Caller Name Display System : अगर आपके फोन पर किसी अनजान नंबर से कॉल आए और रिंग बजते ही स्क्रीन पर उस व्यक्ति का नाम लिखा हुआ आ जाए, तो आपको कैसा लगेगा? यह कोई सपना नहीं, बल्कि बहुत जल्द हकीकत बनने वाला है। सरकार ने साइबर फ्रॉड और स्पैम कॉल्स पर लगाम लगाने के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे हर मोबाइल यूजर को बड़ी राहत मिलने वाली है।
मोबाइल यूजर्स के लिए एक बहुत बड़ी और अच्छी खबर सामने आई है। अब आपको ट्रूकॉलर (Truecaller) जैसे ऐप्स की जरूरत शायद न पड़े, क्योंकि सरकार खुद ऐसी व्यवस्था लागू करने जा रही है जिससे कॉल करने वाले की पहचान तुरंत हो जाएगी।
‘हरियाणा और हिमाचल में सफल ट्रायल’
दूरसंचार विभाग द्वारा शुरू किया गया यह पायलट प्रोजेक्ट बेहद सफल रहा है। आपको बता दें कि सरकार ने सबसे पहले हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इसका ट्रायल शुरू किया था।
सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों राज्यों में मोबाइल कॉलर के नंबर के साथ उसका नाम दिखाने का प्रयोग पूरी तरह से कामयाब रहा है। इस सफलता को देखते हुए अब इसे पूरे देश में विस्तार देने की तैयारी कर ली गई है।
’15 दिसंबर से पूरे देश में लागू’
दूरसंचार विभाग (DoT) ने इस सुविधा को लेकर सभी टेलीकॉम कंपनियों को सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, कंपनियों को कहा गया है कि वे 15 दिसंबर तक इस सिस्टम को पूरे देश में लागू कर दें।
इसका मतलब है कि 15 दिसंबर के बाद आपके फोन पर जब भी कोई कॉल आएगी, तो नंबर के साथ-साथ कॉल करने वाले का वह नाम भी दिखाई देगा जो उसने सिम कार्ड लेते समय दिया था।
‘नवंबर के अंत तक शुरू होगी तैयारी’
सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के साथ एक अहम बैठक की थी, जिसमें टाइमलाइन तय की गई है। कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे 30 नवंबर तक अपने खुद के नेटवर्क पर इस प्रोजेक्ट को शुरू कर दें।
उदाहरण के लिए, अगर कोई एयरटेल से एयरटेल या जियो से जियो पर कॉल करता है, तो 30 नवंबर तक ही उनका नाम दिखना शुरू हो सकता है। इसके बाद 15 दिसंबर तक इसे सभी नेटवर्क के लिए पूरी तरह से रोलआउट करना होगा।
‘आवेदन फॉर्म वाला नाम ही दिखेगा’
अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर नाम कौन सा दिखेगा? तो इसका जवाब भी बहुत स्पष्ट है। वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह वही नाम होगा जो ग्राहक ने अपना मोबाइल कनेक्शन लेते समय आवेदन फॉर्म (Application Form) पर भरा था।
यानी अब कोई भी अपनी असली पहचान नहीं छुपा पाएगा। जो नाम आधिकारिक दस्तावेजों में है, वही कॉल आने पर सामने वाले की स्क्रीन पर फ्लैश होगा।
‘साइबर फ्रॉड और अनचाही कॉल्स पर वार’
इस नई व्यवस्था का आम आदमी के जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ने वाला है। इससे न सिर्फ साइबर अपराधों में कमी आएगी, बल्कि लोगों को अनचाही कॉल्स (Spam Calls) से भी छुटकारा मिलेगा।
जब आपको पहले ही पता होगा कि फोन करने वाला कौन है, तो आप फ्रॉड कॉल को आसानी से पहचान सकेंगे और उसे उठाने से बच सकेंगे। यह सुरक्षा के लिहाज से एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
‘क्या है पृष्ठभूमि’
सरकार लंबे समय से साइबर फ्रॉड और फेक कॉल्स को रोकने के लिए तकनीकी समाधान खोज रही थी। इसी कड़ी में दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिए थे कि वे कॉलिंग नाम प्रेजेंटेशन (CNAP) जैसी सुविधा पर काम करें। इसके तहत नवंबर की शुरुआत में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के दो सर्किलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने को कहा गया था। वहां मिली शानदार सफलता के बाद, अब दूरसंचार विभाग ने इसे पूरे भारत में लागू करने का फाइनल रोडमैप तैयार कर लिया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में कॉलर का नाम दिखाने वाला पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा।
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दूरसंचार विभाग ने 15 दिसंबर तक पूरे देश में इसे लागू करने का निर्देश दिया है।
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मोबाइल स्क्रीन पर वही नाम दिखेगा जो सिम लेते वक्त आवेदन फॉर्म में दिया गया था।
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इस कदम से साइबर ठगी और स्पैम कॉल्स पर बड़ी रोक लगने की उम्मीद है।






