चंडीगढ़, 7 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के प्रति “अपराधिक लापरवाही” बरतने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया और केंद्र पर राज्य के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया।
मंगलवार को चंडीगढ़ में पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ‘आप’ पंजाब के वरिष्ठ प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि हाल ही में आई बाढ़ से हुई भारी तबाही के बावजूद केंद्र की भाजपा सरकार का पंजाब के प्रति बेहद उदासीन रवैया रहा।
गर्ग ने कहा कि बाढ़ के कारण 5 लाख एकड़ से अधिक फसलें, 2,305 गांव, 8,500 किलोमीटर सड़कें, 3,200 स्कूल और हजारों पशु मर गए, जिसका कुल नुकसान लगभग 20,000 करोड़ रुपये आंका गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्र को पंजाब के लिए 20,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग करते हुए पत्र लिखा था, लेकिन ढाई महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद एक भी रुपया जारी नहीं किया गया। गर्ग ने सवाल किया कि क्या केंद्र एक सीमावर्ती राज्य के साथ ऐसा व्यवहार करता है जो पूरे देश को अन्न देता है?
उन्होंने पंजाब के प्रति केंद्र की उदासीनता की तुलना अन्य राज्यों के प्रति उसकी उदारता से करते हुए कहा, “जहां यह त्रासदी घटी, वहां कोई मदद नहीं भेजी गई, लेकिन जहां चुनाव हो रहे हैं, वहां महिलाओं के खातों में सीधे 10,000 रुपये भेजे गए। जब पंजाब डूब रहा था, तब केंद्र चुप रहा। पर जब कहीं और वोट दांव पर लगी होती हैं, तो पैसे बाढ़ के पानी की तरह बरसते हैं।”
नील गर्ग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री आखिरकार पंजाब आए, तो उन्होंने फोटो सेशन और हवाई सर्वेक्षण के अलावा कुछ नहीं किया। वे पीड़ितों से नहीं मिले, कोई वास्तविक राहत की घोषणा किए बिना ही लौट गए। यही कहानी केंद्रीय मंत्रियों डॉ. जितेंद्र सिंह, शिवराज सिंह चौहान, बनवारीलाल वर्मा, शोभा करंदलाजे, सावित्री ठाकुर, हर्ष मल्होत्रा और श्रीपद नाइक की भी थी, सभी खाली हाथ आए, पंजाब के जख्मों पर नमक छिड़ककर चले गए।
गर्ग ने आगे बताया कि भाजपा नेताओं ने शुरू में दावा किया था कि केंद्र द्वारा घोषित 1,600 करोड़ रुपये की राशि एक टोकन पेमेंट है और आगे और मदद दी जाएगी, लेकिन बाद में केंद्र ने पुरानी ग्रांट्स को भी उसी रकम का हिस्सा गिन लिया। उन्होंने कहा कि पहले दिए गए 805 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 170 करोड़ रुपये जो पंजाब को पहले से ही मिलने थे इन्हें भी इस 1,600 करोड़ के आंकड़े में जोड़ दिया गया। यह बाढ़ पीड़ितों के साथ एक मज़ाक है।
उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एसडीआरएफ नियमों में बदलाव की मांग की थी, जिसके तहत इस समय केवल 6,800 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता है जो वास्तविक नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता। इसलिए पंजाब ने किसानों और पीड़ितों को वास्तविक राहत देने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की।
आप नेता ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह जीएसटी को विपक्ष-शासित राज्यों के खिलाफ राजनीतिक ब्लैकमेल के औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। पहले केंद्र केवल 2% सीएसटी लेता था, अब जीएसटी के तहत 9% लेता है और फिर भी राज्यों के वैध बकाये रोकता है। उन्होंने कहा, “भाजपा ने जीएसटी को उन राज्यों को सज़ा देने के हथियार में बदल दिया है जहां जनता ने उन्हें नहीं चुना।”
गर्ग ने आगे कहा कि पंजाब को वित्तीय संकट में धकेला जा रहा है, जबकि केंद्र ₹8,000 करोड़ आरडीएफ और ₹49,000 करोड़ जीएसटी बकाया रोके हुए है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र हमारा वैध पैसा जारी कर दे, तो हम हर प्रभावित किसान और परिवार की मदद खुद करेंगे। पंजाब को भाजपा की हमदर्दी भरी तस्वीरों की ज़रूरत नहीं, हमें अपना पैसा वापस चाहिए।
भाजपा के पंजाब नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए गर्ग ने कहा कि सुनील जाखड़ और रवनीत बिट्टू खुद को पंजाब के शुभचिंतक बताते हैं, तो जब उनकी ही सरकार पंजाब का हक मार रही है, तब वे चुप क्यों हैं? क्या वे पंजाब के लोगों के साथ खड़े होंगे या भाजपा के साथ, जो पंजाब की पीठ में छुरा घोंप रही है?
नील गर्ग ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे भाजपा सरकार किसानों के आंदोलन का बदला ले रही है। बाढ़ में सबसे ज़्यादा नुकसान किसानों को हुआ उनके खेत, फसलें, घर और पशु सब बह गए। केंद्र की ओर से मदद से इनकार सिर्फ लापरवाही नहीं है, बल्कि यह जानबूझकर दी गई सज़ा है। पंजाब इस विश्वासघात को कभी नहीं भूलेगा।






