Delhi Blast History : सोमवार शाम लाल किले के पास हुए कार धमाके ने 14 साल बाद दिल्ली के जख्मों को फिर से हरा कर दिया है। 10 लोगों की जान लेने वाले इस धमाके ने 2011 के बाद के शांतिपूर्ण दौर को तोड़ दिया है। देश की राजधानी न सिर्फ सत्ता का केंद्र है, बल्कि पिछले चार दशकों में यह कई बार आतंक की आग में झुलसी है।
1985: जब ट्रांजिस्टर बमों से दहली दिल्ली
आजादी के बाद दिल्ली में पहली बड़ी आतंकी वारदात 10 मई 1985 को हुई, जब ट्रांजिस्टर में फिट किए गए बम एक साथ कई बसों और सार्वजनिक स्थानों पर फटे। इन धमाकों में सिर्फ दिल्ली में ही 49 लोगों की मौत हुई थी और 127 लोग घायल हो गए थे।
1996: लाजपत नगर मार्केट बना निशाना
इसके बाद 21 मई 1996 को लाजपत नगर के भीड़भाड़ वाले सेंट्रल मार्केट में भयंकर धमाका हुआ। इस विस्फोट में 13 लोगों की जान चली गई और 38 से अधिक घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट ने ली, जिसने दिखाया कि कश्मीर का आतंकवाद अब राजधानी तक पहुंच चुका है।
2005: दिवाली से ठीक पहले 3 सीरियल ब्लास्ट
29 अक्टूबर 2005 का दिन दिल्ली कभी नहीं भूल सकती। दिवाली से ठीक दो दिन पहले, पहाड़गंज, गोविंदपुरी और सरोजिनी नगर मार्केट में एक के बाद एक तीन धमाके हुए। इन हमलों ने पूरे देश को हिला दिया, जिसमें 62 लोग मारे गए और 210 से अधिक घायल हुए। इसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ने ली थी।
2008: इंडियन मुजाहिदीन के 5 सिलसिलेवार धमाके
साल 2008 दिल्ली के लिए सबसे खौफनाक रहा। 13 सितंबर को करोल बाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में 30 मिनट के भीतर पांच सिलसिलेवार विस्फोट हुए। इन हमलों में 30 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा घायल हुए। इंडियन मुजाहिदीन (IM) ने इसकी जिम्मेदारी ली।
महरौली से हाईकोर्ट तक… नहीं रुका आतंक
2008 का आतंक यहीं नहीं रुका। 13 सितंबर के ठीक दो हफ्ते बाद, 27 सितंबर को महरौली के फूल बाजार में एक टिफिन बम फटा, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 7 सितंबर 2011 को दिल्ली हाई-कोर्ट के बाहर एक ब्रीफकेस में बम धमाका हुआ, जिसने एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए।
क्यों है दिल्ली हमेशा निशाने पर?
रक्षा अध्ययन संस्थान (IDSA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1997 से अब तक दिल्ली 26 बड़े धमाकों का सामना कर चुकी है, जिनमें 92 से ज्यादा जानें गईं और 600 से अधिक लोग घायल हुए। दिल्ली हमेशा आतंकियों के निशाने पर इसलिए रहती है, क्योंकि यह देश का राजनीतिक और प्रशासनिक केंद्र है। यहां संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेशी दूतावास जैसे हाई-प्रोफाइल ठिकाने हैं। साथ ही, राजधानी के भीड़भाड़ वाले बाजार और घनी आबादी आतंकियों को आसान निशाना मुहैया कराती है।
मुख्य बातें (Key Points):
- सोमवार को लाल किले के पास हुए धमाके ने 14 साल बाद दिल्ली में बड़े आतंकी हमले की याद दिलाई।
- 1985 में दिल्ली में पहली बार ट्रांजिस्टर बम धमाकों में 49 लोगों की मौत हुई थी।
- 2005 में दिवाली से पहले हुए 3 धमाकों (सरोजिनी नगर) में 62 लोगों की जान गई थी।
- 2008 में इंडियन मुजाहिदीन ने दिल्ली में 5 सिलसिलेवार धमाके किए थे, जिनमें 30 लोग मारे गए थे।






