Sanchar Saathi App Mandatory India: आपके मोबाइल फोन में जल्द ही एक नया सरकारी ऐप देखने को मिल सकता है, जिसे आप चाहकर भी डिलीट नहीं कर पाएंगे। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत देश में बिकने वाले हर नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ (Sanchar Saathi) ऐप का प्री-इंस्टॉल होना अनिवार्य कर दिया गया है। इस फैसले ने सियासी गलियारों से लेकर टेक जगत तक एक नई बहस छेड़ दी है।
विपक्ष इसे नागरिकों की निजता (Privacy) का हनन बता रहा है, तो वहीं सरकार का तर्क है कि यह साइबर सुरक्षा (Cyber Safety) के लिए बेहद जरूरी कदम है। संसद के शीतकालीन सत्र के बाहर भी इस मुद्दे पर काफी गर्मी देखी जा रही है।
क्या है ‘संचार साथी’ ऐप?
संचार साथी कोई नया ऐप नहीं है, बल्कि यह दूरसंचार विभाग (DoT) का एक अम्ब्रेला ऐप है, जो कई सेवाओं जैसे CEIR (Central Equipment Identity Register) और TAFCOP (Telecom Analytics for Fraud Management and Consumer Protection) को मिलाकर बनाया गया है। पहले ये सेवाएं अलग-अलग पोर्टल्स पर उपलब्ध थीं, लेकिन मई 2023 में सरकार ने इन्हें एकीकृत कर ‘संचार साथी’ पोर्टल लॉन्च किया और इस साल जनवरी में इसका ऐप भी आ गया।
यह ऐप कई महत्वपूर्ण काम करता है:
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चोरी हुए फोन को ट्रैक और ब्लॉक करना: अगर आपका फोन चोरी हो जाता है, तो आप इस ऐप के जरिए उसे ब्लॉक कर सकते हैं और ट्रैक भी कर सकते हैं।
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सिम कार्ड की जानकारी: आप पता लगा सकते हैं कि आपके नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन चल रहे हैं।
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फोन की असलियत जांचना: आप यह भी चेक कर सकते हैं कि आप जो फोन खरीद रहे हैं, वह असली है या नकली।
सरकार क्यों कर रही है इसे अनिवार्य?
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 11 महीनों में इस ऐप की मदद से 7 लाख से ज्यादा चोरी हुए फोन बरामद किए गए हैं। अकेले अक्टूबर महीने में ही 500 से ज्यादा फोन रिकवर हुए। सरकार का मानना है कि अगर यह ऐप फोन में पहले से इंस्टॉल होगा और डिलीट नहीं किया जा सकेगा, तो चोरी हुए फोनों को ट्रैक करना और भी आसान हो जाएगा। इससे IMEI नंबर बदलकर की जाने वाली ठगी और साइबर अपराधों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
विपक्ष और एक्सपर्ट्स की चिंताएं
विपक्ष और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) जैसे संगठनों ने इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह हर स्मार्टफोन में एक अनियंत्रित सरकारी निगरानी तंत्र बैठाने जैसा है। चिंता यह है कि ऐप यूजर्स के किस डेटा का एक्सेस लेगा?
दरअसल, एंड्रॉयड फोन में यह ऐप कॉन्टैक्ट, एसएमएस, कॉल लॉग्स, कैमरा, फोटो और फाइल्स का एक्सेस मांग सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि परमिशन का कंट्रोल यूजर के हाथ में होगा, लेकिन प्री-इंस्टॉल्ड और नॉन-डिलीटेबल (Non-deletable) होने की शर्त ने शक पैदा कर दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईफोन और मॉडर्न एंड्रॉयड फोन्स में पहले से ही ‘स्टोलन डिवाइस प्रोटेक्शन’ जैसे फीचर आते हैं, ऐसे में अलग से सरकारी ऐप की क्या जरूरत है?
क्या ऐप को डिलीट किया जा सकेगा?
शुरुआती खबरों में कहा गया था कि ऐप को डिलीट नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी है कि यूजर जब चाहे इस ऐप को डिलीट कर सकता है। लेकिन सरकार के आदेश और मंत्री के बयान में विरोधाभास ने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। अब देखना होगा कि एप्पल (Apple) जैसी कंपनियां, जो थर्ड-पार्टी ऐप्स को प्री-इंस्टॉल नहीं करतीं, इस आदेश पर क्या रुख अपनाती हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य।
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विपक्ष ने इसे निजता का हनन बताया, सरकार ने साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी कहा।
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ऐप चोरी हुए फोन को ट्रैक करने और फर्जी सिम का पता लगाने में मदद करता है।
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केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा, यूजर चाहे तो ऐप डिलीट कर सकता है।
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इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने आदेश के खिलाफ आरटीआई दाखिल की है।






