चंडीगढ़, 10 अक्टूबर (The News Air) पंजाब के वित्त मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने हरियाणा कैडर के दिवंगत आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा लिखे गए “अंतिम नोट” में किए गए भयावह खुलासों का हवाला देते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से वर्षों से “हरियाणा के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार जाति-आधारित भेदभाव, टारगेट करके मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार” का विस्तृत विवरण दिया गया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा शासित राज्यों में अनुसूचित जातियों (एस.सी.) और अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के खिलाफ जाति-आधारित भेदभाव और अत्याचार का माहौल बनाया जा रहा है।
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सीधे तौर पर दिवंगत आईपीएस अधिकारी के विस्तृत “अंतिम नोट” का उल्लेख किया, जिसमें कई वरिष्ठ आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के नाम हैं और “जाति-आधारित भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, टारगेट करके मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार जारी रखने की एक साजिश” का आरोप लगाया गया है। एडवोकेट चीमा ने कहा, “भाजपा शासन के अधीन स्थिति बेहद भयावह है। हमने देखा है कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है, जिसका उल्लेख राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड में भी किया गया है।”
वित्त मंत्री चीमा ने आगे कहा, “लेकिन जो बात वास्तव में चिंता का विषय है, वह यह है कि भाजपा की दलित विरोधी मानसिकता सार्वजनिक सेवा के उच्च पदों पर बैठे लोगों तक को नहीं बख्शती। दिवंगत आईपीएस अधिकारी का दुखद मामला, जिसने भाजपा शासित राज्य हरियाणा की पुलिस और प्रशासन में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वर्षों से की गई जाति-आधारित प्रताड़ना, अपमान और साजिशों को विस्तार से दस्तावेज़ किया, भाजपा की नैतिक और प्रशासनिक विफलता का शर्मनाक प्रमाण है।”
कैबिनेट मंत्री चीमा ने ज़ोर देकर कहा कि यह तथ्य कि एक वरिष्ठ सेवारत आईपीएस अधिकारी को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा और अपने पीछे आठ पन्नों का दस्तावेज़ छोड़ गया, जो भाजपा शासित राज्य में जाति-आधारित अत्याचार, अधिकारों से वंचित किए जाने, दुर्भावनापूर्ण शिकायतों और सार्वजनिक अपमान की लंबी सूची को उजागर करता है, राष्ट्रीय स्तर पर शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि यदि आई.जी. रैंक के अधिकारी सुरक्षित नहीं हैं और ऐसे अमानवीय व्यवहार के शिकार होते हैं, तो इन राज्यों में आम दलित नागरिकों के लिए क्या उम्मीद बचती है?
वित्त मंत्री चीमा ने इस घटना को भारत के मुख्य न्यायाधीश, जो स्वयं अनुसूचित जाति समुदाय से हैं, पर हाल ही में हुए हमलों और जाति-आधारित भड़काऊ घटनाओं से जोड़ते हुए भाजपा द्वारा फैलाए जा रहे खतरनाक दलित विरोधी माहौल को भी उजागर किया।
कैबिनेट मंत्री चीमा ने कहा, “इस पूरी घटना पर भाजपा की चुप्पी — खासकर आईपीएस अधिकारी के अंतिम बयान में नामित अधिकारियों के खिलाफ तुरंत और पारदर्शी कार्रवाई करने में हरियाणा सरकार की विफलता — सामाजिक न्याय के प्रति उनके पाखंड को उजागर करती है।” उन्होंने आगे कहा कि एक सेवारत मुख्य न्यायाधीश की गरिमा पर हमला और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के करियर और जीवन को उसकी जाति के आधार पर योजनाबद्ध ढंग से बर्बाद करना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं — भाजपा का गहराई तक जड़ें जमा चुका दलित विरोधी एजेंडा।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने दिवंगत आईपीएस अधिकारी के “अंतिम नोट” में नामित सभी अधिकारियों को तुरंत निलंबित करने और एस.सी./एस.टी. (अत्याचार निवारण) अधिनियम तथा आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार करने की माँग की। उन्होंने साथ ही दिवंगत अधिकारी के पत्र में उठाए गए जाति-आधारित भेदभाव के सभी आरोपों की समयबद्ध, स्वतंत्र और उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच की माँग भी की।
अंत में उन्होंने कहा, “भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और जाति-आधारित अत्याचारों से अनुसूचित जाति/जनजाति के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए। आम आदमी पार्टी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। हम भाजपा की जातिवादी राजनीति को इस देश के संवैधानिक सिद्धांतों को नष्ट करने नहीं देंगे। इस मामले में न्याय अवश्य होना चाहिए और उच्च स्तर पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए।”






