Delhi Red Fort Blast Update के साथ सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकी साजिश की परतें खोलनी शुरू कर दी हैं। दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार बम धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे रोंगटे खड़े कर देने वाले सच सामने आ रहे हैं। आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद और उसके नेटवर्क को लेकर हुए नए खुलासों ने जांच एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। एक तरफ जहां एक महिला को हिरासत में लेने की खबर है, वहीं डॉक्टर उमर का एक ‘आखिरी वीडियो’ सामने आया है, जिसने साबित कर दिया है कि यह हमला कोई फौरी फैसला नहीं, बल्कि एक बहुत गहरी साजिश थी।
नूह से जुड़ी महिला हिरासत में
जांच की आंच अब हरियाणा के नूह तक पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने नूह की हिदायत कॉलोनी से एक 35 वर्षीय महिला को हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि इस महिला का निकाह राजस्थान में हुआ है और इसी ने आतंकी उमर नबी को सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया था। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन पुलिस द्वारा वहां से बैरिकेड्स हटाना इस बात का संकेत है कि शुरुआती तलाशी और पूछताछ का काम पूरा हो चुका है।
‘फिदाइन’ बनने से पहले का वीडियो
30 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी से भागने से पहले डॉक्टर उमर ने अपने कमरे में 1 मिनट 20 सेकंड का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जो अब वायरल हो गया है। जांच अधिकारियों के अनुसार, इस वीडियो में उसकी अंग्रेजी पर पकड़ और उसके चेहरे के हाव-भाव यह बताने के लिए काफी हैं कि उसका ‘ब्रेनवॉश’ किस हद तक किया गया था। जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी हैंडलर्स ने उसे पूरी तरह तैयार कर दिया था। उसके चेहरे पर न तो कोई डर था और न ही घबराहट; उसे साफ पता था कि उसे एक फिदाइन हमले को अंजाम देना है।
6 महीने गायब रहा और किसी को भनक नहीं!
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर उमर की भूमिका को लेकर सबसे बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है। साथी डॉक्टरों ने अमर उजाला को बताया कि साल 2023 में उमर करीब 6 महीने तक यूनिवर्सिटी और अस्पताल से गायब रहा। न कोई छुट्टी की अर्जी, न कोई खबर। और सबसे हैरानी की बात यह है कि जब वह लौटा, तो बिना किसी पूछताछ के उसे वापस ड्यूटी पर रख लिया गया। सीनियर डॉक्टर्स तक को नहीं पता था कि वह इतने महीने कहां था। यह ‘अनदेखी’ या ‘संरक्षण’ अब जांच का मुख्य बिंदु है।
यूनिवर्सिटी में ‘वीआईपी’ ट्रीटमेंट
डॉक्टर उमर को यूनिवर्सिटी में अजीबोगरीब छूट मिली हुई थी। वह हफ्ते में सिर्फ एक-दो लेक्चर लेता था, वो भी महज 15-20 मिनट के। उसकी ड्यूटी हमेशा शाम या रात की शिफ्ट में लगाई जाती थी, जहां निगरानी कम होती है। वह अस्पताल में भी तभी आता था जब उसे कॉल किया जाता था। ऐसा लगता है कि कोई ‘इनसाइडर’ उसे बचाने और छिपाने का काम कर रहा था।
आमिर रशीद के चेहरे पर कोई पछतावा नहीं
उधर, एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए उमर के सहयोगी आमिर रशीद अली को 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आमिर के वकील ने भी माना कि पूछताछ के दौरान उसके चेहरे पर कोई शिकन या पछतावा नहीं था। धमाके में इस्तेमाल की गई कार उसी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इन खुलासों के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डर का माहौल है। ईडी और एनआईए की छापेमारी के बीच छात्र और कर्मचारी कैंपस छोड़कर जा रहे हैं, और ओपीडी में मरीजों की संख्या 200 से घटकर 100 से भी कम रह गई है।
जानें पूरा मामला
10 लाल किले के पास हुए ब्लास्ट के मामले में पुलिस और एनआईए एक बड़े आतंकी मॉड्यूल की जांच कर रहे हैं। इसमें अल-फलाह यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर उमर मुख्य संदिग्ध हैं। जांच में पता चला है कि पढ़े-लिखे पेशेवरों को ब्रेनवाश कर आतंकी गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है, जिसे ‘वाइट कॉलर टेररिज्म’ कहा जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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नूह से एक महिला को हिरासत में लिया गया है, जिस पर उमर को पनाह देने का शक है।
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उमर का 1 मिनट 20 सेकंड का वीडियो वायरल, जिसमें वह जैश-ए-मोहम्मद के प्रभाव में दिख रहा है।
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2023 में वह 6 महीने तक यूनिवर्सिटी से गायब रहा, फिर भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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यूनिवर्सिटी में उसे नाइट शिफ्ट और कम काम जैसी विशेष सुविधाएं दी जा रही थीं।






