Chandigarh LG Bill Controversy देश की राजनीति में बीते कुछ दिनों से गर्माए चंडीगढ़ बिल विवाद पर मोदी सरकार ने यूटर्न ले लिया है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट बयान जारी करते हुए कहा है कि आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ से संबंधित ऐसा कोई भी बिल प्रस्तुत करने की केंद्र सरकार की कोई मंशा नहीं है। यह घोषणा उन खबरों के बीच आई है जिनमें कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ में उपराज्यपाल (एलजी) की नियुक्ति को लेकर एक प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी।
गृह मंत्रालय ने दी आधिकारिक सफाई
बिल लाने की खबरों के बाद उठे विवाद को शांत करने के लिए पीआईबी (PIB) की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी की गई। इसमें साफ तौर पर बताया गया कि संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी भी सरकार के स्तर पर विचाराधीन है और इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह फैसला आम लोगों के बीच बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि किसी भी बड़े प्रशासनिक बदलाव से पहले राज्यों के पारंपरिक संबंधों पर अनिश्चितता का माहौल बन रहा था। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रस्ताव में किसी भी तरह से चंडीगढ़ की मौजूदा शासन व्यवस्था या फिर पंजाब और हरियाणा के साथ उसके पारंपरिक संबंधों को बदलने की कोई बात शामिल नहीं है। सरकार ने सभी हितधारकों को आश्वासन दिया है कि चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए, सभी से पर्याप्त विचार-विमर्श के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा। बयान में कहा गया है कि इस विषय पर किसी को भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
उपराज्यपाल की नियुक्ति पर गरमाया था विवाद
यह पूरा विवाद चंडीगढ़ में उपराज्यपाल की नियुक्ति के मामले को लेकर गरमा रहा था। इससे पहले खबरें सामने आई थीं कि केंद्र सरकार एक बिल के जरिए चंडीगढ़ में प्रशासक के तौर पर लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति करना चाहती थी। गौरतलब है कि अगस्त 2016 में भी केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के लिए अलग से एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति को लेकर एक फैसला लिया था। तब सरकार ने पूर्व आईएएस अधिकारी और भाजपा नेता के अल्फस को चंडीगढ़ का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने की घोषणा कर दी थी। हालांकि, तब भी सरकार को पंजाब के राजनैतिक दबाव के चलते उस फैसले को वापस लेना पड़ा था। अब एक बार फिर चर्चा थी कि मोदी सरकार ऐसा ही एक बिल शीतकालीन सत्र में लाएगी, लेकिन अब सरकार ने यू-टर्न लेते हुए इसे टाल दिया है।
पंजाब और हरियाणा का पारंपरिक संबंध
चंडीगढ़, जो पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों की राजधानी है, पर दोनों राज्य अपना हक जताते रहे हैं। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश भी कई बार चंडीगढ़ पर अपने दावे करता रहा है। चंडीगढ़ से जुड़े विवाद बीते काफी समय से चल रहे हैं। ताजा मामला पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट (गवर्नर बॉडी) को लेकर जारी है, जिसमें सदस्यों की संख्या 90 से घटाकर 31 किए जाने को लेकर हाल ही में नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इन तमाम विवादों के बीच केंद्र सरकार की ओर से चंडीगढ़ को स्वायत्तता देने के लिए एलजी की नियुक्ति की खबरें सामने आई थीं।
मुख्य बातें (Key Points)
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केंद्र सरकार ने आगामी संसद शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ से संबंधित कोई भी बिल न लाने की मंशा स्पष्ट की है।
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यह फैसला उन खबरों के बाद लिया गया है जिनमें कहा जा रहा था कि सरकार चंडीगढ़ में उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति के लिए बिल लाएगी।
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गृह मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में कहा है कि चंडीगढ़ के शासन या पंजाब-हरियाणा के पारंपरिक संबंधों में कोई बदलाव नहीं होगा।
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इससे पहले 2016 में भी केंद्र सरकार को पंजाब के दबाव के चलते चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति का फैसला वापस लेना पड़ा था।






