं और ये कोई हादसे नहीं हैं।
यूक्रेन को मजबूत समर्थन का ऐलान
लेख में तीनों देशों ने साफ कर दिया कि वे नाटो के सदस्य हैं और यूक्रेन को सैन्य सहायता समेत हर तरह का मजबूत समर्थन देना जारी रखेंगे। उन्होंने पुतिन पर शांति वार्ता में बाधा डालने का आरोप लगाया। यह लेख 1 दिसंबर को एक अखबार में इस शीर्षक के साथ छपा था कि “दुनिया शांति चाहती है, लेकिन पुतिन नहीं।”
पुतिन की यूरोप को सीधी चेतावनी
इस कूटनीतिक हमले का जवाब देते हुए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूरोप को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर यूरोप ने रूस के खिलाफ युद्ध शुरू किया, तो रूस पूरी ताकत से जवाब देने के लिए तैयार है और यूरोप की हार तय है। पुतिन ने यहां तक कहा कि मामला इतनी जल्दी खत्म होगा कि शांति समझौते के लिए कोई बचेगा ही नहीं।
भारत का रुख और पुतिन का दौरा
भारतीय विदेश मंत्रालय ने नाटो देशों की इस आलोचना को खारिज करते हुए रूस का समर्थन किया है। पुतिन कुछ ही घंटों में भारत पहुंचने वाले हैं, जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। इस दौरे पर कई अहम रक्षा सौदों पर मुहर लग सकती है। माना जा रहा है कि नाटो देशों का यह कदम पुतिन की भारत यात्रा के दौरान बनने वाले माहौल को प्रभावित करने की एक साजिश हो सकती है।
क्या है पृष्ठभूमि
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक राजनीति को दो धड़ों में बांट दिया है। नाटो देश खुलकर यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं और रूस पर लगातार दबाव बना रहे हैं। वहीं, भारत ने इस संघर्ष में तटस्थ रुख अपनाते हुए बातचीत और कूटनीति से समाधान पर जोर दिया है। पुतिन का भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे इस यात्रा का कूटनीतिक महत्व और बढ़ गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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पुतिन के भारत दौरे से पहले ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजदूतों ने संयुक्त लेख लिखकर रूस को धमकी दी।
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नाटो देशों ने यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखने और रूस के खिलाफ खड़े रहने का ऐलान किया।
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पुतिन ने यूरोप को चेतावनी दी कि अगर युद्ध शुरू हुआ तो परिणाम भयानक होंगे और कोई समझौता नहीं हो पाएगा।
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भारत ने रूस का साथ देते हुए नाटो देशों की आलोचना को खारिज कर दिया है।
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पुतिन की भारत यात्रा के दौरान S-400, S-500 और सुखोई-57 जैसे बड़े रक्षा सौदों पर बातचीत संभव है।






