Uri Hydro Power Plant Attack मई 2025 में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया गया था। इस हार से तिलमिलाए पाकिस्तान ने बौखलाहट में जम्मू-कश्मीर के कई रिहायशी इलाकों पर मिसाइलें दाग दी थीं, लेकिन उनका मुख्य निशाना उरी का संवेदनशील हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट था। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों ने एलओसी (LOC) के पास मौजूद इस महत्वपूर्ण प्लांट पर हुए पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को हवा में ही नाकाम कर दिया, जिससे एक बड़ा ब्लैकआउट टल गया और हजारों लोगों की जान बच गई।
पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले का यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ, जब CISF के 19 बहादुर जवानों को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सीमा पर तैनात हमारे जवान किस तरह जान जोखिम में डालकर देश की सुरक्षा कर रहे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान का पलटवार
यह पूरी घटना 6 मई 2025 की रात की है। उस रात भारतीय सेना ने एलओसी के आसपास छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। इस कार्रवाई के जवाब में, पाकिस्तान ने अंधाधुंध गोलाबारी शुरू कर दी। पाकिस्तान का निशाना उरी पावर प्रोजेक्ट समेत आसपास के आम नागरिक थे। उरी पावर प्लांट एलओसी के काफी करीब है। ऐसे में, नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHPC) में तैनात CISF यूनिट ने बहादुरी का परिचय दिया।
CISF ने ड्रोन हमले और गोलाबारी को किया विफल
CISF ने बताया कि 6 मई की रात को सिर्फ एक नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी ड्रोन्स को हवा में मार गिराया गया था। उस समय टीम का नेतृत्व कमांडर रवि यादव कर रहे थे। जवानों ने न केवल ड्रोन हमलों को विफल किया, बल्कि जब पाकिस्तान ने गोलाबारी शुरू की, तो उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए आसपास मौजूद आम नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और उनकी जान बचाई।
संवेदनशील पावर प्लांट पर हमले का खतरा
CISF ने उरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के महत्व को बताते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट एलओसी से कुछ ही दूरी पर है। अगर पाकिस्तान इस पावर प्लांट को नुकसान पहुंचाने में सफल हो जाता, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे। जम्मू-कश्मीर में आवश्यकतानुसार बिजली उत्पादन नहीं हो पाता है, और बाहर से बिजली आयात करनी पड़ती है। इस पावर प्लांट को नुकसान पहुंचने पर राज्य के 20 से 30% क्षेत्र में ब्लैकआउट की समस्या पैदा हो जाती, जिससे स्कूल, अस्पताल और उद्योगों को भारी नुकसान होता। इसके अलावा, ये हाइड्रो प्रोजेक्ट्स दूसरे राज्यों की बिजली ट्रांसमिशन के लिए पूरे देश में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस हमले को विफल करके भारतीय जवानों ने देश को एक बड़ी मुश्किल से बचाया।
19 जवानों को किया गया सम्मानित
CISF जवानों की इस बहादुरी के लिए, डायरेक्टर जनरल ने नई दिल्ली में मौजूद CISF के मुख्यालय में 19 जवानों को सम्मानित किया है। ये जवान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पर हुए ड्रोन हमलों को नाकाम करने में शामिल थे।
क्या है पृष्ठभूमि
उरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट दो हिस्सों में हैं। उरी का पहला पावर प्रोजेक्ट 1997 में शुरू हुआ था, जिसकी कुल क्षमता 480 मेगावाट है, जिसमें 120 मेगावाट की चार यूनिट हैं। दूसरे पावर प्रोजेक्ट को 2014 में शुरू किया गया था, जिसकी इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 240 मेगावाट है। यह प्रोजेक्ट झेलम नदी पर बनाया गया है, जो भारत और पाकिस्तान में बहती है, और सिंधु नदी की एक सहायक नदी है। इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण यह पाकिस्तान के निशाने पर रहता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में उरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर ड्रोन और गोलाबारी से हमला किया था।
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CISF के जवानों ने एलओसी के पास स्थित इस संवेदनशील पावर प्लांट पर हुए ड्रोन हमलों को हवा में ही मार गिराया।
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इस कार्रवाई में CISF यूनिट का नेतृत्व कमांडर रवि यादव ने किया था, जिन्होंने नागरिकों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
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यदि हमला सफल होता, तो जम्मू-कश्मीर के 20-30% क्षेत्र में ब्लैकआउट हो सकता था।
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इस बहादुरी के लिए CISF के 19 जवानों को नई दिल्ली मुख्यालय में डायरेक्टर जनरल द्वारा सम्मानित किया गया है।






