Bengal SIR Supreme Court : पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी ने एक याचिका दाखिल कर चुनाव आयोग की ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। कांग्रेस ने अदालत से अनुरोध किया है कि बंगाल के मामले को कल निर्धारित बिहार SIR केस के साथ ही सुना जाए, ताकि दोनों राज्यों के समान मुद्दों पर एक साथ फैसला हो सके।
कांग्रेस के वकील ने कोर्ट को बताया कि SIR प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं और चूक की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से लोगों के नाम गायब होने या गलत अपडेट होने की घटनाओं को देखते हुए अदालत का जल्द दखल देना जरूरी है।
CJI लेंगे अंतिम फैसला
जस्टिस जे. सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि बंगाल के SIR केस को बिहार के साथ जोड़ा जाएगा या नहीं, यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) लेंगे। कल की सुनवाई में पहले से ही बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से जुड़े SIR मामले लिस्टेड हैं, जिससे संकेत मिलता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को व्यापक नजरिए से देख सकता है।
क्या है SIR और क्यों है विवाद?
SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) चुनाव आयोग की वह प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है। इसका मकसद केवल पात्र मतदाताओं को ही सूची में रखना है। लेकिन हाल के महीनों में बिहार, बंगाल और तमिलनाडु में इस प्रक्रिया को लेकर सियासी विवाद गहरा गया है।
बिहार में 65 लाख नाम कटने का दावा
बिहार चुनाव से ठीक पहले हुई SIR प्रक्रिया में विपक्षी दलों ने दावा किया था कि 65 लाख मतदाताओं के नाम दस्तावेज जमा न कर पाने के कारण हटा दिए गए। हालांकि, चुनाव आयोग ने ‘वोट चोरी’ के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।
मुख्य बातें (Key Points):
- पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने SIR में गड़बड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
- पार्टी ने बिहार SIR केस के साथ ही बंगाल मामले की सुनवाई की मांग की है।
- जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दोनों केस जोड़ने का फैसला CJI लेंगे।
- बिहार में SIR के दौरान 65 लाख नाम कटने के दावों ने पहले ही विवाद खड़ा किया था।






