Delhi Metro Student Suicide Case : बच्चों के लिए स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है, लेकिन दिल्ली में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसने इस भरोसे को हिला कर रख दिया है। मंगलवार को एक 16 साल के छात्र ने, जो सुबह ड्रामा क्लब के लिए घर से निकला था, राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन से कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि उस सिस्टम पर तमाचा है जो बच्चों को सुरक्षित माहौल देने का दावा करता है।
पुलिस को मिले सुसाइड नोट ने हर किसी की आंखों में आंसू ला दिए हैं। 10वीं कक्षा के इस मासूम ने अपने आखिरी शब्दों में लिखा, “मेरे अंगदान कर देना और कोई बच्चा मेरी तरह की तकलीफ से न गुजरे।” यह एक बच्चे की आखिरी इच्छा थी, जिसने सिस्टम की बेरुखी से हार मान ली।
स्कूल बना यातना गृह
मृतक छात्र के सुसाइड नोट और उसके पिता के बयानों से जो बातें सामने आई हैं, वे बेहद चौंकाने वाली हैं। नोट में छात्र ने सीधे तौर पर स्कूल की शिक्षिकाओं, को-ऑर्डिनेटर और प्रिंसिपल का नाम लिखा है। उसने बताया कि उसे महीनों से मेंटल टॉर्चर दिया जा रहा था। बात-बात पर डांटना, पूरी क्लास के सामने बेइज्जत करना और धमकियां देना रोज की बात हो गई थी।
पिता का कहना है कि उनका बेटा अक्सर घर आकर रोता था और बताता था कि कैसे छोटी-छोटी बातों पर उसे निशाना बनाया जाता है। जब भी माता-पिता ने स्कूल से बात करने की कोशिश की, उन्हें टाल दिया गया। जिस दिन यह हादसा हुआ, उस दिन पिता अपनी मां (बच्चे की दादी) के ऑपरेशन के लिए शहर से बाहर थे, तभी उन्हें यह मनहूस खबर मिली।
टीचर ने दी थी धमकी, ‘टीसी देकर निकाल देंगे’
छात्र के सहपाठियों ने बताया कि घटना से कुछ दिन पहले ही एक शिक्षिका ने उसे पूरी क्लास के सामने धमकी दी थी कि “तुम्हारे पेरेंट्स को बुलाऊंगी और तुम्हें टीसी (Transfer Certificate) देकर स्कूल से निकाल दूंगी।” इतना ही नहीं, आरोप है कि एक टीचर ने उसे धक्का भी दिया था।
हैरानी की बात यह है कि जब एक बार ड्रामा क्लास के दौरान वह गिर गया था, तो उसे उठाने या मदद करने के बजाय सबके सामने उसका मजाक उड़ाया गया। उसे कहा गया कि “तू ओवरएक्टिंग कर रहा है, ड्रामा कर रहा है।” बच्चा रोता रहा, लेकिन वहां मौजूद प्रिंसिपल ने भी चुप्पी साधे रखी। इस निरंतर अपमान ने उसे इतना तोड़ दिया कि उसने मौत को गले लगाना बेहतर समझा।
इंसाफ की गुहार
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने बच्चे को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया है और स्कूल के प्रिंसिपल, को-ऑर्डिनेटर और दो शिक्षिकाओं के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। लेकिन एक बड़ा सवाल अब भी अनुत्तरित है- आखिर स्कूलों में बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का अधिकार शिक्षकों को किसने दिया? माता-पिता की शिकायतों को नजरअंदाज क्यों किया जाता है?
जानें पूरा मामला
यह दुखद घटना दिल्ली के राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन की है, जहां 10वीं कक्षा के एक छात्र ने मेट्रो के आगे कूदकर जान दे दी। छात्र अपने स्कूल प्रशासन और शिक्षकों के व्यवहार से बेहद परेशान था। पुलिस को उसकी जेब से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उसने अपने स्कूल के स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और अभिभावकों में स्कूल प्रशासन के प्रति भारी रोष है।
मुख्य बातें (Key Points)
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16 साल के छात्र ने राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन से कूदकर जान दी।
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सुसाइड नोट में स्कूल प्रिंसिपल और टीचर्स पर प्रताड़ना का आरोप।
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छात्र ने आखिरी इच्छा में अपने अंगदान करने की बात लिखी।
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पुलिस ने स्कूल स्टाफ के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया।






