Al-Falah University Founder Javed Ahmed Siddiqui : दिल्ली धमाका मामले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में घिरे अलफला यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी के परिवार से जुड़ी एक प्रॉपर्टी के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने जावेद के पिता हम्माद अहमद के पैतृक मकान को गिराने के लिए जारी किए गए नोटिस पर सुनवाई करते हुए प्रशासन की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट ने कंटोनमेंट बोर्ड के नोटिस पर उठाए सवाल
यह मामला महू स्थित एक मकान का है, जिसे कंटोनमेंट बोर्ड ने अवैध निर्माण बताकर तोड़ने का नोटिस जारी किया था। बोर्ड ने मकान के वर्तमान मालिकों को अतिक्रमण हटाने के लिए महज तीन दिन का वक्त दिया था। हाईकोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि प्रशासन को कार्रवाई से पहले अपना पक्ष रखने के लिए कम से कम 15 दिन का समय देना चाहिए था।
वकील की दलील- बिना जांच नोटिस जारी
मकान के वर्तमान मालिक अब्दुल मजीद की ओर से पेश हुए वकील अजय बगड़िया ने अदालत को बताया कि हम्माद अहमद सिद्दीकी अब जीवित नहीं हैं। उन्होंने अपनी वसीयत (हबा) के जरिए यह मकान अब्दुल मजीद के नाम कर दिया था, जो अब इसके वैध मालिक हैं। वकील ने दलील दी कि नोटिस में यह साफ नहीं बताया गया कि मकान के किस हिस्से में अतिक्रमण है, वह कितना पुराना है और उसे किस आधार पर अवैध माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन
अदालत में तर्क दिया गया कि प्रशासन की यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की 2025 की गाइडलाइंस का सीधा उल्लंघन है। गाइडलाइंस के मुताबिक, किसी भी निर्माण को गिराने से पहले कम से कम 15 दिन का ‘कारण बताओ नोटिस’ देना अनिवार्य है। साथ ही, नोटिस में यह भी बताना जरूरी है कि अतिक्रमण कहां और किस तरह का है। प्रशासन द्वारा 30 साल पुराने नोटिस का हवाला देकर तीन दिन की मोहलत देना कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ है।
15 दिन का समय और फिर अपील का मौका
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाए। अगर इसके बाद भी प्रशासन कोई प्रतिकूल आदेश पारित करता है, तो उसे चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता को अतिरिक्त 10 दिन का समय मिलेगा। इस फैसले से फिलहाल मकान पर लटकी तलवार हट गई है।
जावेद अहमद का इस मकान से नहीं कोई सीधा रिश्ता
वकील अजय बगड़िया ने स्पष्ट किया कि मौजूदा मकान मालिक अब्दुल मजीद का जावेद अहमद सिद्दीकी या उनके परिवार से कोई खून का रिश्ता नहीं है। यह मकान केवल हम्माद सिद्दीकी द्वारा बनवाया गया था, जो बाद में कानूनी प्रक्रिया के तहत मजीद को मिल गया। उन्होंने कहा कि चूंकि यह मकान कभी सिद्दीकी परिवार का था और अब जावेद अहमद ईडी की जांच के घेरे में हैं, इसलिए शायद प्रशासन जल्दबाजी में कार्रवाई कर रहा था।
जानें पूरा मामला
अलफला यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली-एनसीआर में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है। ईडी ने उनके और उनके सहयोगियों के 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसी जांच की आंच उनके पैतृक संपत्तियों तक पहुंची, जिसके बाद महू छावनी बोर्ड ने उनके परिवार से जुड़े इस पुराने मकान को अवैध बताते हुए तीन दिन में गिराने का नोटिस थमा दिया था, जिस पर अब हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अलफला यूनिवर्सिटी के संस्थापक से जुड़े मकान को तोड़ने पर रोक लगाई।
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कंटोनमेंट बोर्ड ने अवैध निर्माण के नाम पर महज 3 दिन का नोटिस दिया था, जिसे कोर्ट ने गलत माना।
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अदालत ने जवाब देने के लिए 15 दिन और अपील के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया।
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वकील ने साफ किया कि वर्तमान मालिक का जावेद अहमद सिद्दीकी से कोई पारिवारिक रिश्ता नहीं है।






